नई दिल्ली : सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लाभार्थियों के सही लक्ष्य तय करने के लिए वर्ष 2013 के बाद से लगभग 4.39 करोड़ फर्जी राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं. एक बयान में सरकार ने कहा कि निरस्त किये गये राशन कार्ड के स्थान पर नए राशन कार्ड नियमित रूप से सही और पात्र लाभार्थियों या घरों को जारी किये जा रहे हैं.
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीडीएस के आधुनिकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी- संचालित सुधारों के बीच, वर्ष 2013 से वर्ष 2020 तक की अवधि के दौरान देश में राज्य सरकारों द्वारा अब तक कुल 4.39 करोड़ अयोग्य या फर्जी राशन कार्डों को निरस्त किया गया है.
पीडीएस में पारदर्शिता लाने और दक्षता में सुधार करने के लिए, सरकार ने लाभार्थियों के डेटाबेस का डिजिटलीकरण किया है और इसे आधार संख्या का दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है जिससे अयोग्य और फर्जी राशन कार्डों का पता लगाने में मदद मिली है.
इससे पहले अगस्त 2017 में केंद्र सरकार ने बताया था कि 2.16 करोड़ फर्जी राशन कार्ड और अन्यथा डायवर्ट किए गए लगभग 13 हजार करोड़ रुपयों का पता लगाया था.
तत्कालीन उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री सीआर चौधरी ने लोकसभा में पूरक के जवाब में कहा था कि 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 60 प्रतिशत राशन कार्डों को आधार के साथ जोड़ा गया है. उन्होंने कहा था कि फर्जी कार्ड से बचाई गई राशि अब लाभार्थियों के पास जाएगी.
मंत्री ने यह भी कहा था कि सरकार ने राशन कार्डों का डिजिटलीकरण पूरा कर लिया है. बकौल सीआर चौधरी, 'केंद्र कॉर्पस फंड का 75 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है और बाकी का राज्य द्वारा ध्यान रखा जाता है. विशेष श्रेणी के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मामले में, फंडिंग अनुपात 90:10 है.'