रांची: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ आज रांची आ रहे हैं. कल यानी 2 जून को वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवास पर मिलेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत से उनकी मुलाकात के लिए दोपहर 12 बजे का समय निर्धारित किया गया है. इस मुलाकात के बाद दोपहर 2:30 बजे रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भर देंगे. इस शिड्यूल से साफ है कि अरविंद केजरीवाल अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कोई बैठक नहीं करने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक रात को होटल रेडिशन ब्लू में ठहरने और अगली सुबह सीएम हेमंत से मुलाकात के पहले कुछ करीबियों से मिल सकते हैं.
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खास बात है कि सीएम अरविंद केजरीवाल विशेष विमान से चेन्नई से रांची आ रहे हैं. आज चेन्नई में उनकी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ मीटिंग है. उनसे मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल शाम 7 बजे चेन्नई एयरपोर्ट से रांची के लिए उड़ान भरेंगे और रात 9.30 बजे रांची पहुंचेंगे.
केजरीवाल के झारखंड आने की वजह: सवाल सीधा सा है कि आखिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को रांची आने की जरूरत क्यों आन पड़ी है. इसका सीधा सा जवाब है कि अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाना चाह रहे हैं ताकि अध्यादेश को चुनौती दी जा सके. दरअसल, पिछले दिनों केंद्र सरकार जो अध्यादेश लेकर आई है, उसके मुताबिक अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े अंतिम फैसले का हक उपराज्यपाल को दे दिया गया है. उसका नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 है. इसके तहत दिल्ली में सेवा दे रहे दानिक्स कैडर ग्रुप ए के अधिकारी यानी दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्ष्यद्वीप, दमन एवं दीव, दादरा एंड नगर हवेली सिविल सर्विसेज के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित किया जाएगा. इसपर फैसला लेने का अधिकार प्राधिकरण को होगा लेकिन आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा.
जाहिर है कि इस अध्यादेश के बाद अगर प्राधिकरण का फैसला उपराज्यपाल को पसंद नहीं आया तो बदलाव के लिए वापस लौटा सकते हैं. इसके बाद भी अगर मतभेद हुआ तो उपराज्यपाल का फैसला अंतिम माना जाएगा. केंद्र सरकार का तर्क है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लिए गये किसी भी फैसले या आयोजन से न सिर्फ यहां के स्थानीय बल्कि पूरा देश प्रभावित होता है. इसपर अब बहस छिड़ गई है. उपराज्यपाल के साथ हो रहे विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. इससे साफ हो गया था कि दिल्ली सरकार ही दिल्ली के नौकरशाहों को देखेगी. लेकिन केंद्र सरकार ने न सिर्फ दोबारा सुप्रीम कोर्ट में रूख किया बल्कि अलग से अध्यादेश भी लेकर आ गई. इस मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं. इससे साफ है कि अरविंद केजरीवाल इस मामले में भाजपा विरोधी दलों का समर्थन हासिल कर केंद्र सरकार पर दबाव डालना चाह रहे हैं. हालाकि इस मामले में उनको कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला है.