नई दिल्ली : पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया कि तालिबान शासित अफगान सरकार द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की कड़ी निंदा करते हैं. भारत सरकार से उन सभी लोगों को तुरंत निकालने का आग्रह करते हैं जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं. साथ ही उनका पुनर्वास भी सुनिश्चित किया जाए.
क्या हैं आज के हालात
अफगानिस्तान में लगातार खराब होते हालातों के बीच यहां के अल्पसंख्यक सिख समुदाय के पास व्यावहारिक रूप से दो ही विकल्प रह गए हैं. या तो वे सुन्नी मुसलमान बन जाएं या देश छोड़ दें. इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सेक्युरिटी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान में सिखों की संख्या कभी हजारों में थी. वर्षों के प्रवास और मृत्यु से वे तबाह हो गए. अफगानिस्तान में उन्हें व्यवस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें धार्मिक हिंसा का शिकार बनाया जाता है. इस देश में सिखों की बड़ी आबादी काबुल में रहती है जबकि इनकी कुछ संख्या गजनी और नांगरहार प्रांतों में भी निवास करती है.
सिखों पर हो चुके हैं हमले
बीते 5 अक्टूबर को 15-20 आतंकियों ने गुरुद्वारे में घुसकर सुरक्षाकर्मियों को बांध दिया. यह हमला काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में हुआ. पिछले साल जून में कथित तौर पर अफगान सिख नेता का अपहरण कर लिया गया. मार्च 2019 में एक अन्य सिख का अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. बाद में अफगान पुलिस ने घटना के संदेह में दो लोगों को गिरफ्तार किया. इसके अलावा कंधार में एक अन्य सिख को अज्ञात बंदूकधारियों ने भून डाला था.
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अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक
हिंदू और सिख अल्पसंख्यक अफगानिस्तान में राजनीतिक और सामाजिक भेदभाव का शिकार रहे हैं. यही कारण था कि सत्तर के दशक में बड़ी संख्या में उन्होंने देश छोड़ दिया. सिख और हिंदू अफगानिस्तान में सदियों से उपेक्षा के शिकार रहे हैं और उनको मुल्क के अन्य नागरिकों की तरह सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता.