कोलकाता : भारत में मंगलवार को भूटानी भिक्षुओं के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पहुंच गए हैं. यहां भूटान के केंद्रीय मठवासी निकाय के साथ अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) इसकी मेजबानी कर रहा है. भूटानी भिक्षुओं का प्रतिनिधिमंडल भारत में 30 नवंबर तक रहेगा. इस दौरे के दौरान, भिक्षुओं का नागार्जुन कोंडा, बुद्धवनम, अमरावती, राष्ट्रीय संग्रहालय और संकिसा सहित भारत में विभिन्न धार्मिक और बौद्ध विरासत स्थलों का दौरा करने का कार्यक्रम है. इस भूटानी प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से थिम्पू में केंद्रीय मठ निकाय के प्रमुख भिक्षु और भूटान के विभिन्न मठों के कुछ वरिष्ठ भिक्षु शामिल हैं.
भूटान के केंद्रीय मठवासी निकाय सचिव खेनपो उर्गेन ने कहा, " पीएम नरेंद्र मोदी ने हमेशा भारत में बौद्ध धर्म को महत्व दिया है. यह दोनों देशों के बीच एक बहुत ही पवित्र रिश्ता है, जो पूरी दुनिया को संदेश देता है कि भारत बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार करता है, जिसकी शुरुआत बोधगया से हुई थी." आईबीसी इंडिया के उप महासचिव जंगचुप चोदन ने कहा, " भारत ने पिछले कुछ वर्षों में बदलाव देखा है, खासकर आईबीसी की स्थापना के बाद. हम अन्य देशों के साथ बहुत अच्छे संबंध साझा करते हैं और इसी क्रम में हमने भूटान के मठवासी निकाय को हमारे पवित्र स्थानों की यात्रा के लिए आमंत्रित करने के बारे में सोचा."
बता दें कि भूटान का केंद्रीय मठवासी निकाय 'झुंग द्रात्शांग' 1620 में स्थापित किया गया था. देश का एकीकरण, कानूनों का संहिताकरण और शासन की दोहरी प्रणाली का संगठनात्मक विकास इस महत्वपूर्ण संस्था की स्थापना के बाद ही हुआ. भूटान के संविधान के अनुसार, झुंग द्रात्शांग एक स्वायत्त संस्था है, जिसे शाही सरकार के वार्षिक अनुदान से वित्तपोषित किया जाता है.
आईबीसी के भूटान में बौद्ध समुदायों के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं और इस प्रतिनिधिमंडल की यात्रा दोनों पक्षों के बीच संबंधों को और आगे बढ़ाएगी. भूटान का बौद्ध संघ और आईबीसी आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक बंधनों को मजबूत करने के साथ-साथ भारत और भूटान के बीच जनता के संबंधों को और दृढ़ के लिए सहयोग करेगी.
(एएनआई)