नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिव्यांग लोगों के पुनर्वास के लिए बुधवार को छह महीने के एक पाठ्यक्रम की शुरुआत की. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया.
समुदाय आधारित समावेशी विकास (सीबीआईडी) कार्यक्रम सामुदायिक स्तर पर जमीनी पुनर्वास कार्यकर्ताओं का एक समूह बनाने पर केंद्रित है, जो दिव्यांगता से जुड़े मुद्दों से निपटने और दिव्यांग व्यक्तियों के समाज में समावेश के लिए आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों के साथ काम कर सकते हैं. इन कार्यकर्ताओं को 'दिव्यांग मित्र' के नाम से जाना जाएगा.
पाठ्यक्रम की विषयवस्तु भारत और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों की एक समिति ने विकसित की है.
दायित्व निभाने में इन कार्यकर्ताओं की क्षमता को मजबूत करने के लिए यह पाठ्यक्रम क्षमता आधारित ज्ञान एवं कौशल के आधार पर तैयार किया गया है.
लॉन्च के दौरान गहलोत ने कहा कि इस पहल से देश को दिव्यांगजनों के पुनर्वास और विकास के लिए एक प्रशिक्षित जनशक्ति विकसित करने में मदद मिलेगी. उनके अनुसार, कार्यक्रम का उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर जमीनी स्तर पर पुनर्वास कार्यकर्ताओं का एक पूल बनाना है जो आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम कर सकें और दिव्यांगों को समाज में शामिल करने में मदद कर सकें.
थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 को अधिनियमित किया है, जो दिव्यांगों के समावेशी समाज की कल्पना करता है.
मंत्री ने दोहराया कि दिव्यांग एक महत्वपूर्ण मानव संसाधन हैं और यदि उपयुक्त सुविधाएं/अवसर दिए जाएं, तो वे शिक्षा, खेल प्रदर्शन/ ललित कला किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मेलबर्न विश्वविद्यालय के सहयोग से पाठ्यक्रम विकसित किया गया है. इससे हमारा देश दिव्यांगजनों के पुनर्वास और विकास के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति विकसित करने में सक्षम होगा ताकि समाज में उनका सशक्तिकरण और समावेश सुनिश्चित हो सके.
गहलोत ने कहा कि महामारी की स्थिति के कारण, दिव्यांगजनों के लिए फर्स्ट हैंड काउंसलर / गाइड की आवश्यकता और अधिक प्रासंगिक हो गई है और इस कार्यक्रम को जल्द से जल्द शुरू करने की आवश्यकता है.
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इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय पुनर्वास परिषद शुरू में पाठ्यक्रम को दो बैच में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के सात राष्ट्रीय संस्थानों और समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों में अनुभव रखने वाले 7-9 स्वयंसेवी संगठनों में पायलट आधार पर शुरू करना चाहती है.
अधिकारी ने कहा कि शुरू में पाठ्यक्रम हिंदी, अंग्रेजी और सात क्षेत्रीय भाषाओं- गुजराती, मराठी, ओड़िया, बंगाली, तेलुगु, तमिल और गारो में होगा. 600 विद्यार्थियों के पहले बैच के लिए कक्षाएं अगस्त तक शुरू होने की उम्मीद है.