नई दिल्ली : राज्यसभा में केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 (The Central Vigilance Commission (Amendment) Bill, 2021) पारित हो गया है. मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह विधेयक पेश किया. लोकसभा में यह बिल पहले ही पारित हो चुका है.
चर्चा के दौरान राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे बकाएदारों से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वसूल की गई राशि के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, ईडी ने न सिर्फ टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाई बल्कि उनसे पैसे भी बरामद किए. उन्होंने बोफोर्स घोटाले, स्वीडन में अवैध धन प्रेषण, कोलगेट घोटाले सहित अन्य को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा.
भ्रष्टाचार एवं काले धन को बड़ी समस्या तथा देश के विकास में बाधा बताते हुए राज्यसभा में सदस्यों ने कहा कि इसके समाधान के लिए कठोर कदम उठाने होंगे.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 पर सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सुरेश प्रभु ने कहा कि देश में काला धन एक बड़ी समस्या है जिसका समाधान जरूरी है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के अलावा कई अन्य जटिल मुद्दे भी हैं जिनका समाधान देश के विकास के लिए जरूरी है.
उन्होंने कहा कि विशेष जांच दल भी जांच करते हैं लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जितने जटिल मुद्दे होंगे, उनकी जांच में अधिक समय लगेगा. यह देखते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना महत्वपूर्ण है.
प्रभु ने कहा कि सरकार ने जो फैसले किए हैं वे लंबे समय तक देश को फायदा पहुंचाने वाले हैं और यह भी ऐसा ही एक कदम है. उन्होंने कहा कि अपराध एवं अपराधियों की सीमा नहीं होती और ऐसे में उन्हें पकड़ने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाना समय की मांग है.
इससे पहले कार्मिक, लोक शिकायत एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि विदेशी धन शोधन, आतंकवाद के वित्त पोषण जैसे मामलों की जांच जितनी महत्वपूर्ण होती है उतना ही इन मुद्दों का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी होता है. यह देखते हुए ही इस विधेयक को लाया गया है.
चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. उन्होंने निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से वाकआउट किया था.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता एम थंबीदुरै ने कहा कि धनशोधन के मामले बताते हैं कि इसका किस तरह गलत इस्तेमाल किया जाता है और देश के विकास को बाधित करने का प्रयास किया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सतत जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना बेहतर होगा.
तेदेपा के कनकमेदला रविंद्र कुमार ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, तय अवधि के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना ठीक नहीं होगा.
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भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कहा, नरेंद्र मोदी गुजरात के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे और आज वे देश के प्रधानमंत्री हैं लेकिन उन पर या उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा. सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन को वापस लाने के लिए कई कदम उठाए और बेनामी लेनदेन को रोकने के लिए कानून बनाया. देश को मजबूत बनाने की दिशा में केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके सकारात्मक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे.
भाजपा सदस्य ने कहा, सरकार की सख्ती का ही नतीजा है कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दो लाख 67 हजार करोड़ रुपये बचाए गए जो बिचौलियों की जेब में चले जाते थे. न केवल यह बचत हुई बल्कि 19 लाख 75 हजार करोड़ रुपये गरीबों के खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दिए गए.
उन्होंने कहा कि सतर्कता आयोग के निदेशक का कार्यकाल सरकार अकेले नहीं बढ़ा सकती. इसके लिए उस समिति में सहमति होना जरूरी है जिसमें प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता होते हैं.
वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के सुभाषचंद्र बोस पिल्ली ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि प्रर्वतन निदेशालय के अधिकारियों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने का जो अधिकार दिया गया है, उस पर पुन:विचार किया जाना चाहिए.
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सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री एवं आरपीआई नेता रामदास आठवले ने भ्रष्टाचार और काले धन को एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इसके हल के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी है.
भाजपा के जी वी एन नरसिंहा राव ने कहा कि आर्थिक अपराध अलग अलग तरीके से सामने आते हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों से बड़ी रकम कर्ज में लेने के बाद लोग देश छोड़ कर भाग जाते हैं वहीं हवाला के जरिये लेन-देन और आतंकवाद का वित्त पोषण भी होता है.
बता दें कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक, संसद के दोनों सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पास किया गया तथा राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर, 2003 को इस विधेयक को स्वीकृति दी. इस प्रकार, केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 (2003 की संख्या 45) उसी तिथि से प्रभावी हुआ. 2003 का अधिनियम भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कथित तौर पर किए गए अपराधों की जांच करने के लिए एक केंद्रीय सतर्कता आयोग के गठन का प्रावधान करता है.