नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को देखने वाले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के अध्यक्ष ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा दायर सरकारी अधिकारियों की मनोनयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया.
चतुर्वेदी उत्तराखंड के हल्द्वानी में मुख्य वन संरक्षक के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने पिछले वर्ष फरवरी में न्यायाधिकरण की नैनीताल पीठ में याचिका दायर की थी, जिसमें संयुक्त सचिव एवं इससे उच्च स्तर के अधिकारियों की 360 डिग्री समीक्षा प्रणाली, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सरकारी पदों पर पार्श्विक (लेटरल) भर्ती को चुनौती दी थी. कैट अध्यक्ष एल नरसिम्हा रेड्डी और सदस्य (प्रशासनिक) मोहम्मद जमशेद ने 22 जनवरी के आदेश में कहा कि इस मामले को अदालत संख्या दो के समक्ष सुनवाई के लिए एक फरवरी को सूचीबद्ध किया जाए.
कैट प्रमुख ने पिछले महीने केंद्र की याचिका को मंजूरी दी थी, जिसमें चतुर्वेदी के मामले को न्यायाधिकरण की नैनीताल पीठ से दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की थी. रेड्डी ने कहा था कि इस प्रकृति के मामलों का केंद्र सरकार के कामकाज पर असर होता है. इस आदेश पर टिप्पणी करते हुए चतुर्वेदी के अधिवक्ता सुदर्शन गोयल ने कहा कि कैट प्रमुख को यह आदेश नहीं देना चाहिए था, क्योंकि वह याचिकाकर्ता के वाद को सुन रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि अब कैट प्रमुख ने स्वयं को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है तथा इस मामले को अन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया है. भारतीय वन सेवा के 2002 बैच के उत्तराखंड कैडर के अधिकारी चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में एक संसदीय समिति की अगस्त 2017 की रिपोर्ट के अंशों का जिक्र किया था, जिसमें 360 डिग्री समीक्षा प्रणाली में खामियां पाई गई थीं.