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Delhi liquor policy scam : मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित, सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात - दिल्ली शराब घोटाला

दिल्ली शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सुमित सक्सेना की रिपोर्ट. Supreme Court, Manish Sisodia, Delhi liquor policy scam, SC reserving judgement on Sisodias bail.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 7:35 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था.

सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ रिश्वतखोरी का कोई आरोप नहीं था. सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई विधेय अपराध नहीं है, तो ईडी वहां नहीं हो सकती है और हवाई अड्डे के लाइसेंस के संबंध में शराब नीति में संशोधन के संबंध में रिश्वत, विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है.

न्यायमूर्ति खन्ना ने सीबीआई और ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, यदि यह विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है कि यह रिश्वत दी गई थी, तो 'आपको पीएमएलए साबित करने में कठिनाई हो सकती है.'

पीठ ने सवाल किया कि क्या आपने कहा था कि नीति में बदलाव के लिए 2.2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी. पीठ ने कहा, हां 'लेकिन आप अपने पीएमएलए मामले में कोई विशेष अपराध नहीं बना सकते. हम किसी धारणा पर नहीं चल सकते. कानून में जो भी सुरक्षा दी गई है, उसे पूरी तरह बढ़ाया जाएगा.'

राजू ने तर्क दिया कि पीएमएलए की धारा 66 (2) के अनुसार, ईडी किसी भी नई जानकारी के बारे में क्षेत्राधिकार पुलिस को सूचित कर सकती है. पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं किया गया है, इसलिए अदालत अनुमान पर नहीं चलेगी. सिंघवी ने तर्क दिया कि विजय मदनलाल चौधरी फैसले के अनुसार अपराध की आय का सृजन केवल विधेय अपराध में होता है. विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.

सोमवार को सीबीआई और ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे दिल्ली शराब नीति मामलों में शहर की आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं.

राजू ने कहा कि उनके पास यह बताने के निर्देश हैं कि एजेंसियां ​​'प्रतिस्पर्धी दायित्व' पर कानूनी प्रावधानों और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 70 को लागू करते हुए 'आप' को आरोपी बनाने पर विचार कर रही हैं.

पीठ ने राजू से पूछा था कि आरोप पर बहस अब तक क्यों शुरू नहीं हुई? आप किसी को असीमित समय तक पीछे नहीं रख सकते क्योंकि आप आश्वस्त नहीं हैं कि आप कब बहस कर सकते हैं. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद बहस शुरू होनी चाहिए.

राजू ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उप मुख्यमंत्री स्तर का और उत्पाद शुल्क विभाग सहित 18 विभाग संभालने वाला व्यक्ति रिश्वत लेता है तो एक उचित उदाहरण स्थापित करने की जरूरत है. राजू ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश दिखाने के लिए व्हाट्सएप चैट और अन्य संचार हैं और यह भी दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध को दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

एजेंसियों ने यह भी दावा किया है कि सिसोदिया ने कथित तौर पर अपने मोबाइल फोन नष्ट करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और आरोपी से सरकारी गवाह बने दिल्ली के व्यवसायी दिनेश अरोड़ा के बयान का हवाला दिया. राजू ने कहा कि अरोड़ा ने जांच एजेंसियों को सिसोदिया द्वारा ली गई रिश्वत के बारे में बताया था और उन्होंने पहले सिसोदिया के बारे में जिक्र नहीं किया, क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें नुकसान होगा.

शीर्ष अदालत आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की जा रही उत्पाद नीति मामलों में गिरफ्तार किया गया था.

एजेंसियों का आरोप है कि AAP ने इस पैसे का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया. उन्होंने यह भी दावा किया कि AAP उन हितधारकों से प्राप्त रिश्वत की लाभार्थी थी, जिन्हें बदले में शराब के लाइसेंस मिले थे.

ये भी पढ़ें

Liquor Policy Case : SC ने पूछे सख्त सवाल-मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कैसे लाएंगे?

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था.

सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ रिश्वतखोरी का कोई आरोप नहीं था. सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई विधेय अपराध नहीं है, तो ईडी वहां नहीं हो सकती है और हवाई अड्डे के लाइसेंस के संबंध में शराब नीति में संशोधन के संबंध में रिश्वत, विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है.

न्यायमूर्ति खन्ना ने सीबीआई और ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, यदि यह विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है कि यह रिश्वत दी गई थी, तो 'आपको पीएमएलए साबित करने में कठिनाई हो सकती है.'

पीठ ने सवाल किया कि क्या आपने कहा था कि नीति में बदलाव के लिए 2.2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी. पीठ ने कहा, हां 'लेकिन आप अपने पीएमएलए मामले में कोई विशेष अपराध नहीं बना सकते. हम किसी धारणा पर नहीं चल सकते. कानून में जो भी सुरक्षा दी गई है, उसे पूरी तरह बढ़ाया जाएगा.'

राजू ने तर्क दिया कि पीएमएलए की धारा 66 (2) के अनुसार, ईडी किसी भी नई जानकारी के बारे में क्षेत्राधिकार पुलिस को सूचित कर सकती है. पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं किया गया है, इसलिए अदालत अनुमान पर नहीं चलेगी. सिंघवी ने तर्क दिया कि विजय मदनलाल चौधरी फैसले के अनुसार अपराध की आय का सृजन केवल विधेय अपराध में होता है. विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.

सोमवार को सीबीआई और ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे दिल्ली शराब नीति मामलों में शहर की आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं.

राजू ने कहा कि उनके पास यह बताने के निर्देश हैं कि एजेंसियां ​​'प्रतिस्पर्धी दायित्व' पर कानूनी प्रावधानों और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 70 को लागू करते हुए 'आप' को आरोपी बनाने पर विचार कर रही हैं.

पीठ ने राजू से पूछा था कि आरोप पर बहस अब तक क्यों शुरू नहीं हुई? आप किसी को असीमित समय तक पीछे नहीं रख सकते क्योंकि आप आश्वस्त नहीं हैं कि आप कब बहस कर सकते हैं. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद बहस शुरू होनी चाहिए.

राजू ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उप मुख्यमंत्री स्तर का और उत्पाद शुल्क विभाग सहित 18 विभाग संभालने वाला व्यक्ति रिश्वत लेता है तो एक उचित उदाहरण स्थापित करने की जरूरत है. राजू ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश दिखाने के लिए व्हाट्सएप चैट और अन्य संचार हैं और यह भी दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध को दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

एजेंसियों ने यह भी दावा किया है कि सिसोदिया ने कथित तौर पर अपने मोबाइल फोन नष्ट करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और आरोपी से सरकारी गवाह बने दिल्ली के व्यवसायी दिनेश अरोड़ा के बयान का हवाला दिया. राजू ने कहा कि अरोड़ा ने जांच एजेंसियों को सिसोदिया द्वारा ली गई रिश्वत के बारे में बताया था और उन्होंने पहले सिसोदिया के बारे में जिक्र नहीं किया, क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें नुकसान होगा.

शीर्ष अदालत आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की जा रही उत्पाद नीति मामलों में गिरफ्तार किया गया था.

एजेंसियों का आरोप है कि AAP ने इस पैसे का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया. उन्होंने यह भी दावा किया कि AAP उन हितधारकों से प्राप्त रिश्वत की लाभार्थी थी, जिन्हें बदले में शराब के लाइसेंस मिले थे.

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