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सीडब्ल्यूएमए की अनुमति के बिना मेकेदातू बांध की डीपीआर पर आगे मूल्यांकन नियमानुसार नहीं : शेखावत - mekedatu project in lok sabha

मेकेदातू बांध पर चर्चा करते हुए जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इसके निर्माण संबंधी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) पर आगे मूल्यांकन करना नियमानुसार नहीं होगा.

सीडब्ल्यूएमए
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Published : Aug 5, 2021, 5:13 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) की अनुमति के बिना कर्नाटक में मेकेदातू बांध के निर्माण संबंधी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) पर आगे मूल्यांकन करना नियमानुसार नहीं होगा.

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में कर्नाटक से जनता दल (सेकुलर) के सदस्य प्रज्ज्वल रेवन्ना के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, 'मेकेदातू बांध के निर्माण की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) कर्नाटक राज्य ने जमा की थी और उसके क्रम में जब डीपीआर की अनुमति दी गयी थी तो वह सशर्त थी और उसमें लिखा गया था कि बांध अंतरराज्यीय बेसिन की नदी पर बनाया जाना है, इसलिए अंतरराज्यीय नदी जल विवाद कानून के अनुरूप सभी चारों पक्षकार राज्यों और उन निचले प्रदेशों की अनुमति आवश्यक है जिनकी ओर जल प्रवाह होता है.'

शेखावत ने कहा, 'इसलिए डीपीआर जमा करते समय सीडब्ल्यूएमए की अनुमति आवश्यक होना पहली शर्त थी. चूंकि सीडब्ल्यूएमए में चारों राज्य साझेदार हैं, इसलिए सीडब्ल्यूएमए की अनुमति के बिना उस डीपीआर पर आगे मूल्यांकन करना नियमानुसान नहीं होगा.'

पढ़ें :- राज्यसभा में मंत्रियों के कागजात नहीं रखने पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति

जल शक्ति मंत्री ने एक और प्रश्न के उत्तर में कहा कि जहां तक केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की अनुमति मिलने का प्रश्न है तो हमें ऐसी कोई अनुमति की जानकारी नहीं मिली है. अगर डीम्ड अनुमति भी मान ली जाए तो उसे सीडब्ल्यूएमए के साथ साझा करना जरूरी है.

गौरतलब है कि कर्नाटक में मेकेदातू बांध के निर्माण की परियोजना का तमिलनाडु राज्य विरोध कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) की अनुमति के बिना कर्नाटक में मेकेदातू बांध के निर्माण संबंधी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) पर आगे मूल्यांकन करना नियमानुसार नहीं होगा.

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में कर्नाटक से जनता दल (सेकुलर) के सदस्य प्रज्ज्वल रेवन्ना के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, 'मेकेदातू बांध के निर्माण की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) कर्नाटक राज्य ने जमा की थी और उसके क्रम में जब डीपीआर की अनुमति दी गयी थी तो वह सशर्त थी और उसमें लिखा गया था कि बांध अंतरराज्यीय बेसिन की नदी पर बनाया जाना है, इसलिए अंतरराज्यीय नदी जल विवाद कानून के अनुरूप सभी चारों पक्षकार राज्यों और उन निचले प्रदेशों की अनुमति आवश्यक है जिनकी ओर जल प्रवाह होता है.'

शेखावत ने कहा, 'इसलिए डीपीआर जमा करते समय सीडब्ल्यूएमए की अनुमति आवश्यक होना पहली शर्त थी. चूंकि सीडब्ल्यूएमए में चारों राज्य साझेदार हैं, इसलिए सीडब्ल्यूएमए की अनुमति के बिना उस डीपीआर पर आगे मूल्यांकन करना नियमानुसान नहीं होगा.'

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जल शक्ति मंत्री ने एक और प्रश्न के उत्तर में कहा कि जहां तक केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की अनुमति मिलने का प्रश्न है तो हमें ऐसी कोई अनुमति की जानकारी नहीं मिली है. अगर डीम्ड अनुमति भी मान ली जाए तो उसे सीडब्ल्यूएमए के साथ साझा करना जरूरी है.

गौरतलब है कि कर्नाटक में मेकेदातू बांध के निर्माण की परियोजना का तमिलनाडु राज्य विरोध कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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