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केंद्र ने जेल सुधारों के लिए आदर्श कारागार अधिनियम 2023 को अंतिम रूप दिया

केन्द्रीय गृह मंत्रालय (ministry of home affairs) ने जेल प्रबंधन में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने को लेकर कारागार अधिनियम 1894 की समीक्षा कर आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है. इस अधिनियम में पूर्व के अधिनियमों की कमियों को दूर किया गया है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : May 12, 2023, 9:38 PM IST

ministry of home affairs
गृह मंत्रालय

नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्रालय (ministry of home affairs) ने जेल प्रबंधन में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औपनिवेशिक काल के कारागार अधिनियम 1894 की समीक्षा कर आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है जो राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह नया अधिनियम व्यापक है और इसमें पुराने अधिनियम की कमियों को दूर किया गया है.

मंत्रालय ने कैदी अधिनियम 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम 1950 की भी समीक्षा की गयी है और इनके प्रावधानों को नए अधिनियम में शामिल किया गया है. नए अधिनियम में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा इससे जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान किया जाएगा. नए अधिनियम में कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

वक्तव्य में कहा गया है कि मौजूदा कारागार अधिनियम 1894 आज़ादी से पहले का है और लगभग 130 वर्ष पुराना है. यह मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन तथा व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है और इसमें कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं और आधुनिक समय की जरूरतों तथा जेल प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप अधिनियम को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी.

मंत्रालय ने कारागार अधिनियम 1894 में संशोधन की सिफारिशों की जिम्मेदारी पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपी थी और ब्यूरो ने राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों आदि से विस्तृत विचार विमर्श के बाद इसका प्रारूप तैयार किया है. अधिनियम में जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पैरोल, फर्लो प्रदान करने, अच्‍छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला एवं ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता के प्रावधान तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्‍यान दिया गया है. मंत्रालय ने कहा है कि नया अधिनियम राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है.

वक्तव्य के मुताबिक 'कारागार अधिनियम, 1894', 'कैदी अधिनियम, 1900' और 'कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950' की भी समीक्षा की गई है और इनके प्रासंगिक प्रावधानों को 'आदर्श कारागार अधिनियम, 2023' में शामिल किया गया है. राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 'आदर्श कारागार अधिनियम, 2023' में ज़रूरत के अनुसार संशोधन करके इसे लागू कर सकते हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकते हैं.

नए मॉडल कारागार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में सुरक्षा मूल्यांकन और कैदियों को अलग-अलग रखने, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, बंदियों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन महिला कैदियों, ट्रांसजेंडर आदि को अलग रखने का प्रावधान , कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रावधान , अदालतों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जेलों में वैज्ञानिक और तकनीकी पहल आदि का प्रावधान, जेलों में प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे मोबाइल फोन आदि का प्रयोग करने वाले बंदियों एवं जेल कर्मचारियों के लिए दण्ड का प्रावधान, उच्च सुरक्षा जेल आदि की स्थापना एवं प्रबंधन के संबंध में प्रावधान, खूंखार और आदतन अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों से समाज को बचाने का प्रावधान कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने आदि के लिए प्रावधान, कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा उन्हें समाज से दोबारा जोड़ने पर बल देना शामिल है.

ये भी पढ़ें - Intelligence Report on Maoists : माओवादियों को लेकर आईबी ने सौंपी गृह मंत्रालय को रिपोर्ट, किया बड़ा खुलासा

(एजेंसी)

नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्रालय (ministry of home affairs) ने जेल प्रबंधन में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औपनिवेशिक काल के कारागार अधिनियम 1894 की समीक्षा कर आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है जो राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह नया अधिनियम व्यापक है और इसमें पुराने अधिनियम की कमियों को दूर किया गया है.

मंत्रालय ने कैदी अधिनियम 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम 1950 की भी समीक्षा की गयी है और इनके प्रावधानों को नए अधिनियम में शामिल किया गया है. नए अधिनियम में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा इससे जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान किया जाएगा. नए अधिनियम में कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

वक्तव्य में कहा गया है कि मौजूदा कारागार अधिनियम 1894 आज़ादी से पहले का है और लगभग 130 वर्ष पुराना है. यह मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन तथा व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है और इसमें कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं और आधुनिक समय की जरूरतों तथा जेल प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप अधिनियम को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी.

मंत्रालय ने कारागार अधिनियम 1894 में संशोधन की सिफारिशों की जिम्मेदारी पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपी थी और ब्यूरो ने राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों आदि से विस्तृत विचार विमर्श के बाद इसका प्रारूप तैयार किया है. अधिनियम में जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पैरोल, फर्लो प्रदान करने, अच्‍छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला एवं ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता के प्रावधान तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्‍यान दिया गया है. मंत्रालय ने कहा है कि नया अधिनियम राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है.

वक्तव्य के मुताबिक 'कारागार अधिनियम, 1894', 'कैदी अधिनियम, 1900' और 'कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950' की भी समीक्षा की गई है और इनके प्रासंगिक प्रावधानों को 'आदर्श कारागार अधिनियम, 2023' में शामिल किया गया है. राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 'आदर्श कारागार अधिनियम, 2023' में ज़रूरत के अनुसार संशोधन करके इसे लागू कर सकते हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकते हैं.

नए मॉडल कारागार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में सुरक्षा मूल्यांकन और कैदियों को अलग-अलग रखने, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, बंदियों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन महिला कैदियों, ट्रांसजेंडर आदि को अलग रखने का प्रावधान , कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रावधान , अदालतों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जेलों में वैज्ञानिक और तकनीकी पहल आदि का प्रावधान, जेलों में प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे मोबाइल फोन आदि का प्रयोग करने वाले बंदियों एवं जेल कर्मचारियों के लिए दण्ड का प्रावधान, उच्च सुरक्षा जेल आदि की स्थापना एवं प्रबंधन के संबंध में प्रावधान, खूंखार और आदतन अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों से समाज को बचाने का प्रावधान कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने आदि के लिए प्रावधान, कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा उन्हें समाज से दोबारा जोड़ने पर बल देना शामिल है.

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(एजेंसी)

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