चंडीगढ़: पंजाबियों में विदेश जाने का विशेष आकर्षण देखने को मिलता है. इसी चलन के बीच कनाडा पंजाबियों की पहली पसंद बन गया है. कनाडा आव्रजन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 3 साल में कनाडा आने वाले भारतीयों की संख्या में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इनमें से अधिकतर पंजाबी हैं. बता दें कि दुनिया में 195 देश ऐसे हैं जिनमें यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व जैसे देशों में पंजाबी बसे हैं, लेकिन आव्रजन विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक कनाडा पंजाबियों की पहली पसंद बनता जा रहा है. जहां हर साल हजारों पंजाबवासी पीआर, स्टडी वीजा और वर्क परमिट के जरिए कनाडा जा रहे हैं. कनाडा के महावाणिज्य दूत पैट्रिक हेबर्ट का कहना है कि कनाडा का सबसे बड़ा स्रोत देश, स्थायी निवासियों से लेकर व्यापारिक यात्रियों से लेकर छात्रों तक सभी श्रेणियों के अप्रवासियों की सेवा की जाती है. चाहे वह शिक्षा, संस्कृति, व्यवसाय, खेल या राजनीति हो, कनाडा की आप्रवासन प्रणाली अपनी अखंडता की रक्षा के लिए 24 घंटे काम कर रही है.
कनाडा में पंजाबियों की वर्तमान स्थिति: इसमें कोई संदेह नहीं है कि कनाडा में संसद से लेकर सड़क तक पंजाबियों का दबदबा है. लेकिन जैसे-जैसे कनाडा में जनसंख्या बढ़ती जा रही है या यूं कहें कि कनाडा में पंजाबियों की बहुतायत है. इसी तरह कनाडा की अर्थव्यवस्था और भूगोल पर भी असर पड़ रहा है. वर्तमान में कनाडा जाने वाले अधिकांश लोग छात्र हैं, जिनका वहां पर काम के घंटे अधिक होने और वेतन कम कर शोषण किया जा रहा है.
3 साल में 300 फीसदी भारतीय पहुंचे कनाडा: कनाडा सरकार की इमिग्रेशन वेबसाइट के मुताबिक, कनाडा जाने वाले भारतीयों की संख्या 2020 में 1,71,618 से बढ़कर 2022 तक 6,94,620 हो गई है. वहीं टूरिस्ट वीजा पर कनाडा जाने वालों की संख्या भी कम नहीं है. कनाडा जाने वाले पर्यटकों की संख्या 2020 में 55,404 से बढ़कर 2022 में 3,46,464 हो गई. इसी प्रकार 2020 में 80,880 छात्र कनाडा गए, जिनकी संख्या 2022 तक बढ़कर 2,26,095 हो गई और 2020 में 35,334 भारतीय सीधे पीआर के माध्यम से कनाडा गए, जिनकी संख्या 2022 तक बढ़कर 1,22,061 हो गई. वर्ष 2022 में, पंजाब से 70,000 से अधिक अप्रवासी कनाडा पहुंचे, जो भारत के सभी अप्रवासियों का लगभग 20 प्रतिशत है. इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक कनाडा पंजाबियों का सबसे पसंदीदा देश है.
कनाडा क्यों बना पंजाबियों की पहली पसंद? : पंजाब से कनाडा जाने वालों में अधिकतर पंजाब के ग्रामीण इलाकों के युवा होते हैं. यह प्रवृत्ति पंजाब के हर वर्ग और हर क्षेत्र में पाई जाने लगी है. कनाडा में 2021 की जनगणना के अनुसार, अंग्रेजी, फ्रेंच और मंदारिन के बाद पंजाबी चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. कनाडा के कुछ शहरों को तो मिनी पंजाब भी कहा जाता है. कनाडा में पंजाबियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पंजाबियों की संख्या को देखते हुए कनाडा में पंजाबी भाषा को प्राथमिकता दी गई है. कई बोर्डों और सड़कों पर भी पंजाबी भाषा लिखी मिलती है. यहां तक कि कनाडा सरकार में भी कई पंजाबी मंत्री हैं. कनाडा में कई पंजाबियों के पास बड़े व्यवसाय हैं, इसलिए वे नौकरियां देने में पंजाबी लोगों या पंजाबी लड़कों और लड़कियों को प्राथमिकता देते हैं. साथ ही कनाडा सरकार भी पंजाबियों को अधिक तरजीह देती है.
वहीं एपी एजुकेशन एंड कंसल्टेंट इन एजुकेशन के एचओडी जतिंदर एस चौहान का कहना है कि कई परिवार कनाडा जा रहे हैं और अधिकांश छात्रों को रहने के लिए घर की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यदि कोई घर किराए पर मिलता है, तो उसकी कीमत अधिक ली जाती है और स्थिति यह भी है कि कई छात्रों को एक ही कमरे में रहना पड़ता है. जैसे-जैसे कनाडा में जनसंख्या बढ़ती जा रही है, बुनियादी सुविधाओं की कमी महसूस की जा रही है.
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