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कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल की जेल में 4 रोहिंग्या कैदियों को वापस भेजने के फैसले पर रोक लगाई - पश्चिम बंगाल सुधार सेवा विभाग

कलकत्ता हाईकोर्ट ने चार रोहिंग्या को भारत से म्यांमार वापस भेजने के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि जब तक उनके प्रत्यावर्तन का मामला अंतिम रूप से नहीं सुलझा लिया जाता है, तब तक दम दम केंद्रीय सुधार गृह अधिकारियों को उनके रहने की बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट
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Published : Aug 4, 2022, 8:54 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने गुरुवार को चार रोहिंग्या दोषियों को म्यांमार वापस भेजने के पश्चिम बंगाल सुधार सेवा विभाग के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने राज्य सुधार सेवा विभाग को चार रोहिंग्या कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है. ये चार रोहिंग्या व्यक्ति वर्तमान में कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में दमदम केंद्रीय सुधार गृह में बंद हैं. हाल ही में, सुधार गृह अधिकारियों ने भी उन्हें सूचित किया कि उन्हें म्यांमार वापस जाना होगा.

चार रोहिंग्या कैदियों ने इस संबंध में न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ का ध्यान आकर्षित किया. न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के वकीलों से पूछा कि क्या इस मामले में कोई विशेष निर्देश है. केंद्र सरकार के वकील धीरज त्रिवेदी और राज्य सरकार के वकील अनिर्बान रॉय दोनों ने बताया कि पीठ ने इस तरह के किसी भी आदेश की जानकारी से इनकार किया.

इसके बाद न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने निर्देश दिया कि मौजूदा स्थिति में चारों याचिकाकर्ताओं को वापस म्यांमार नहीं भेजा जा सकता. उन्होंने यह भी आदेश दिया कि जब तक उनके प्रत्यावर्तन का मामला अंतिम रूप से नहीं सुलझा लिया जाता है, तब तक दम दम केंद्रीय सुधार गृह अधिकारियों को उनके रहने की बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी. मामले की फिर से 10 अगस्त 2022 को सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने याचिकाकर्ताओं के वकील को उस तारीख तक हलफनामे के रूप में मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने को कहा है.

ये भी पढे़ं : कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के लिए झारखंड के तीन विधायकों की याचिका खारिज की

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने गुरुवार को चार रोहिंग्या दोषियों को म्यांमार वापस भेजने के पश्चिम बंगाल सुधार सेवा विभाग के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने राज्य सुधार सेवा विभाग को चार रोहिंग्या कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है. ये चार रोहिंग्या व्यक्ति वर्तमान में कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में दमदम केंद्रीय सुधार गृह में बंद हैं. हाल ही में, सुधार गृह अधिकारियों ने भी उन्हें सूचित किया कि उन्हें म्यांमार वापस जाना होगा.

चार रोहिंग्या कैदियों ने इस संबंध में न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ का ध्यान आकर्षित किया. न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के वकीलों से पूछा कि क्या इस मामले में कोई विशेष निर्देश है. केंद्र सरकार के वकील धीरज त्रिवेदी और राज्य सरकार के वकील अनिर्बान रॉय दोनों ने बताया कि पीठ ने इस तरह के किसी भी आदेश की जानकारी से इनकार किया.

इसके बाद न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने निर्देश दिया कि मौजूदा स्थिति में चारों याचिकाकर्ताओं को वापस म्यांमार नहीं भेजा जा सकता. उन्होंने यह भी आदेश दिया कि जब तक उनके प्रत्यावर्तन का मामला अंतिम रूप से नहीं सुलझा लिया जाता है, तब तक दम दम केंद्रीय सुधार गृह अधिकारियों को उनके रहने की बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी. मामले की फिर से 10 अगस्त 2022 को सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने याचिकाकर्ताओं के वकील को उस तारीख तक हलफनामे के रूप में मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने को कहा है.

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