नई दिल्ली: केंद्र ने अदालती कार्यवाही या सरकार से जुड़ी/विरुद्ध अवमानना कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों की उनकी आधिकारिक क्षमता में उपस्थिति के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का प्रस्ताव दिया है. इस एसओपी में कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों में जहां संबंधित सरकारी अधिकारी के पास अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए उचित नोटिस अधिकारी को अग्रिम रूप से दिया जाना चाहिए.
साथ ही अधिकारी को उपस्थिति के लिए पर्याप्त समय भी दिया जाना चाहिए. केंद्र ने अदालतों से सरकारी अधिकारी की पोशाक/शारीरिक उपस्थिति/शैक्षिक और सामाजिक पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करने से परहेज करने का आग्रह किया. केंद्र ने कहा कि यह एसओपी अदालतों में सरकारी मामलों में अधिकारियों की उपस्थिति से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगी. इस एसओपी का उद्देश्य सरकार द्वारा न्यायिक आदेशों के अनुपालन की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से न्यायपालिका और सरकार के बीच अधिक अनुकूल वातावरण बनाना है, जिससे अदालत की अवमानना की गुंजाइश कम हो सके.
केंद्र ने अदालतों से आग्रह किया कि अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए और अदालतों को अवमानना मामलों सहित मामलों (रिट, जनहित याचिका आदि) की सुनवाई के दौरान सरकारी अधिकारियों को तलब करते समय आवश्यक संयम बरतना चाहिए. इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सरकारी अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को केवल असाधारण मामलों में ही बुलाया जाना चाहिए, न कि नियमित मामले के रूप में.
एसओपी में कहा गया कि हालांकि, असाधारण मामलों में भी, जिनमें अभी भी अदालत द्वारा सरकारी अधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए कहा जाता है, अदालत को पहले विकल्प के रूप में, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उसके सामने पेश होने की अनुमति देनी चाहिए. उपस्थिति और देखने के लिए वीसी का निमंत्रण लिंक निर्धारित सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले संबंधित अधिकारी के दिए गए मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी पर एसएमएस/ईमेल/व्हाट्सएप द्वारा रजिस्ट्री द्वारा भेजा जा सकता है.
पांच पेज के एसओपी में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी अदालत के अधिकारी नहीं हैं और उनके सभ्य कार्य पोशाक में उपस्थित होने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, जब तक कि ऐसी उपस्थिति गैर-पेशेवर या उसके पद के लिए अशोभनीय न हो. अवमानना कार्यवाही के संबंध में, एसओपी में कहा गया है कि न्यायाधीश को आदर्श रूप से अपने आदेशों से संबंधित अवमानना कार्यवाही पर नहीं बैठना चाहिए.