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टॉफी के शौकीनों के लिए खुशखबरी, CAMPCO ने लॉन्च की जैकफ्रूट एक्लेयर चॉकलेट - facts of chocolate

चॉकलेट, शब्द सुनते ही इसे खाने का मन करना स्वाभाविक है.  इसके दीवानों में हर उम्र के लोग शामिल हैं. त्योहार हो या कोई जन्मदिन, बदलते समय में चॉकलेट ने मिठाई की जगह तक ले ली है. चॉकलेट के शौकीन घर पर भी इसे बनाने से परहेज नहीं करते. बाजार में तरह-तरह के चॉकलेट मौजूद हैं.

chocolate facts, Jackfruit Eclair Chocolate
जैकफ्रूट एक्लेयर चॉकलेट
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Published : Jul 23, 2021, 6:15 PM IST

बेंगलुरु (कर्नाटक): चॉकलेट प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है और वो ये है कि अंतरराज्यीय सहकारी समिति कैम्पको अब कटहल के फ्लेवर वाली चॉकलेट टॉफी को मार्केट में लांच किया है. जैकफ्रूट एक्लेयर एक्लेयर चॉकलेट को वैक्यूम फ्राइड नेचुरल कटहल के टुकड़ों और पाउडर से बनाया गया है. यह पहली बार है जब भारत में फलों पर आधारित चॉकलेट उत्पाद शुरू हुआ है. कैंपको यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी है.

इस कटहल से चॉकलेट बनाने की एक बड़ी वजह है वैश्विक बाजार से मिल रही प्रतिस्पर्धा. दरअसल, जैकफ्रूट यानी कटहल की अब वैश्विक बाजार में भारी मांग है. इसे सुपर फूड के रूप में पेश किया जा रहा है, खासकर यूरोपीय देशों में. इस फल में कैल्शियम समेत कई तरह के मिनरल्स भी होते हैं.

सहकारी समिति ने अब से दो महीने में इस चॉकलेट के 50 टन उत्पादन की योजना बनाई है. बाद में बाजार की मांग के आधार पर इसकी प्रति माह 20 टन उत्पादन करने की योजना है.

जानें उत्पादन सामग्री के बारे में

एक टन चॉकलेट के उत्पादन के लिए 100 किलो ग्राम सूखे कटहल के चिप्स की आवश्यकता होती है. इसमें केरल और कर्नाटक के स्वादिष्ट कटहल का इस्तेमाल किया जाता है. एक जार में 80 चॉकलेट मटर, 2 रुपये प्रति पीस (5 ग्राम) और 160 ग्राम प्रति जार है.

पढ़ें: IND Vs SL 3rd ODI: भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी, इन खिलाड़ियों को मिला डेब्यू का मौका

पांच ग्राम वजन वाले प्रत्येक एक्लेयर की अधिकतम खुदरा कीमत 2 रखी गई है. इसे तैयार करने में किसी आर्टिफिशियल फ्लेवर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. चॉकलेट टॉफी 12% फल, चीनी और वसा से बनी होती है. इस चॉकलेट को अधिकतम 9 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है.

चॉकलेट का इतिहास

  • दौड़-भाग भरी जिंदगी में तनाव से होना लाजमी है, ऐसी स्थिति में चॉकलेट मददगार हो सकता है. कहा जाता है कि चॉकलेट की खुश्बू से तनाव दूर होता है। साथ ही इसे खाने से ऊर्जा आती है।
  • एक शोध में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट खाने से आंखों की शक्ति बढ़ती है साथ ही दिमाग के काम करने की भी क्षमता बढ़ जाती है.
  • 450 ग्राम चॉकलेट बनाने के लिए 400 कोको बींस की जरूरत पड़ती है.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मशहूर एम एंड एम चॉकलेट्स ने 1941 में सेना के सिपाहियों के लिए बनाई गईं थीं.
  • अमेरिका में लोग हर सेकंड करीब 100 पाउंड्स चॉकलेट खाते हैं.
  • दुनिया में लगभग 40% बादाम चॉकलेट बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं.
  • चॉकलेट के बढ़ते बिजनेस को देखते हुए अब मिल्क चॉकलेट में लिपटे हुए आलू के चिप्स भी लॉन्च हो चुके हैं.
  • आमतौर पर कहा जाता है कि चॉकलेट खाने से दांत खराब होते हैं मगर चॉकलेट में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है जिससे दांत खराब नहीं होते.
  • खांसी होने पर दवा से ज्यादा असर चॉकलेट करती है.

बेंगलुरु (कर्नाटक): चॉकलेट प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है और वो ये है कि अंतरराज्यीय सहकारी समिति कैम्पको अब कटहल के फ्लेवर वाली चॉकलेट टॉफी को मार्केट में लांच किया है. जैकफ्रूट एक्लेयर एक्लेयर चॉकलेट को वैक्यूम फ्राइड नेचुरल कटहल के टुकड़ों और पाउडर से बनाया गया है. यह पहली बार है जब भारत में फलों पर आधारित चॉकलेट उत्पाद शुरू हुआ है. कैंपको यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी है.

इस कटहल से चॉकलेट बनाने की एक बड़ी वजह है वैश्विक बाजार से मिल रही प्रतिस्पर्धा. दरअसल, जैकफ्रूट यानी कटहल की अब वैश्विक बाजार में भारी मांग है. इसे सुपर फूड के रूप में पेश किया जा रहा है, खासकर यूरोपीय देशों में. इस फल में कैल्शियम समेत कई तरह के मिनरल्स भी होते हैं.

सहकारी समिति ने अब से दो महीने में इस चॉकलेट के 50 टन उत्पादन की योजना बनाई है. बाद में बाजार की मांग के आधार पर इसकी प्रति माह 20 टन उत्पादन करने की योजना है.

जानें उत्पादन सामग्री के बारे में

एक टन चॉकलेट के उत्पादन के लिए 100 किलो ग्राम सूखे कटहल के चिप्स की आवश्यकता होती है. इसमें केरल और कर्नाटक के स्वादिष्ट कटहल का इस्तेमाल किया जाता है. एक जार में 80 चॉकलेट मटर, 2 रुपये प्रति पीस (5 ग्राम) और 160 ग्राम प्रति जार है.

पढ़ें: IND Vs SL 3rd ODI: भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी, इन खिलाड़ियों को मिला डेब्यू का मौका

पांच ग्राम वजन वाले प्रत्येक एक्लेयर की अधिकतम खुदरा कीमत 2 रखी गई है. इसे तैयार करने में किसी आर्टिफिशियल फ्लेवर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. चॉकलेट टॉफी 12% फल, चीनी और वसा से बनी होती है. इस चॉकलेट को अधिकतम 9 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है.

चॉकलेट का इतिहास

  • दौड़-भाग भरी जिंदगी में तनाव से होना लाजमी है, ऐसी स्थिति में चॉकलेट मददगार हो सकता है. कहा जाता है कि चॉकलेट की खुश्बू से तनाव दूर होता है। साथ ही इसे खाने से ऊर्जा आती है।
  • एक शोध में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट खाने से आंखों की शक्ति बढ़ती है साथ ही दिमाग के काम करने की भी क्षमता बढ़ जाती है.
  • 450 ग्राम चॉकलेट बनाने के लिए 400 कोको बींस की जरूरत पड़ती है.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मशहूर एम एंड एम चॉकलेट्स ने 1941 में सेना के सिपाहियों के लिए बनाई गईं थीं.
  • अमेरिका में लोग हर सेकंड करीब 100 पाउंड्स चॉकलेट खाते हैं.
  • दुनिया में लगभग 40% बादाम चॉकलेट बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं.
  • चॉकलेट के बढ़ते बिजनेस को देखते हुए अब मिल्क चॉकलेट में लिपटे हुए आलू के चिप्स भी लॉन्च हो चुके हैं.
  • आमतौर पर कहा जाता है कि चॉकलेट खाने से दांत खराब होते हैं मगर चॉकलेट में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है जिससे दांत खराब नहीं होते.
  • खांसी होने पर दवा से ज्यादा असर चॉकलेट करती है.
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