जयपुर. आगामी 25 नवंबर को राजस्थान में मतदान होना है. ऐसे में गुरुवार शाम 6 बजे के बाद प्रचार का शोर पूरी तरह से थम गया. इससे पहले आखिरी दिन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ ही अन्य प्रत्याशियों ने भी अपने विचार जनता तक पहुंचा कर लोगों को रिझाने की पूरी कोशिश की. साथ ही लोकतंत्र के इस महायज्ञ में जनता की वोट रूपी आहुति के लिए आह्वान किया. इस पूरे प्रचार अभियान के दौरान राजस्थान में जहां भारतीय जनता पार्टी ने महिला उत्पीड़न, पेपर लीक के साथ ही युवाओं की समस्या और तुष्टिकरण पर फोकस किया तो लाल डायरी के जरिए स्थानीय सरकार को घेरने की भी कोशिश की.
दूसरी ओर कांग्रेस ने सात गारंटी का जिक्र करते हुए केंद्र पर हमले बोले. ओपीएस और सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को आगे ले जाने के लिए कांग्रेस ने गारंटी दी तो राष्ट्रीय नेतृत्व ने जातिगत जनगणना के जरिए ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश की. बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आजाद समाज पार्टी और माकपा जैसी पार्टियां भी इस चुनावी समर में भाजपा और कांग्रेस पर प्रहार करती नजर आईं.
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आखिरी दिन भाजपा ने झोंकी ताकत : राजस्थान में 199 सीटों के लिए 25 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों के जरिए पूरे प्रदेश में माहौल बनाने का प्रयास किया. आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे जैसे दिग्गजों ने प्रदेश में जनता के बीच प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंक दी.
इन नेताओं ने भी किया प्रचार : प्रधानमंत्री ने देवगढ़ और सागवाड़ा में जनसभाओं को संबोधित किया तो अमित शाह ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद निंबाहेड़ा में सभा की. वहीं, नाथद्वारा में रोड शो भी किया. इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जयपुर के झोटवाड़ा में रोड शो किया तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हवामहल क्षेत्र में रोड शो और मनोहरपुर व कोटपूतली में जनसभाएं की. इधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सहाड़ा, राजगढ़, लक्ष्मणगढ़ और अलवर में सभाएं की. मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रामगंजमंडी और पीपल्दा में जनसभाएं की.
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मोदी-शाह ने बनाया गहलोत को घेरने का प्लान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी प्रचार थमने से पहले प्रदेश में दो जन सभाओं को संबोधित किया, जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद नाथद्वारा में रोड शो किया. इसके अलावा उन्होंने निंबाहेड़ा में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने गहलोत सरकार को घेरा. वहीं, भाजपा ने दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर मंत्री शांति धारीवाल के विधानसभा में दिए गए बयान, राजेंद्र गुढ़ा की ओर से उठाए गए लाल डायरी प्रकरण, पेपर लीक प्रकरण, 5 साल के गहलोत राज में हुई सांप्रदायिक घटनाएं और तुष्टिकरण के मुद्दे को उठाया. इन सब के इतर मोदी, शाह और योगी ने प्रदेश में महंगाई और खास तौर पर पेट्रोल डीजल की ऊंची कीमतों का जिक्र किया.
भाजपा ने इन विषयों को बनाया मुद्दा
- मंत्री शांति धारीवाल का बयान
- लाल डायरी प्रकरण
- पेपर लीक माफिया
- सांप्रदायिक घटनाओं के जरिए तुष्टिकरण के आरोप
- महंगा पेट्रोल-डीजल
गहलोत बनाम भाजपा के बीच चुनावी संग्राम : चुनावी प्रचार के दौरान भाजपा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जमकर घेरा, जिसके जवाब में अलग-अलग मंचों से सीएम गहलोत ने पलटवार किया. यही वजह रही कि चुनाव प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर गहलोत बनाम भाजपा के बीच देखा गया. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी सात गारंटियों को लेकर प्रचार की मुहिम को परवान चढ़ाया. पहली बार गहलोत इस दौरान प्रोफेशनल्स की मदद लेते हुए भी नजर आए. गहलोत ने ओल्ड पेंशन स्कीम के मसले पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की. उन्होंने कोरोना के दौरान किए गए प्रबंधन और चिरंजीव योजना का भी जिक्र किया. महिला उत्पीड़न के विपक्ष के आरोप के जवाब में गहलोत ने अनिवार्य एफआईआर को एक गेम चेंजर स्टेप बताया. साथ ही सीएम ने इस चुनावी मुकाबले को गुजरात बनाम राजस्थान बताया.
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प्रचार के आखिरी दिन मैदान में दिखे बघेल : प्रदेश के प्राचार अभियान में खास बात यह रही कि अशोक गहलोत की गारंटी का जिक्र केंद्रीय नेतृत्व के भाषणों में कम नजर आया. गाहे-बगाहे प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत सरकार के कामकाज का जिक्र करती रही, लेकिन राहुल गांधी ने ओबीसी तबके की संख्या का हवाला देकर जातिगत जनगणना की मांग और अडानी को पुरजोर तरीके से उठाया. इस दौरान वर्ल्ड कप में फाइनल मुकाबले के दौरान भारत की हार के बाद पीएम को 'पनौती' बताने का मसला भी चर्चा में रहा.
मल्लिकार्जुन खड़गे बार-बार दलित उत्पीड़न का जिक्र करते नजर आए तो छत्तीसगढ़ के चुनाव को निपटाकर भूपेश बघेल भी चुनावी समर में कूदे और उन्होंने उदयपुर से पार्टी प्रत्याशी गौरव वल्लभ के समर्थन में रोड शो किया, जबकि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू स्वास्थ्य कारणों से राजस्थान के प्रचार में शामिल नहीं हो सके. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री की अपील का असर नहीं होने की वजह से उन्हें भी प्रचार अभियान में शामिल नहीं किया गया.
ये रहे कांग्रेस के मुद्दे
- देश में जातिगत आधार पर जनगणना
- ओल्ड पेंशन स्कीम
- गहलोत सरकार की सात गारंटी
- प्रदेश में दलित उत्पीड़न के मामले
तीसरे मोर्चे का इन मुद्दों पर रहा फोकस : इस चुनाव में मुख्य तौर पर मुकाबला भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच है, लेकिन कई सीटों पर बागी प्रत्याशी निर्दलीय या अन्य दलों के टिकट पर मैदान में हैं. ऐसे में करीब दो दर्जन सीटों पर इन्हें गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की ओर से दो दशक तक प्रदेश में राज करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे को लेकर किए गए हमले में कोई नयापन नजर नहीं आया. इधर, मायावती आधा दर्जन के करीब जनसभाएं की, लेकिन उनके भाषणों में कोई बड़ा मुद्दा देखने को नहीं मिला.
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40 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतार पाए ओवैसी : एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी इस बार राजस्थान में सक्रिय तौर पर मैदान में हैं, लेकिन वो 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर प्रत्याशियों की तलाश नहीं कर सके. एआईएमआईएम के अलावा आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव से पहले सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया था, लेकिन राजधानी में हवामहल और आदर्श नगर में उनके प्रत्याशियों ने नामांकन भरने के बाद आखिरी मौके पर अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया.
हाशिए पर दिखी इंडिया गठबंधन की एकता : हालांकि, पंजाब की सीमा से सटे गंगानगर और हनुमानगढ़ के कुछ हिस्से में किसानों के मसलों के अलावा पड़ोसी राज्यों में आप के प्रदर्शन का माहौल देखने को मिल रहा है. एक बार फिर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों तक ही सिमटी हुई नजर आई. इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की एकता भी हाशिए पर रही.