नई दिल्ली: देश भर में मानव तस्करी के मामलों की बढ़ती संख्या के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मानव तस्करी पर राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने को कहा है. हाल ही में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक संवाद में गृह मंत्रालय ने कहा कि आपसी तालमेल और मजबूत करना है. इसके साथ ही राज्यों और पड़ोसी देशों के साथ संचार माध्यम तस्करी का मुकाबला करने में प्रभावी साबित हो सकता है.
गृह मंत्रालय ने कहा कि तस्करी के शिकार अक्सर अत्यधिक कठिनाई सहते हैं. वह शारीरिक हिंसा, यौन शोषण, उत्पीड़न, धमकी जैसी यातना से गुजरते हैं. कुछ पीड़ित अपनी कमजोरियों का फायदा उठाने वाले क्रूर तस्करों के हाथों अपनी जान गंवा देते हैं. ऐसे में मानव तस्करी की जटिल प्रकृति से घरेलू, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटने के लिए रणनीति आवश्यक है. गृह मंत्रालय ने कहा कि वैश्वीकरण के परिणाम ने बेहतर अवसरों की तलाश में लोगों की आवाजाही को बढ़ा दिया है. मानव तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं.
गृह मंत्रालय ने कहा, 'इस तरह का शोषण कई रूपों में हो सकता है जैसे श्रम, वेश्यावृत्ति, जबरन विवाह, घरेलू दासता, भीख मांगना, अंग व्यापार, ड्रग कूरियर, हथियारों की तस्करी आदि.' गृह मंत्रालय ने प्रावधान किया है कि वह राज्यों में इस तरह के राज्य स्तरीय सम्मेलन के आयोजन के लिए 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा. गृह मंत्रालय ने तस्करी से संबंधित व्यापक मुद्दों पर न्यायिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और अद्यतन करने के लिए न्यायिक संवाद आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए.
एमएचए ने कहा कि उच्च न्यायालयों और सत्र न्यायालयों के न्यायाधीश लोक अभियोजकों के साथ-साथ संबंधित राज्यों के मानव तस्करी के लिए जिला नोडल पुलिस अधिकारियों के साथ भाग ले सकते हैं.
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