लखनऊ: यूपी में रामपुर और आजमगढ़ में 21 जून यानी मंगलवार शाम चुनाव प्रचार का दौर थम गया. रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए 23 जून को वोटिंग होगी. ये दोनों लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के नेताओं अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में अखिलेश यादव करहल और आजम खान रामपुर विधानसभा से चुने गए थे.
भले ही आजमगढ़ और रामपुर समाजवादी पार्टी के नेताओं के इस्तीफे से खाली हुई है मगर अब यह बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को अपने किले को बचाने की चुनौती है मगर बीजेपी इसे आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के लिए माहौल बनाने का बेहतरीन मौके के तौर पर देख रही है. इस कारण दोनों दलों ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. अगर बीजेपी इन सीटों में एक भी सीट जीत जाती है तो वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं को संदेश देने में कामयाब हो जाएगी. रामपुर में भाजपा ने प्रचार की कमान संसदीय कार्य व वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को सौंपी है. आजमगढ़ में प्रचार का जिम्मा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को दिया गया है.
समाजवादी पार्टी के नेता उपचुनाव के राजनीतिक उपचुनाव के परिणाम से वाकिफ हैं. आजमगढ़ के नसीरपुर में धर्मेंद्र यादव के लिए चुनाव प्रचार करते हुए आजम खान ने कहा था कि रामपुर या आजमगढ़ में चुनाव जीतने से हुकूमत नहीं बदलने वाली है, लेकिन हमें अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है. लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी की फैसला समाजवादी पार्टी को परेशान करने वाला है. बहुजन समाज पार्टी ने रामपुर में कैंडिडेट नहीं उतारा है लेकिन उसने आजमगढ़ में एक उम्मीदवार खड़ा किया है.
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आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव सपा के उम्मीदवार हैं . बीजेपी ने भोजपुरी सिने स्टार दिनेश यादव निरहुआ पर ही दोबारा दांव खेला है. निरहुआ 2019 में अखिलेश यादव के मुकाबले में भी खड़े हुए थे. बीएसपी ने मैदान में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उतारा है. शाह आलम ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मुबारकपुर से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रत्याशी थे. उन्हें विधानसभा चुनाव में हार मिली थी. हालांकि राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना समर्थन दिया है. चर्चा यह है कि उलेमा काउंसिल के समर्थन जीत की गारंटी नहीं है तो शाह आलम किसे नुकसान पहुंचाएंगे. समाजवादी पार्टी के लिए राहत की बात यह है कि विधानसभा चुनाव में सपा ने आजमगढ़ की सभी दस सीटों पर कब्जा किया था. आजमगढ़ में 1839052 वोटरों के हाथ में दिनेश यादव निरहुआ और धर्मेंद्र समेत सभी उम्मीदवारों का भविष्य टिका है. इस चुनाव में शिवपाल सिंह यादव भी खामोश हैं.
रामपुर में समाजवादी पार्टी के लिए आजम खान से चुनाव कमान संभाल रखी है. 27 महीने की जेल के बाद आजम खान ने सहानुभूति कार्ड खेल दिया है. उन्होंने राजनीतिक तौर से नई चाल भी चली है. इस्तीफे के बाद इस सीट से उन्होंने अपनी पत्नी तंजीन फातिमा के बजाय अपने करीबी आसिम रजा को टिकट दिलवाया है. बताया जा रहा है कि खुद अखिलेश यादव ने उम्मीदवार के चयन का जिम्मी आजम खान पर छोड़ दिया था. वैसे तो रामपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए कुल 6 उम्मीदवार मैदान में हैं मगर मुख्य मुकाबला सपा के आसिम राजा और भाजपा से घनश्याम सिंह लोधी के बीच है. रामपुर लोकसभा क्षेत्र में करीब 8.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं, हिंदू मतदाताओं की तादाद भी करीब 8.30 लाख है.
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