बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नामांकन पत्र जमा करने का बृहस्तिवार को आखिरी दिन था, प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल करने में जल्दबाजी की. हर उम्मीदवार जीत के भरोसे चुनावी मैदान में उतरा. लेकिन इतने सारे उम्मीदवार चुनाव में अपनी जमानत राशि गंवा बैठते हैं. राज्य में पिछले तीन बार के चुनावों में अपनी जमानत राशि गंवाने वाले उम्मीदवारों में बढ़ोतरी देखी गई है. इस बारे में दिलचस्प आंकड़ा है.
उम्मीदवार जीत की गणना के साथ अपनी उम्मीदवारी का दावा करते हैं. बुधवार तक राज्य में 3 हजार से ज्यादा नामांकन पत्र जमा किए जा चुके हैं. शुक्रवार से प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जोर-शोर से प्रचार शुरू कर देंगे. अगर कोई विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता है तो नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए 10,000 रुपये जमा कराना होता है. चुनाव हारने पर यह राशि जब्त कर ली जाती है. बहुत सारे ऐसे उम्मीदवार हैं जो चुनाव हार जाते हैं. राज्य में जिन लोगों की जमा राशि जब्त की जा रही है, उनकी संख्या भी बढ़ रही है.
क्या है सिक्योरिटी डिपॉजिट: विधानसभा चुनाव के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि का भुगतान निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर को नामांकन पत्र जमा कराने के दौरान करना होता है. इसका कारण यह है कि केवल योग्य उम्मीदवारों को ही चुनाव लड़ना चाहिए. चुनाव आयोग प्रत्याशियों से जमानत राशि इस उद्देश्य से लेता है कि कोई भी व्यक्ति अस्पष्ट रूप से चुनाव न लड़े.
सामान्य वर्ग के लिए 10,000 रुपये और अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों के लिए 5,000 रुपये जमा करना होता है. एक उम्मीदवार को उस निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल योग्य मतों के 1/6 से अधिक मतों को सुरक्षित करना चाहिए जहां से वह चुनाव लड़ रहा है. यदि प्रत्याशियों को इतने मत प्राप्त हो जाते हैं तो निर्वाचन अधिकारी को भुगतान की गयी धरोहर राशि अभ्यर्थी को वापस कर देते हैं.
2008 विधानसभा चुनाव के आंकड़े: 2008 के विधानसभा चुनाव में 224 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 2,242 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. हालाँकि, कुल 1,694 उम्मीदवारों की चुनावी जमानत जब्त कर ली गई थी. 2008 में बीजेपी ने 224 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 110 उम्मीदवार विजयी हुए, लेकिन बीजेपी के 31 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस पार्टी ने 222 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 80 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. कुल 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त की गई. जेडीएस पार्टी ने 2008 के चुनाव में 219 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 28 जेडीएस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. लेकिन कुल 107 उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा और उनकी जमानत जब्त हो गई. कुल 944 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 923 उम्मीदवारों की जमानत ज़ब्त कर ली गई.
2013 का चुनाव: 2013 के विधानसभा चुनाव में 224 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 2,948 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2,419 उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त की गई थी. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 223 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. इनमें से 40 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. लेकिन येदियुरप्पा की बगावत की आग में झुलसी भाजपा ने अपने 110 उम्मीदवारों की ज़मानत गंवा दी क्योंकि उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस पार्टी ने 224 निर्वाचन क्षेत्रों में से 122 सीटों पर जीत हासिल की. 23 उम्मीदवारों की जमानत जब्त कर ली गई. जेडीएस ने 222 सीटों में से 40 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि 110 उम्मीदवारों की जमा राशि वापस नहीं की गई. येदियुरप्पा द्वारा गठित केजेपी पार्टी द्वारा लड़े गए 204 निर्वाचन क्षेत्रों में से 6 सीटों पर जीत हासिल की. कुल 146 केजेपी उम्मीदवारों की जमानत जब्त कर ली गई. 1,217 गैर-दलीय उम्मीदवारों में से 9 जीते, जबकि कुल 1,190 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी चुनावी जमानत खो दी.
2018 में कितने की जमानत गई? : 2018 के चुनाव में 224 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 2,892 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. इसमें से कुल 1,146 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. 2018 में बीजेपी के 224 में से 104 उम्मीदवार जीते थे. लेकिन बीजेपी के 39 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस पार्टी के 223 प्रत्याशियों में से 80 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. 13 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त कर ली गई थी. जेडीएस पार्टी के 202 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले 37 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, लेकिन कुल 107 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. कुल 1,153 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़े, जिनमें से 1,138 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.