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दिल्ली की सियासत : स्मृति ईरानी की सक्रियता ने बढ़ाई सरगर्मी

स्मृति ईरानी दिल्ली की रहने वाली हैं. प्रखर प्रवक्ता होने के साथ ही जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने में सफल रहती हैं. स्मृति ईरानी का जन्म दिल्ली के ही पंजाबी खत्री परिवार में हुआ है और वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चांदनी चौक में उतारा था. उस समय स्मृति ईरानी चुनाव हार गई थीं, लेकिन उसके बाद से उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में उभरी है. ऐसा माना जा रहा है कि पंजाबियों के साथ ही स्मृति ईरानी महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने में काफी सफल साबित होंगी.

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Published : Jun 8, 2022, 8:43 PM IST

नई दिल्ली : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में फंसे दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के बाद से ही बीजेपी अरविंद केजरीवाल शासित आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गई है. बीजेपी की तेजतर्रार नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सक्रियता जिस तरह बढ़ी है, इससे सियासी गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या वे आने वाले दिनों में दिल्ली बीजेपी का चेहरा तो नहीं बनने जा रही हैं.



सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के तुरंत बाद स्मृति ईरानी ने केजरीवाल सरकार पर सवाल दागा कि वह गद्दार को क्यों बचा रहे हैं? स्मृति ईरानी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक दिखाई दीं और बार-बार अरविंद केजरीवाल से पूछती रहीं कि केजरीवाल काले धन के मालिक सत्येंद्र जैन को क्यों बचाने में लगे हैं? पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी स्मृति ईरानी की लोकप्रियता और इसी जुझारू तेवर के सहारे अब आम आदमी पार्टी को कड़ी चुनौती देना चाहती है. सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के मामले में स्मृति ईरानी को मैदान में उतारने को लेकर सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आम आदमी पार्टी नेताओं को जवाब देने के लिए पार्टी ने स्मृति ईरानी को काफी सोच-विचार कर मैदान में उतारा है. यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है भाजपा.
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है भाजपा.
बीजेपी दिल्ली की सत्ता से वर्ष 1998 से दूर है. बीजेपी को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को मजबूत टक्कर देने वाले नेताओं की तलाश है. पार्टी ने दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता से पहले भोजपुरी के लोकप्रिय कलाकार और सांसद मनोज तिवारी के हाथों दिल्ली की कमान सौंप, उस तलाश को पूरी करने की कोशिश की थी, लेकिन मनोज तिवारी के नेतृत्व में पार्टी दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल और आम आदमी पार्टी के कैडर मतदाताओं को अपनी तरफ नहीं खींच पाई. पार्टी नेतृत्व को उम्मीद थी कि दिल्ली में रह रहे पुरवइया मतदाताओं के सहारे मनोज तिवारी अरविंद केजरीवाल को मात देने में सफल रहेंगे, लेकिन मनोज तिवारी यह संभव नहीं कर पाए. मनोज तिवारी के नेतृत्व में दिल्ली बीजेपी को वर्ष 2017 में नगर निगम चुनाव में जीत मिली, लेकिन वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी अरविंद केजरीवाल का मुकाबला करने में असफल रही. मनोज तिवारी के बाद पार्टी ने आदेश गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपी इस बदलाव के बावजूद आम आदमी पार्टी को घेरने में बीजेपी अब तक सफल नहीं रही है. इसका एक कारण पार्टी की गुटबाजी है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी दिल्ली के सभी सांसद और वरिष्ठ नेताओं को एकजुट कर आम आदमी पार्टी की राह मुश्किल करने में अब तक सफल नहीं हुए हैं. दूसरी ओर पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश और गुजरात में अपना विस्तार करने में जुट गई है. बुधवार को ही आम आदमी पार्टी ने अपने गुजरात इकाई को भंग कर नए सिरे से गठन करने का फैसला लिया है.
दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता
दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता
तो वहीं सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह स्मृति ईरानी सक्रिय हुई हैं अब इसे दिल्ली बीजेपी से जोड़कर देखा जा रहा है. गत वर्ष जब आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को लागू किया था, तब भी स्मृति ईरानी केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति के विरोध में खड़ी हुई थी. उन्होंने दिल्ली में वर्चुअल रैली की थी. उसके बाद जब नगर निगम के एकीकरण की घोषणा हुई तब आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर निगम चुनाव हारने के डर से डालने का आरोप लगाया, तब भी स्मृति ईरानी काफी मुखर हो गई थी. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इन राजनीतिक हालातों में स्मृति ईरानी का चेहरा पार्टी के लिए लाभदायक होगा. उन्होंने जिस तरह से गांधी परिवार को उनके घर में घेरा और अमेठी में राहुल को हराने में सफल रही, दिल्ली में भी स्मृति ईरानी का नेतृत्व यहां पार्टी को ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी.
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी.
स्मृति ईरानी दिल्ली की रहने वाली हैं. प्रखर प्रवक्ता होने के साथ ही जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने में सफल रहती हैं. स्मृति ईरानी का जन्म दिल्ली के ही पंजाबी खत्री परिवार में हुआ है और वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चांदनी चौक में उतारा था. उस समय स्मृति ईरानी चुनाव हार गई थीं, लेकिन उसके बाद से उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में उभरी है. ऐसा माना जा रहा है कि पंजाबियों के साथ ही स्मृति ईरानी महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने में काफी सफल साबित होंगी.
क्या आप के खिलाफ कामयाब हो सकेंगी स्मृति ईरानी.
क्या आप के खिलाफ कामयाब हो सकेंगी स्मृति ईरानी.

नई दिल्ली : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में फंसे दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के बाद से ही बीजेपी अरविंद केजरीवाल शासित आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गई है. बीजेपी की तेजतर्रार नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सक्रियता जिस तरह बढ़ी है, इससे सियासी गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या वे आने वाले दिनों में दिल्ली बीजेपी का चेहरा तो नहीं बनने जा रही हैं.



सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के तुरंत बाद स्मृति ईरानी ने केजरीवाल सरकार पर सवाल दागा कि वह गद्दार को क्यों बचा रहे हैं? स्मृति ईरानी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक दिखाई दीं और बार-बार अरविंद केजरीवाल से पूछती रहीं कि केजरीवाल काले धन के मालिक सत्येंद्र जैन को क्यों बचाने में लगे हैं? पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी स्मृति ईरानी की लोकप्रियता और इसी जुझारू तेवर के सहारे अब आम आदमी पार्टी को कड़ी चुनौती देना चाहती है. सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के मामले में स्मृति ईरानी को मैदान में उतारने को लेकर सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आम आदमी पार्टी नेताओं को जवाब देने के लिए पार्टी ने स्मृति ईरानी को काफी सोच-विचार कर मैदान में उतारा है. यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है भाजपा.
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है भाजपा.
बीजेपी दिल्ली की सत्ता से वर्ष 1998 से दूर है. बीजेपी को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को मजबूत टक्कर देने वाले नेताओं की तलाश है. पार्टी ने दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता से पहले भोजपुरी के लोकप्रिय कलाकार और सांसद मनोज तिवारी के हाथों दिल्ली की कमान सौंप, उस तलाश को पूरी करने की कोशिश की थी, लेकिन मनोज तिवारी के नेतृत्व में पार्टी दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल और आम आदमी पार्टी के कैडर मतदाताओं को अपनी तरफ नहीं खींच पाई. पार्टी नेतृत्व को उम्मीद थी कि दिल्ली में रह रहे पुरवइया मतदाताओं के सहारे मनोज तिवारी अरविंद केजरीवाल को मात देने में सफल रहेंगे, लेकिन मनोज तिवारी यह संभव नहीं कर पाए. मनोज तिवारी के नेतृत्व में दिल्ली बीजेपी को वर्ष 2017 में नगर निगम चुनाव में जीत मिली, लेकिन वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी अरविंद केजरीवाल का मुकाबला करने में असफल रही. मनोज तिवारी के बाद पार्टी ने आदेश गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपी इस बदलाव के बावजूद आम आदमी पार्टी को घेरने में बीजेपी अब तक सफल नहीं रही है. इसका एक कारण पार्टी की गुटबाजी है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी दिल्ली के सभी सांसद और वरिष्ठ नेताओं को एकजुट कर आम आदमी पार्टी की राह मुश्किल करने में अब तक सफल नहीं हुए हैं. दूसरी ओर पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश और गुजरात में अपना विस्तार करने में जुट गई है. बुधवार को ही आम आदमी पार्टी ने अपने गुजरात इकाई को भंग कर नए सिरे से गठन करने का फैसला लिया है.
दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता
दिल्ली बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष आदेश गुप्ता
तो वहीं सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह स्मृति ईरानी सक्रिय हुई हैं अब इसे दिल्ली बीजेपी से जोड़कर देखा जा रहा है. गत वर्ष जब आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को लागू किया था, तब भी स्मृति ईरानी केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति के विरोध में खड़ी हुई थी. उन्होंने दिल्ली में वर्चुअल रैली की थी. उसके बाद जब नगर निगम के एकीकरण की घोषणा हुई तब आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर निगम चुनाव हारने के डर से डालने का आरोप लगाया, तब भी स्मृति ईरानी काफी मुखर हो गई थी. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इन राजनीतिक हालातों में स्मृति ईरानी का चेहरा पार्टी के लिए लाभदायक होगा. उन्होंने जिस तरह से गांधी परिवार को उनके घर में घेरा और अमेठी में राहुल को हराने में सफल रही, दिल्ली में भी स्मृति ईरानी का नेतृत्व यहां पार्टी को ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी.
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी.
स्मृति ईरानी दिल्ली की रहने वाली हैं. प्रखर प्रवक्ता होने के साथ ही जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने में सफल रहती हैं. स्मृति ईरानी का जन्म दिल्ली के ही पंजाबी खत्री परिवार में हुआ है और वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चांदनी चौक में उतारा था. उस समय स्मृति ईरानी चुनाव हार गई थीं, लेकिन उसके बाद से उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में उभरी है. ऐसा माना जा रहा है कि पंजाबियों के साथ ही स्मृति ईरानी महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने में काफी सफल साबित होंगी.
क्या आप के खिलाफ कामयाब हो सकेंगी स्मृति ईरानी.
क्या आप के खिलाफ कामयाब हो सकेंगी स्मृति ईरानी.
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