नई दिल्ली : राजधानी के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बुधवार रात उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के विरोध में कैंडल मार्च निकला. यह शांति मार्च ABVP के छात्रों ने निकाला. छात्रों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ संस्कृत में नारे लगाए. उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा की मांग की. एबीवीपी छात्र संघ ने कन्हैया लाल को फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी. साथ ही छात्र संगठन ने मांग की कि इस घटना को देखने के बाद गहलोत सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. कन्हैया लाल की हत्या के जिम्मेदार सिर्फ दो लोग ही नहीं हैं, जिन्होंने उन्हें मारा बल्कि राजस्थान सरकार का पूरा सिस्टम है, जिसके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
सबसे पहले एबीवीपी के छात्रों ने साबरमती हॉस्टल के सामने काफी संख्या में जमा होकर पोस्टर के साथ जमकर नारेबाजी की. यह पहली बार था जब JNU में संस्कृत में नारेबाजी हुई, जिसमें गहलोत सरकार को इस्तीफा देने की बात कही गई. कन्हैयालाल को इंसाफ दिलाने के लिए न सिर्फ आरोपियों के खिलाफ बल्कि इस पूरी घटना में जो विभाग जिम्मेदार है, सभी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गयी.
एबीवीपी छात्रसंघ का कहना है कि इस पूरी घटना के बाद राजस्थान सरकार पूरी तरह विफल दिख रही है. राजस्थान में एक तरह से जानबूझकर हिंदुओं पर अटैक किया जा रहा है. एबीवीपी के छात्रों ने जेएनयू कैंपस में रहने वाले लेफ्ट समर्थक छात्रों के खिलाफ भी बातें कहीं. उन्होंने कहा फ्रीडम ऑफ स्पीच का हवाला देने वाले लोग आज कहां छिपे हैं. जब एक हिंदू की मौत हुई तो उसके साथ ऐसे लोग क्यों खड़े नहीं हैं. जाहिर है कि कन्हैया हत्या पूरे समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है. एबीवीपी से जुड़े छात्रों के अलावा आम छात्र भी इस घटना को लेकर काफी आहत हैं. वे भी कन्हैया लाल को इंसाफ दिलाने की बात कर रहे हैं.
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राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद से पूरे देश में गुस्सा है. जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. वैसे हत्या के बाद दोनों अपराधियों को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मामले की संदिग्धता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने इसे NIA को सौंप दिया है. JNU के छात्रों का कहना है कि जिस तरह कन्हैयालाल को पहले से धमकी मिल रही थी और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस को दी थी. अगर राजस्थान पुलिस इसको गंभीरता से लेती और कन्हैयालाल को सुरक्षा दी रहती तो आज कन्हैयालाल जिंदा होते.