लखनऊ: यूपी में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव 2022 से पहले बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की अध्यक्ष और पूर्व सीएम मायावती (Mayawati) ने बड़ा एलान किया है. मायावती की पार्टी बीएसपी ने अब मुख्तार अंसारी से तौबा करते उससे दूरी बनाने का फैसला किया है. बसपा ने मऊ सीट से भीम राजभर को यूपी विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि 'बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली और माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए. इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मंडल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है.
मायावती ने आगे कहा कि जनता की कसौटी और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो.
इतना ही नहीं चुनाव से पहले ही मुख्तार को बीएसपी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है. मायावती की पार्टी ने मुख्तार को बीएसपी से आउट करने की रणनीति इसलिए बनाई है ताकि योगी सरकार द्वारा इन दिनों माफियाओं-बाहुबलियों और दूसरे अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे आपरेशनों को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाते हुए उस पर दागियों को बढ़ावा देने का सियासी हमला न बोल सके.
कहा जा सकता है कि मजबूरी में ही सही, पर मायावती की पार्टी बीएसपी मूर्तियों और स्मारकों के बाद अब माफियाओं से दूरी बनाकर उनसे तौबा करने का फैसला लेते हुई अपनी चाल-चरित्र और चेहरे में बदलाव कर खुद को मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करने की तैयारी में जुट गई है.
मुख्तार ने अपने सियासी करियर की शुरुआत बीएसपी से की थी
वैसे यह कोई पहली बार नहीं है, जब मुख्तार अंसारी को बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. मुख्तार ने अपने सियासी करियर की शुरुआत बीएसपी से ही की थी. 1996 में वह हाथी की सवारी कर वह पहली बार विधानसभा पहुंचा था. हालांकि कुछ दिनों बाद ही मायावती ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया था. 2002 और 2007 का चुनाव वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता. 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले उसने दोबारा हाथी की सवारी की. उस चुनाव में बीएसपी ने उसने वाराणसी सीट से बीजेपी नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था.
लोकसभा के इस चुनाव में मुख्तार को हार का सामना करना पड़ा और थोड़े दिन बाद ही उसे फिर से बाहर कर दिया गया. साल 2012 में अंसारी ब्रदर्स ने अपनी अलग पार्टी कौमी एकता दल बनाई. मुख्तार 2012 में अपनी घर की पार्टी से चुनाव लड़कर लगातार चौथी बार विधायक बना. साल 2017 में मुख्तार ने अपनी पार्टी का बीएसपी में विलय कर दिया और पांचवीं बार विधायक का चुनाव लड़ा. हाथी का साथ मिलने से वह लगातार पांचवीं बार और जेल में रहते हुए तीसरा चुनाव जीतने में कामयाब रहा.