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कांग्रेस ने चीन पर सर्वदलीय बैठक की मांग की, बोली- विपक्षी दलों को भरोसा में ले सरकार - कांग्रेस सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी

कांग्रेस सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने चीन की सीमा पर घुसपैठ को लेकर शीघ्र ही सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को चीन के साथ चल रही बात का ब्योरा सारांश में भी देने की मांग को दोहराया. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

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Published : Apr 5, 2023, 5:40 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने चीनी सीमा घुसपैठ पर केंद्र से जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. इस संबंध में बुधवार को कांग्रेस के लोकसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि चीनी घुसपैठ को लेकर सरकार संसद में इस मुद्दे से जुड़े सवालों पर भी विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि चर्चा तो छोड़िए सरकार संसद में चीनी घुसपैठ से जुड़े सवालों पर भी गौर नहीं करती. तिवारी ने सर्वदलीय बैठक बुलाने के साथ ही वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को चीन के साथ चल रही बातचीत के बारे में जानकारी देने की मांग की.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चीन की घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार के दृष्टिकोण में पूरी तरह से अस्पष्टता है. सरकार की चीन नीति पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि 2014 में चुमार, 2017 डोकलाम, 2020 गलवान और 2022 यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ हो रही है, लेकिनर सरकार कोई सवाल का जवाब नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि 2020 के बाद से मैंने 65 प्रश्न प्रस्तुत किए हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर खारिज कर दिया गया. इसी प्रकार भाजपा सहित अन्य सदस्यों के सवालों का भी यही हश्र होता है.

मनीष तिवारी ने चीन, भारत और भूटान सीमाओं से जुड़े डोकलाम का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें डर है कि चीन और भूटान के बीच जल्द ही एक सीमा समझौता हो सकता है. हालांकि भूटान नरेश ने भारत को आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे पर नई दिल्ली की संवदेनशीलता को ध्यान में रखा जाएगा. कांग्रेस नेता का कहना था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध शुरू हुए तीन साल हो चुके है. सरकार को वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को चीन के साथ हुई बातचीत के बारे में बताना चाहिए. साथ ही सरकार को विपक्ष को भरोसे में भी लेना चाहिए और अगर वह ऐसा करती है तो इससे सरकार मजबूत ही होगी.

2020 की चीन की घुसपैठ के बाद सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने पिछली यूपीए सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने 2013 में स्थिति को बेहतर ढंग से संभाला था जब देपसांग क्षेत्र में इसी तरह की चीनी घुसपैठ हुई थी. तिवारी ने कहा कि हालांकि उस दौरान चीन के राष्ट्रपति को भारत की यात्रा करनी थी, लेकिन यूपीए सरकार के बेहतर तरीके से संभालने की वजह से पीएलए के सैनिक एलएसी से वापस चले गए थे.

तिवारी के अनुसार, 2020 में सर्वदलीय बैठक में पीएम के यह कहने के कारण कि कोई भी भारतीय सीमा के अंदर नहीं आया था और किसी ने भी भारतीय भूमि नहीं ली थी, चीन सीमा पर स्थिति जटिल हो गई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल, एसएसपी लद्दाख ने नई दिल्ली में एक शीर्ष पुलिस बैठक में एक लिखित पत्र प्रस्तुत किया गया था जिसमें उन्होंने सीमा की स्थिति का विवरण दिया था. इस पेपर में कहा गया है कि एलएसी पर 65 में से 25 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तक हमारी पहुंच खत्म हो गई है. इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि लगभग 2000 वर्ग किमी का क्षेत्र चीन को खोना है. कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 19 बार मुलाकात की है और 5 बार चीन का दौरा किया है. वर्तमान में, लगभग 50,000 से 60,000 भारतीय सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया गया है. वहीं चीन ने 1993 से हमारे साथ हुए विभिन्न शांति समझौतों का सम्मान नहीं किया है. कांग्रेस सांसद के अनुसार, भारत और चीन के बीच 101 डॉलर का व्यापार घाटा चीन के लिए फायदेमंद हो रहा था और शायद सीमा पर चीनी आक्रमण को बढ़ावा दे रहा था.

ये भी पढ़ें - US Report on India China dispute: अमेरिकी रिपोर्ट में दावा- LAC पर सैन्य विस्तार से टकराव की संभावना बढ़ी

नई दिल्ली : कांग्रेस ने चीनी सीमा घुसपैठ पर केंद्र से जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. इस संबंध में बुधवार को कांग्रेस के लोकसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि चीनी घुसपैठ को लेकर सरकार संसद में इस मुद्दे से जुड़े सवालों पर भी विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि चर्चा तो छोड़िए सरकार संसद में चीनी घुसपैठ से जुड़े सवालों पर भी गौर नहीं करती. तिवारी ने सर्वदलीय बैठक बुलाने के साथ ही वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को चीन के साथ चल रही बातचीत के बारे में जानकारी देने की मांग की.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चीन की घुसपैठ के मुद्दे पर सरकार के दृष्टिकोण में पूरी तरह से अस्पष्टता है. सरकार की चीन नीति पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि 2014 में चुमार, 2017 डोकलाम, 2020 गलवान और 2022 यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ हो रही है, लेकिनर सरकार कोई सवाल का जवाब नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि 2020 के बाद से मैंने 65 प्रश्न प्रस्तुत किए हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर खारिज कर दिया गया. इसी प्रकार भाजपा सहित अन्य सदस्यों के सवालों का भी यही हश्र होता है.

मनीष तिवारी ने चीन, भारत और भूटान सीमाओं से जुड़े डोकलाम का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें डर है कि चीन और भूटान के बीच जल्द ही एक सीमा समझौता हो सकता है. हालांकि भूटान नरेश ने भारत को आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे पर नई दिल्ली की संवदेनशीलता को ध्यान में रखा जाएगा. कांग्रेस नेता का कहना था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध शुरू हुए तीन साल हो चुके है. सरकार को वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को चीन के साथ हुई बातचीत के बारे में बताना चाहिए. साथ ही सरकार को विपक्ष को भरोसे में भी लेना चाहिए और अगर वह ऐसा करती है तो इससे सरकार मजबूत ही होगी.

2020 की चीन की घुसपैठ के बाद सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने पिछली यूपीए सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने 2013 में स्थिति को बेहतर ढंग से संभाला था जब देपसांग क्षेत्र में इसी तरह की चीनी घुसपैठ हुई थी. तिवारी ने कहा कि हालांकि उस दौरान चीन के राष्ट्रपति को भारत की यात्रा करनी थी, लेकिन यूपीए सरकार के बेहतर तरीके से संभालने की वजह से पीएलए के सैनिक एलएसी से वापस चले गए थे.

तिवारी के अनुसार, 2020 में सर्वदलीय बैठक में पीएम के यह कहने के कारण कि कोई भी भारतीय सीमा के अंदर नहीं आया था और किसी ने भी भारतीय भूमि नहीं ली थी, चीन सीमा पर स्थिति जटिल हो गई है. उन्होंने कहा कि पिछले साल, एसएसपी लद्दाख ने नई दिल्ली में एक शीर्ष पुलिस बैठक में एक लिखित पत्र प्रस्तुत किया गया था जिसमें उन्होंने सीमा की स्थिति का विवरण दिया था. इस पेपर में कहा गया है कि एलएसी पर 65 में से 25 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तक हमारी पहुंच खत्म हो गई है. इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि लगभग 2000 वर्ग किमी का क्षेत्र चीन को खोना है. कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 19 बार मुलाकात की है और 5 बार चीन का दौरा किया है. वर्तमान में, लगभग 50,000 से 60,000 भारतीय सैनिकों को एलएसी पर तैनात किया गया है. वहीं चीन ने 1993 से हमारे साथ हुए विभिन्न शांति समझौतों का सम्मान नहीं किया है. कांग्रेस सांसद के अनुसार, भारत और चीन के बीच 101 डॉलर का व्यापार घाटा चीन के लिए फायदेमंद हो रहा था और शायद सीमा पर चीनी आक्रमण को बढ़ावा दे रहा था.

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