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जलवायु परिवर्तन के कारण टिड्डियों का हमला होने का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं

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Published : Mar 8, 2021, 9:48 PM IST

वर्ष 2020 में टिड्डियों ने किसानों की फसल को खूब नुकसान पहुंचाया. ऐसा माना जा रहा है कि यह हमला 26 वर्षों में सबसे विनाशकारी था. हालांकि इसमें एक अहम बात यह है कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है कि यह घटना जलवायु परिवर्तन के कारण हुई थी.

Locusts Attack
Locusts Attack

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को कहा कि 2020 में टिड्डियों का हमला पिछले 26 साल में हुए सबसे विनाशकारी हमलों में से एक था लेकिन इस बात का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि इस घटना का कारण जलवायु परिवर्तन था.

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि टिड्डी सीमा पार से आने वाला नाशक जीव हैं, लेकिन भारत में उसका हमला कोई नियमित घटना नहीं है. उन्होंने कहा कि टिड्डियों के हमले के संबंध में ऐसा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर जलवायु परिवर्तन को भारत में टिड्डियों के हालिया हमले का कारण माना जा सके.

पढ़ें-अब टिड्डी दल पर 'हेलीकॉप्टर अटैक', वायु सेना से भी ली जाएगी मदद: नरेंद्र सिंह तोमर

सुप्रियो ने कहा कि कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने मानसून के बदलते पैटर्न सहित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण कराया है. धान, गेहूं, मक्का, मूंगफली और आलू जैसी कुछ फसलों के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रभावों का अनुमान लगाया गया है.

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को कहा कि 2020 में टिड्डियों का हमला पिछले 26 साल में हुए सबसे विनाशकारी हमलों में से एक था लेकिन इस बात का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं है जिसके आधार पर यह माना जा सके कि इस घटना का कारण जलवायु परिवर्तन था.

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि टिड्डी सीमा पार से आने वाला नाशक जीव हैं, लेकिन भारत में उसका हमला कोई नियमित घटना नहीं है. उन्होंने कहा कि टिड्डियों के हमले के संबंध में ऐसा कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर जलवायु परिवर्तन को भारत में टिड्डियों के हालिया हमले का कारण माना जा सके.

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सुप्रियो ने कहा कि कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने मानसून के बदलते पैटर्न सहित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण कराया है. धान, गेहूं, मक्का, मूंगफली और आलू जैसी कुछ फसलों के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रभावों का अनुमान लगाया गया है.

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