नई दिल्ली : वीजा घोटाला मामले (Visa Scam Case) की सुनवाई कर रहे दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को सांसद कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस भास्कर रमन के पुलिस हिरासत की अवधि तीन दिनों के लिए बढ़ा दी है. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि वह इस मामले की जांच के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट एस भास्करन से कार्ति और अऩ्य आरोपियों के सामने पूछताछ करना चाहते हैं. सीबीआई का दावा है कि इस मामले से जुड़े 65,000 ईमेल बरामद किए हैं, जिनका इस्तेमाल सबूत के तौर पर किया जाएगा.
अदालत ने पहले एस. भास्कर रमन को चार दिन की हिरासत में भेजा था. जांच एजेंसी ने कहा था कि उसे उसके पास से कुछ ईमेल और जोर बाग स्थित संपत्ति के बारे में पूछताछ की जरूरत है. सीबीआई ने अदालत से कहा था कि छापेमारी के दौरान बरामद सेल्स डीड महत्वपूर्ण है. यह सेल डीड जोरबाग में खरीदी गई संपत्ति का है, जिसका पावर ऑफ अटॉर्नी भास्कर रमन के नाम है जबकि यह संपत्ति कार्ति और उनकी मां ने खरीदी थी. सीबीआई ने अदालत को बताया कि उनके बाद बरामद की गई सामग्री की लंबी लिस्ट है और उनके खिलाफ तलाशी अभियान अभी भी जारी है. सीबीआई ने भास्कर रमन पर सहयोगी नहीं करे और कार्ति के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया. भास्कर रमन की ओर से पेश वकील ने कहा था कि एजेंसी को आईएनएक्स मीडिया मामले में सभी ई-मेल प्राप्त हुए थे.
बता दें कि एस भास्कर रमन को सीबीआई ने पिछले बुधवार को चेन्नई से गिरफ्तार किया था. चाइनीज नागरिकों को वीजा दिलाने में अवैध रूप से मदद करने के आरोप में उनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज की गई है. इससे पहले मंगलवार को सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम के 10 ठिकानों पर छापेमारी की थी. उसके एक दिन बाद पी चिदंबरम ने सीबीआई के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि उनका नाम प्राथमिकी में नहीं है. सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कार्ति, पी चिदंबरम और भास्कर रमन को अन्य लोगों के साथ आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि पी. चिदंबरम ने नियमों को तोड़कर वीजा दिलाने में कथित तौर पर उनकी मदद की थी.
एफआईआर के अनुसार, मनसा (पंजाब) स्थित एक निजी फर्म तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और कथित तौर पर चीनी नागरिकों के लिए वीजा जारी करने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया, जो एक प्रोजेक्ट को समय सीमा से पहले पूरा करने में मदद करने वाला था . मनसा (पंजाब) स्थित निजी फर्म को 1980 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट बनाना था, इसके लिए एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स किया गया था. प्रोजेक्ट तय समय से पीछे चल रहा था. देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, कंपनी अधिक से अधिक चीनी नागरिकों और प्रफेशनल्स को मानसा (पंजाब) में अपनी साइट पर लाना चाहती थी. चीनी नागरिकों की यह संख्या गृह मंत्रालय की ओर से तय की गई सीमा से अधिक थी. इससे बचने के लिए मनसा की कंपनी ने बैकडोर का रास्ता अपनाया. कंपनी ने चेन्नई स्थित एक व्यक्ति से संपर्क किया और चीनी कंपनी के अधिकारियों को 263 प्रोजेक्ट वीज़ा दिलवाया. इसके एवज में कंपनी ने उस व्यक्ति को 50 लाख रुपये की रिश्वत दी.
(आईएएनएस)
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