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आतंकियों की घुसपैठ से निपटने को बीएसएफ ने अपनाई नई प्रशिक्षण व्यवस्था - आईएसआई

सीमा सुरक्षा बल बदलती तकनीकों और बढ़ते खतरों को देखते हुए अब अपने कमांडो प्रशिक्षण मॉड्यूल को बदल दिया है. कमांडो को अब संशोधित बीओएसी प्रशिक्षण व्यवस्था से गुजरना होगा, जिसमें 26 विभिन्न बैटल फील्ड ऑब्सटेकल शामिल हैं.

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Published : Mar 1, 2021, 10:48 PM IST

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के माध्यम से पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को भारतीय सीमा में धेकेले जाने के बीच अब ऐसी घटनाओं से पार पाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने कमांडो प्रशिक्षण मॉड्यूल को बदल दिया है.

सीमा सुरक्षा बल ने एक नई प्रशिक्षण व्यवस्था को अपनाया है, क्योंकि पाकिस्तान की प्रमुख खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने अब जम्मू एवं राजस्थान सेक्टरों में आईबी के माध्यम से आतंकवादियों को भेजना शुरू कर दिया है.

यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ अपने सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया गया है. पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा तंत्र की देखरेख करने वाले एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान सिर्फ आतंकवादियों को ही नहीं, बल्कि इन क्षेत्रों में हथियारों और ड्रग्स भी भारत में धकेल रहा है.

भूमिगत सुरंगों और ड्रोन जैसे विभिन्न तरीकों से घाटी में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के साथ-साथ आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने की आईएसआई की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, बीएसएफ ने कमांडो के प्रशिक्षण की गुणवत्ता को अगले स्तर तक बढ़ाने के लिए अपने बैटल ऑब्सटेकल असॉल्ट कोर्स (बीओएसी) को अपडेट किया है.

कमांडो को अब संशोधित बीओएसी प्रशिक्षण व्यवस्था से गुजरना होगा, जिसमें 26 विभिन्न बैटल फील्ड ऑब्सटेकल शामिल हैं.

रेंजर्स स्विंग, स्पाइडर वेब, पैरेलल रोप, पेट्रोलियम टावर्स, टाइगर लीप, बर्मा ब्रिज, टार्जन स्विंग और सक्सेसिव ड्रॉप 26 बीओएसी में से एक हैं, जो बीएसएफ अपने सभी कमांडो को मुहैया कराएगा.

इसके अलावा कृत्रिम दीवार पर चढ़ना, फ्री फिक्स नॉटेड झूमर चढ़ाई, सीट रैपलिंग, फ्री रैपलिंग, कैजुअल्टी इवैक्यूएशन रैपलिंग और टीम स्लाईटरिंग अन्य ऑब्सटेकल कोर्सेस (बाधा पाठ्यक्रम) में से हैं, जो बीएसएफ कमांडो की ताकत बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो उन्हें फील्ड ड्यूटी के दौरान असाधारण परिस्थितियों से निपटने में निपटने में सक्षम बनाते हैं.

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बदलती तकनीकों और बढ़ते खतरों के साथ, इन संशोधित पाठ्यक्रमों के माध्यम से हमारे बल के कमांडो को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि 3,323 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान और 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा के लिए 2.50 लाख जवानों के साथ मजबूत बल के लिए ऐसी गतिविधियां अनिवार्य हो जाती हैं.

अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, 'लाइन ऑफ कंट्रोल के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल हमलावरों से, बल्कि आतंकवादी घुसपैठ और ड्रग्स और हथियारों की तस्करी पर भी अंकुश लगाएं.'

पढ़ेंः यूपी एटीएस ने रोहिंग्या को देश में दाखिल कराने वाले दो मानव तस्करों को किया गिरफ्तार

बीएसएफ के एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'बीओएसी कमांडो कोर्स का हिस्सा है. यह लंबे समय से चलन में है, लेकिन हमने इसे समय की जरूरत के अनुसार संशोधित किया है.'

अपने कमांडोज की क्षमता को बढ़ाने के लिए, बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने सोमवार को अपने एमईआरयू कैंप में नवनिर्मित बीओएसी कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो बल के जवानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और पिछले दो तिमाहियों में विभिन्न पहल की गई हैं.

इस दौरान अपने संबोधन में अस्थाना ने यह भी उल्लेख किया कि नए बुनियादी ढांचे और पहलों से बीएसएफ कर्मियों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता अगले स्तर तक बढ़ जाएगी.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के माध्यम से पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को भारतीय सीमा में धेकेले जाने के बीच अब ऐसी घटनाओं से पार पाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने कमांडो प्रशिक्षण मॉड्यूल को बदल दिया है.

सीमा सुरक्षा बल ने एक नई प्रशिक्षण व्यवस्था को अपनाया है, क्योंकि पाकिस्तान की प्रमुख खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने अब जम्मू एवं राजस्थान सेक्टरों में आईबी के माध्यम से आतंकवादियों को भेजना शुरू कर दिया है.

यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ अपने सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया गया है. पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा तंत्र की देखरेख करने वाले एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान सिर्फ आतंकवादियों को ही नहीं, बल्कि इन क्षेत्रों में हथियारों और ड्रग्स भी भारत में धकेल रहा है.

भूमिगत सुरंगों और ड्रोन जैसे विभिन्न तरीकों से घाटी में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के साथ-साथ आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने की आईएसआई की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, बीएसएफ ने कमांडो के प्रशिक्षण की गुणवत्ता को अगले स्तर तक बढ़ाने के लिए अपने बैटल ऑब्सटेकल असॉल्ट कोर्स (बीओएसी) को अपडेट किया है.

कमांडो को अब संशोधित बीओएसी प्रशिक्षण व्यवस्था से गुजरना होगा, जिसमें 26 विभिन्न बैटल फील्ड ऑब्सटेकल शामिल हैं.

रेंजर्स स्विंग, स्पाइडर वेब, पैरेलल रोप, पेट्रोलियम टावर्स, टाइगर लीप, बर्मा ब्रिज, टार्जन स्विंग और सक्सेसिव ड्रॉप 26 बीओएसी में से एक हैं, जो बीएसएफ अपने सभी कमांडो को मुहैया कराएगा.

इसके अलावा कृत्रिम दीवार पर चढ़ना, फ्री फिक्स नॉटेड झूमर चढ़ाई, सीट रैपलिंग, फ्री रैपलिंग, कैजुअल्टी इवैक्यूएशन रैपलिंग और टीम स्लाईटरिंग अन्य ऑब्सटेकल कोर्सेस (बाधा पाठ्यक्रम) में से हैं, जो बीएसएफ कमांडो की ताकत बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो उन्हें फील्ड ड्यूटी के दौरान असाधारण परिस्थितियों से निपटने में निपटने में सक्षम बनाते हैं.

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बदलती तकनीकों और बढ़ते खतरों के साथ, इन संशोधित पाठ्यक्रमों के माध्यम से हमारे बल के कमांडो को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि 3,323 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान और 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा के लिए 2.50 लाख जवानों के साथ मजबूत बल के लिए ऐसी गतिविधियां अनिवार्य हो जाती हैं.

अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, 'लाइन ऑफ कंट्रोल के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल हमलावरों से, बल्कि आतंकवादी घुसपैठ और ड्रग्स और हथियारों की तस्करी पर भी अंकुश लगाएं.'

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बीएसएफ के एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'बीओएसी कमांडो कोर्स का हिस्सा है. यह लंबे समय से चलन में है, लेकिन हमने इसे समय की जरूरत के अनुसार संशोधित किया है.'

अपने कमांडोज की क्षमता को बढ़ाने के लिए, बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने सोमवार को अपने एमईआरयू कैंप में नवनिर्मित बीओएसी कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जो बल के जवानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और पिछले दो तिमाहियों में विभिन्न पहल की गई हैं.

इस दौरान अपने संबोधन में अस्थाना ने यह भी उल्लेख किया कि नए बुनियादी ढांचे और पहलों से बीएसएफ कर्मियों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता अगले स्तर तक बढ़ जाएगी.

(आईएएनएस)

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