नई दिल्ली : सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रमुख वास्तुकार बिमल पटेल ने बताया कि इस परियोजना के तहत भवनों के निर्माण के लिए निविदा में अनिवार्य पर्यावरण अनुकूल उपायों में मिट्टी की ऊपरी परत का संरक्षण, 'स्मॉग टॉवर' लगाना और कंक्रीट में कोयले की राख (फ्लाई एश) का उपयोग करना शामिल हैं.
पटेल ने कहा कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) भी पर्यावरण के नजरिये से परियोजना पर करीबी नजर बनाये हुए है. उनके मुताबिक पूरी परियोजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि लंबे समय तक हवा की गुणवत्ता बेहतर रहे. नए संसद भवन का निर्माण समय पर पूरा करने का भरोसा जताते हुए पटेल ने कहा कि ठेकेदार, डिजाइनर सभी तय समय-सीमा पर काम पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
नए संसद भवन का निर्माण 2022 के शीतकालीन सत्र से पहले पूरा करने की योजना है. पटेल ने से कहा, सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाये जा रहे भवनों के निविदा दस्तावेजों में अनेक उपायों को अनिवार्य किया गया है ताकि निर्माण के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा की जा सके. इनमें मिट्टी की ऊपरी परत का संरक्षण, स्मॉग टॉवर लगाना और कंक्रीट में 'फ्लाई एश' का इस्तेमाल करना शामिल है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा निर्माण के दौरान पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए अनेक कदम उठाये जा रहे हैं और सीपीडब्ल्यूडी करीबी निगरानी रख रहा है. पटेल ने कहा कि नये संसद भवन में कार्यालयों के लिए पर्याप्त स्थान तथा लोकसभा, राज्यसभा और संयुक्त सत्रों के लिए अधिक बैठक क्षमता होगी, वहीं मौजूदा भवन पर बोझ कम होगा.
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उन्होंने कहा, प्रस्तावित केंद्रीय सचिवालय में राजपथ पर 11 भवनों में केंद्र सरकार के सभी 51 मंत्रालयों को समाहित किया जाएगा और प्रशासन की उत्पादकता तथा क्षमता में सुधार के लिए अत्याधुनिक बुनियादी संरचना तथा सुविधाओं के साथ आधुनिक, दक्ष तथा लचीला कार्यस्थल होगा.
नए 'एक्जिक्यूटिव इनक्लेव' के बारे में जानकारी देते हुए पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें होगा और अन्य मंत्रालय साझा केंद्रीय सचिवालय का भाग होंगे.
उन्होंने कहा कि एक आधुनिक, सुरक्षित और उपकरणों से सुसज्जित परिसर में प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के कार्यकारी दफ्तर होंगे. पटेल के अनुसार इस समय पूरी सेंट्रल विस्टा परियोजना को 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य है.
(पीटीआई-भाषा)