कोलकाता: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता अनुब्रत मंडल को मवेशी तस्करी मामले की जांच में सहयोग न करने के आरोप में गुरुवार को बोलपुर में उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया. जांच एजेंसी ने पिछले कुछ दिनों में तृणमूल नेता को दो बार पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वह खराब सेहत का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए थे. एक अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने तृणमूल नेता को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 के तहत एक नोटिस दिया.
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Cattle smuggling case | A team of CBI arrives at the residence of TMC Birbhum district president Anubrata Mondal in Bolpur. #WestBengal pic.twitter.com/nqRaukoOBc
— ANI (@ANI) August 11, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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इससे पूर्व दिन में सीबीआई के कम से कम आठ अधिकारियों का दल केंद्रीय बलों के साथ सुबह लगभग 10 बजे मंडल के आवास पर पहुंचा और जांच के तौर पर तलाश अभियान शुरू किया. अधिकारी ने बताया कि मंडल से उनके आवास की दूसरी मंजिल के एक कमरे में लगभग एक घंटे तक पूछताछ की गई. उन्होंने बताया, 'हमने मवेशी तस्करी घोटाले की जांच में सहयोग न करने पर उन्हें गिरफ्तार किया है. हमें इस घोटाले में मंडल की सीधी संलिप्तता का पता चला है. हम आज उनसे पूछताछ करेंगे और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेंगे.'
उन्होंने बताया कि सीबीआई बोलपुर के एक अस्पताल के डॉक्टर से भी पूछताछ करेगी, जिन्होंने मंडल को 14 दिनों तक आराम करने की सलाह दी थी. उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी के अधिकारी तृणमूल नेता के साथ ही उनके कई करीबी साथियों के आवास पर छापे मार रहे हैं. बता दें, मंडल से सीबीआई ने दो बार पूछताछ की है. केंद्रीय एजेंसी ने उनके अंगरक्षक सैगल हुसैन को भी गिरफ्तार किया है.
इस बीच सत्तारूढ़ तृणमूल ने कहा कि पार्टी स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है. सांसद शांतनु सेन ने कहा, 'पार्टी सही समय पर उचित निर्णय लेगी. लेकिन, हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि टीएमसी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में समझौता नहीं करेगी.' सेन ने कहा कि पार्टी भ्रष्टाचार और गलत कृत्यों को कतई सहन नहीं करेगी.
वहीं, विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि मंडल की गिरफ्तारी से साबित होता है कि सत्तारूढ़ दल भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस संबंध में एक बयान देना चाहिए. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, 'समय आ गया है कि मुख्यमंत्री मंडल की गिरफ्तारी पर बयान दें. हम सभी जानते हैं कि वह टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व के करीबी थे.' भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, 'पार्थ चटर्जी और अब मंडल की गिरफ्तारी बंगाल के बहुप्रतीक्षित विकास मॉडल का उदाहरण है.'
सीएम ममता के भरोसेमंद सहयोगी माने जाते हैं अनुब्रत मंडल
अनुब्रत मंडल को टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भरोसेमंद माना जाता है. लेकिन कथित मवेशी तस्करी मामले में गिरफ्तारी से उनके तीन दशक लंबे राजनीतिक करियर पर खतरा मंडराने लगा है. तृणमूल की वीररभूम जिला इकाई के अध्यक्ष और पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य मंडल (62) पश्चिम बंगाल में टीएमसी के 11 वर्षों के शासन के दौरान तेजी से आगे बढ़े हैं.
अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले मंडल का जन्म 1960 में वीरभूम जिले में एक किसान परिवार में हुआ था. उन्हें ‘केश्टो’ के नाम से जाना जाता है और वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उन्होंने सूरी में एक मछली व्यापारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था. उनकी नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमताओं को पहली बार नब्बे के दशक की शुरुआत में वीरभूम के एक स्थानीय युवा कांग्रेस नेता ने देखा, जो उन्हें ममता बनर्जी के पास ले गए और इसके बाद वह बंगाल की राजनीति में अहम स्थान रखने लगे.
वह उन मुट्ठीभर कांग्रेस नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने 1998 में तृणमूल कांग्रेस बनाने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में पुरानी पार्टी को छोड़ दिया था. कुछ ही समय बाद, उन्हें 2000 में तृणमूल की वीरभूम जिला इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्होंने तत्कालीन वामपंथी गढ़ में पार्टी के आधार के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तृणमूल के 2011 में सत्ता में आने के बाद, एक राजनीतिज्ञ और एक आयोजक के रूप में मंडल का कद पार्टी और जिले में बढ़ गया.
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मंडल 2013 के पंचायत चुनाव अभियान के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने एक जनसभा के दौरान अपने समर्थकों से राजनीतिक विरोधियों और असंतुष्टों के घरों को जलाने और पुलिस पर बम फेंकने के लिए कहा था. उनकी इन टिप्पणियों पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. वर्ष 2014 के लोकसभा और 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान मंडल की मजबूत रणनीति पूरी तरह से प्रदर्शित हुई थी और पार्टी ने कदाचार के आरोपों के बीच जिले में दोनों चुनावों में जीत हासिल की थी.
पिछले साल चुनाव बाद हुई हिंसा के आरोपों में भी मंडल का नाम आया था, जिसकी जांच फिलहाल केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है. उनका नाम इस साल मार्च में बोगतुई में हुई हत्याओं की जांच के दौरान सामने आया था, जब वीरभूम जिले में दो समूहों के बीच प्रतिद्वंद्विता के बाद आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया था.