चेन्नई: 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाने के लिए मंडल भावना को पुनर्जीवित करते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोमवार को पूर्व प्रधान मंत्री वीपी सिंह की एक प्रतिमा का अनावरण किया. इस अवसर पर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वीपी सिंह के परिवार के सदस्य उपस्थित थे.
सामाजिक न्याय को फलने-फूलने के लिए, स्टालिन ने केंद्र सरकार पर दशकीय जनगणना के हिस्से के रूप में जाति गणना करने के लिए दबाव डाला. उनके अनुसार सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कार्य है. उन्होंने कहा कि 'जब जनगणना में एससी/एसटी की गणना की जाती है, तो जाति-वार सर्वेक्षण को भी शामिल किया जाना चाहिए. क्योंकि, सामाजिक न्याय किसी विशेष राज्य से संबंधित मुद्दा नहीं है.'
उन्होंने कहा कि 'यह प्रत्येक राज्य के लिए एक मुद्दा है. मुद्दा एक ही है, हालांकि जाति और वर्ग का पैमाना और दायरा अलग-अलग हो सकता है.' तमिलनाडु 69 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जिसमें से 50 प्रतिशत ओबीसी और एमबीसी के लिए है, 18 प्रतिशत एससी के लिए और 1 प्रतिशत एसटी के लिए है. पड़ोसी राज्य कर्नाटक द्वारा जाति सर्वेक्षण जारी करने की तैयारी और आंध्र प्रदेश द्वारा शीघ्र ही इसे आयोजित करने की घोषणा के मद्देनजर स्टालिन का रुख महत्वपूर्ण हो जाता है.
कांग्रेस और विदुथलाई चिरुथिगल काची और डीएमके के संरक्षक द्रविड़ कषगम सहित डीएमके के सभी सहयोगियों ने तमिलनाडु में जाति सर्वेक्षण की मांग का समर्थन किया है. ओबीसी वन्नियार-प्रमुख पट्टाली मक्कल काची (पीएमके), समुदाय के लिए विशेष 10.5 प्रतिशत कोटा के लिए दबाव बना रही है. इसे देखते हुए स्टालिन ने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि पिछड़े वर्गों, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण को राष्ट्रीय स्तर पर ठीक से लागू किया जाए, मुख्यमंत्री ने इसकी देखरेख के लिए सांसदों की एक समिति के गठन का आह्वान किया.
आंकड़े गिनाते हुए उन्होंने कहा कि यूजीसी में उप निदेशक के लिए कोई आरक्षण नहीं है. केंद्र सरकार के विभागों के 89 सचिवों में से 85 उच्च जाति से हैं, जबकि केवल एक एससी, 3 एसटी से और ओबीसी से कोई भी नहीं है. 92 अतिरिक्त सचिवों में से 82 उच्च जाति से हैं और पीबीसी से कोई नहीं, 275 संयुक्त सचिवों में से केवल 19 ओबीसी हैं.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, असम, झारखंड और छत्तीसगढ़ में केंद्रीय वित्त पोषित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में आज तक प्रवेश में कोई आरक्षण नहीं है. 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में, प्रोफेसरों के पद पर बीसी का प्रतिनिधित्व केवल 4 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका भी बेहतर नहीं है. 2018-2023 के बीच नियुक्त 604 उच्च न्यायालय न्यायाधीशों में से केवल 72 बीसी से संबंधित हैं.
उन्होंने वीपी सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि वीपी सिंह के प्रयासों से ही पिछड़ा वर्ग एक कदम आगे बढ़ा है. लेकिन, यात्रा अभी बहुत आगे है. समाज सुधारक पेरियार ईवी रामासामी को अपने नेता के रूप में स्वीकार करते हुए, उन्होंने तमिलनाडु के लोगों को अपने सगे रिश्तेदार के रूप में माना और डीएमके संरक्षक और दिवंगत मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के साथ उनकी गहरी व्यक्तिगत मित्रता थी.
इसके अलावा, उन्होंने करुणानिधि के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सिंह द्वारा क्रमशः कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री के कामराज और डीएमके संस्थापक सीएन अन्नादुरई के नाम पर चेन्नई हवाई अड्डे पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टर्मिनलों का नाम बदलने को याद किया. उन्होंने कहा कि सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था.
पुरानी बातों पर चलते हुए, स्टालिन ने याद किया कि सिंह ने तमिलनाडु के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच उन्हें पहचाना था, जिन्होंने दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी. उन्होंने कहा कि 'जब मेरा परिचय कराया गया, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, मैं इस जनरल को कैसे भूल सकता हूं, जिसने जुलूस (चेन्नई में राष्ट्रीय मोर्चा की रैली से पहले) में युवाओं का नेतृत्व किया था.'
उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद चेन्नई की अपनी पहली यात्रा में, उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि के गोपालपुरम आवास का दौरा किया.' सिंह की पत्नी सीता कुमारी, पुत्र अजेय सिंह और अभय सिंह की ओर मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 'हम भी आपके परिवार से हैं, क्योंकि मैं आपको अलग तरह से नहीं बुला सकता. अगर यूपी उनका मायका है तो तमिलनाडु उनका पैतृक घर है. हम देश भर में फैले सामाजिक न्याय परिवार से हैं. उनकी प्रतिमा स्थापित करके हमने अपना आभार व्यक्त किया है.'
मरीना समुद्र तट पर 150 साल से अधिक पुराने प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपने दादा की प्रतिमा स्थापित होने पर अद्रिजा मंजरी सिंह ने कहा कि 'यह हमारे पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है. हम बहुत अभिभूत हैं और माननीय मुख्यमंत्री के प्रति बहुत आभारी हैं. सामाजिक न्याय की लड़ाई जारी रहनी चाहिए. यह कुछ ऐसा है जिसे मेरे दादाजी ने शुरू किया था और हम इसे जारी रखना चाहते हैं. यह एक लंबी लड़ाई है, लेकिन मुझे लगता है कि लड़ाई जारी रहनी चाहिए और उम्मीद है कि हम उनकी विरासत को आगे ले जाएंगे. उन्हें यहां तमिलनाडु में मान्यता दी गई है.'