नई दिल्ली: केंद्र ने जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर रामबन में हाल में निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढहने के कारणों की जांच और समाधान सुझाने के लिए तीन स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं.
बयान में कहा गया, घटना के कारणों की जांच करने और समाधान सुझाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा तीन विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई है जो स्थल का दौरा कर चुकी है. समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के कार्यालय आदेश के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के प्रोफेसर जेटी साहू समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं और यह समिति 10 दिनों के भीतर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी.
आधिकारिक बयान के अनुसार, रामबन-बनिहाल खंड के डिगडोले और खूनी नाला के बीच के हिस्से में कमजोर पहाड़ के कारण बार-बार भूस्खलन और पत्थर गिरने का खतरा रहता है. इसमें कहा गया है कि श्रीनगर के लिए हर मौसम में संपर्क बनाए रखने के रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए और पहाड़ी ढलानों की स्थिरता सुनिश्चित करने में चुनौतियों का आकलन करने के बाद, रामबन-बनिहाल खंड में तीन पैकेज के तहत सुरंगों और पुलों का प्रस्ताव किया गया है.
बयान में कहा गया, 19 मई को रात में लगभग 10.30 से 11 बजे तक भूस्खलन हुआ. इससे पहले कि श्रमिकों को बाहर निकाला जा सके निर्माण कार्य के दौरान अचानक विशाल चट्टान गिर गई, जिससे उस स्थान पर 12 श्रमिक फंस गए. बयान के मुताबिक एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया. घटना के बाद दो श्रमिकों को तुरंत बचाया गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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बयान में कहा गया कि फंसे हुए श्रमिक बचाए नहीं जा सके और गत शनिवार की शाम तक 10 शव बरामद किए गए.
पीटीआई-भाषा