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दुर्गा पूजा पंडालों में आगंतुकों का प्रवेश रहेगा प्रतिबंधित : कलकत्ता उच्च न्यायालय

महामारी की स्थिति को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस वर्ष भी पूजा पंडालों में आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश पारित किया.

Calcutta
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Published : Oct 2, 2021, 12:36 AM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने इस संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष भी पूजा पंडालों में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा.

जनहित याचिका हावड़ा जिले के निवासी अजय कुमार डे ने दायर की थी. उनका तर्क था कि महामारी की स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए त्योहार के दिनों में पूजा पंडालों के भीतर भीड़ को नियंत्रित करना अनिवार्य है. उनके तर्क को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया और आदेश पारित किया.

हालांकि न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा कि इसे जनता पर नहीं लगाया जा सकता है, जिन्हें स्वयं स्थिति से अवगत होना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से नव नियुक्त महाधिवक्ता सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय पेश हुए. उन्होंने तर्क दिया कि पिछले साल भी पूजा पंडाल के भीतर आगंतुकों के प्रवेश से संबंधित दो विशिष्ट निर्देशों का पालन करते हुए प्रतिबंध थे. राज्य सरकार इस साल भी उन्हीं निर्देशों का पालन करेगी.

पिछले साल भी अजय कुमार डे ने इसी तरह की याचिका के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. तब मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव कुमार बंदोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की.

यह भी पढ़ें-पुलिस के खिलाफ शिकायतों के लिए पैनल के बारे में सोच रहा था : सीजेआई

पिछले साल कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर 2020 और 21 अक्टूबर 2020 को दो विशिष्ट निर्देश दिए थे. पिछले साल की तरह बेरिकेडिंग एरिया में ही ढोल बजाने की इजाजत होगी. अंजलि (प्रार्थना करना) और सिंदूर की रस्म जैसी कोई रस्म नहीं होगी.

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने इस संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष भी पूजा पंडालों में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा.

जनहित याचिका हावड़ा जिले के निवासी अजय कुमार डे ने दायर की थी. उनका तर्क था कि महामारी की स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए त्योहार के दिनों में पूजा पंडालों के भीतर भीड़ को नियंत्रित करना अनिवार्य है. उनके तर्क को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया और आदेश पारित किया.

हालांकि न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा कि इसे जनता पर नहीं लगाया जा सकता है, जिन्हें स्वयं स्थिति से अवगत होना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से नव नियुक्त महाधिवक्ता सौमेंद्रनाथ मुखोपाध्याय पेश हुए. उन्होंने तर्क दिया कि पिछले साल भी पूजा पंडाल के भीतर आगंतुकों के प्रवेश से संबंधित दो विशिष्ट निर्देशों का पालन करते हुए प्रतिबंध थे. राज्य सरकार इस साल भी उन्हीं निर्देशों का पालन करेगी.

पिछले साल भी अजय कुमार डे ने इसी तरह की याचिका के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. तब मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव कुमार बंदोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की.

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पिछले साल कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर 2020 और 21 अक्टूबर 2020 को दो विशिष्ट निर्देश दिए थे. पिछले साल की तरह बेरिकेडिंग एरिया में ही ढोल बजाने की इजाजत होगी. अंजलि (प्रार्थना करना) और सिंदूर की रस्म जैसी कोई रस्म नहीं होगी.

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