नई दिल्ली : केंद्र ने निजी संगठनों से पुरस्कार प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारियों पर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. नए दिशानिर्देश के अनुसार अब निजी संगठनों से पुरस्कार प्राप्त करने से पहले उनके लिए सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य हो गया है. कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि मंजूरी केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जा सकती है.
मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में कोई मौद्रिक घटक नहीं होना चाहिए. मंत्रालय ने पाया कि इस संबंध में मौजूदा निर्देशों का सही अर्थों में पालन नहीं किया जा रहा है, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.
कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, 'इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है कि निजी निकायों/संस्थानों/संगठनों द्वारा दिए गए पुरस्कार केवल सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी के बाद ही स्वीकार किए जा सकते हैं.'
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को जारी आदेश में कहा गया है कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा पुरस्कार स्वीकार करने के लिए सक्षम प्राधिकारी संबंधित मंत्रालय/विभाग का सचिव होगा.
आदेश में कहा गया है, 'भारत सरकार के सचिवों और सचिव रैंक के अधिकारियों द्वारा पुरस्कार स्वीकार करने के लिए सक्षम प्राधिकारी कैबिनेट सचिव होंगे. मंजूरी केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जा सकती है.'
आदेश में कहा गया है कि पुरस्कार में नकद और/अथवा सुविधाओं के रूप में कोई मौद्रिक घटक नहीं होना चाहिए. आदेश में कहा गया है, 'निजी निकायों/संस्थाओं/संगठनों की साख बेदाग होनी चाहिए.'
केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 14 में प्रावधान है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना कोई प्रशंसात्मक या विदाई भाषण प्राप्त नहीं करेगा या कोई प्रशंसापत्र स्वीकार नहीं करेगा या उसके अथवा किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के सम्मान में आयोजित किसी बैठक या मनोरंजन कार्यक्रम में भाग नहीं लेगा.
कार्मिक मंत्रालय ने 1999 में एक और आदेश जारी कर कहा था कि सामान्य तौर पर निजी निकायों और संस्थानों द्वारा सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाले पुरस्कारों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनकी योग्यता और सेवा को पहचानने के लिए सरकार के पास स्वयं कई तरीके उपलब्ध हैं.
ये भी पढ़ें : अनुच्छेद 370 के 'सुप्रीम' फैसले पर पीएम मोदी का लेख, अब जाकर हटा कलंक, लिखी जाएगी नई इबारत