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केंद्र ने दी नक्सल प्रभावित राज्यों में 40 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड के डायवर्जन को मंजूरी

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Published : May 4, 2022, 7:32 PM IST

केंद्र सरकार ने 10 राज्यों के नक्सल प्रभावित 44 जिलों में विकास कार्य के लिए फॉरेस्ट लैंड के डायवर्जन की मंजूरी दी है. इन जिलों में 14 कैटिगरी के विकास कार्यों के लिए 40 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जा सकेगा. पहले इन इलाकों में सिर्फ पांच हेक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट करने की अनुमति थी.

diversion of forest land
diversion of forest land

नई दिल्ली : देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्टर डिवेलप करने के लिए केंद्र सरकार ने फॉरेस्ट लैंड के डायवर्जन की सीमा बढ़ा दी है. अब निर्माण एजेंसियां और सरकार पांच के बजाय 40 हेक्टरयर वन भूमि का उपयोग कर सकती है. एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री ने इस बदलाव को 2020-21 में ही मंजूरी दे दी थी. हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 14 कैटिगरी के प्रोजेक्ट को ही चिह्नित किया है.

एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री के अनुसार, स्कूल, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, इलेक्ट्रिसिटी, कम्यूनिकेशन लाइन, पेयजल योजना प्रोजेक्ट, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, सिंचाई के लिए माइनर और नहर के निर्माण के लिए फॉरेस्ट लैंड में बदलाव की परमिशन दी गई है. इसके अलावा एनर्जी, नॉन कन्वेशनल एनर्जी, स्किल डिवेलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए भी वन भूमि में 40 हेक्टेयर तक का बदलाव किया जा सकता है.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 26 फरवरी, 2009 से सड़क आवश्यकता योजना (RRP-I) लागू किया था, नक्सल प्रभावित आठ राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार किया जा सके. इस योजना के तहत 78,673 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,362 किलोमीटर सड़कों और आठ महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण की प्लानिंग की गई थी. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक कुल 4,981 किलोमीटर सड़कें और छह महत्वपूर्ण पुल बनकर तैयार हो चुके हैं.

सरकार ने 28 दिसंबर 2016 को ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से नक्सल प्रभावित जिलों में रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की शुरूआत की थी. तब नक्सल प्रभावित 44 जिलों में 11,725 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,412 किलोमीटर सड़क और 126 पुल और क्रॉस ड्रेनेज कार्यों बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गय़ा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 9,268 किलोमीटर की मंजूरी पहले ही राज्यों को दी जा चुकी है. इनमें से 3,505 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका है. ऐसे इलाकों के कम्यूनिकेशन की प्रॉब्लम दूर करने के लिए दूरसंचार विभाग मोबाइल टावर लगाने की प्लानिंग कर रहा है. इस स्कीम के फर्स्ट फेज में कुल 2,335 और सेकंड फेज में 4,072 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे. इनमें से 2,542 टावरों के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में शिड्यूल ट्राइब और अन्य वनवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत लोगों को मालिकाना हक देने की वकालत की है. बताया गया है कि इसके तहत आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 16,22,128 ट्राइबल फैमिली को जमीन का मालिकाना हक दिया गया है.

(एएनआई)

पढ़ें : बिहार में नक्सलियों का आतंकियों से गठजोड़, एनआईए एक्शन में

नई दिल्ली : देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्टर डिवेलप करने के लिए केंद्र सरकार ने फॉरेस्ट लैंड के डायवर्जन की सीमा बढ़ा दी है. अब निर्माण एजेंसियां और सरकार पांच के बजाय 40 हेक्टरयर वन भूमि का उपयोग कर सकती है. एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री ने इस बदलाव को 2020-21 में ही मंजूरी दे दी थी. हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 14 कैटिगरी के प्रोजेक्ट को ही चिह्नित किया है.

एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री के अनुसार, स्कूल, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, इलेक्ट्रिसिटी, कम्यूनिकेशन लाइन, पेयजल योजना प्रोजेक्ट, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, सिंचाई के लिए माइनर और नहर के निर्माण के लिए फॉरेस्ट लैंड में बदलाव की परमिशन दी गई है. इसके अलावा एनर्जी, नॉन कन्वेशनल एनर्जी, स्किल डिवेलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए भी वन भूमि में 40 हेक्टेयर तक का बदलाव किया जा सकता है.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 26 फरवरी, 2009 से सड़क आवश्यकता योजना (RRP-I) लागू किया था, नक्सल प्रभावित आठ राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार किया जा सके. इस योजना के तहत 78,673 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,362 किलोमीटर सड़कों और आठ महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण की प्लानिंग की गई थी. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक कुल 4,981 किलोमीटर सड़कें और छह महत्वपूर्ण पुल बनकर तैयार हो चुके हैं.

सरकार ने 28 दिसंबर 2016 को ग्रामीण विकास मंत्रालय की मदद से नक्सल प्रभावित जिलों में रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की शुरूआत की थी. तब नक्सल प्रभावित 44 जिलों में 11,725 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,412 किलोमीटर सड़क और 126 पुल और क्रॉस ड्रेनेज कार्यों बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गय़ा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 9,268 किलोमीटर की मंजूरी पहले ही राज्यों को दी जा चुकी है. इनमें से 3,505 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका है. ऐसे इलाकों के कम्यूनिकेशन की प्रॉब्लम दूर करने के लिए दूरसंचार विभाग मोबाइल टावर लगाने की प्लानिंग कर रहा है. इस स्कीम के फर्स्ट फेज में कुल 2,335 और सेकंड फेज में 4,072 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे. इनमें से 2,542 टावरों के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में शिड्यूल ट्राइब और अन्य वनवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत लोगों को मालिकाना हक देने की वकालत की है. बताया गया है कि इसके तहत आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 16,22,128 ट्राइबल फैमिली को जमीन का मालिकाना हक दिया गया है.

(एएनआई)

पढ़ें : बिहार में नक्सलियों का आतंकियों से गठजोड़, एनआईए एक्शन में

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