बेंगलुरु : कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा हाल में लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा है. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. प्रतिबंध को बेंगलुरु निवासी और प्रतिबंधित संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नासिर अली ने चुनौती दी थी. सरकार ने आतंकी गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्तता और आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के कारण पीएफआई एवं उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर कड़े आतंकवाद-रोधी कानून के तहत 28 सितंबर को पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था.
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Karnataka | Nasir pasha, PFI State President's petition challenging Centre's ban on PFI dismissed in Karnataka High Court. pic.twitter.com/mGhANvQHiP
— ANI (@ANI) November 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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सरकार के आदेश में कहा गया था कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के तार जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश (जेएमबी) से भी जुड़े हैं. जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं. पीएफआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयकुमार पाटिल ने दलील दी थी कि इसे अवैध घोषित करना एक संविधान-विरोधी कदम था. उन्होंने कहा कि आदेश में इसे अवैध संगठन घोषित करने के कारण नहीं बताए गए हैं.
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पीएफआई राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसने देश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठनों के साथ हाथ मिला लिया है. अदालत को बताया गया था कि संगठन के सदस्य देश में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं.
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(पीटीआई)