हैदराबाद: तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के बाद राज्य में पिछड़े वर्ग के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा को लेकर शनिवार को भाजपा पर हमला बोला और कहा कि केंद्र अभी तक एक ओबीसी कल्याण मंत्रालय गठित करने की मांग पर सहमत नहीं हुआ है. शुक्रवार को तेलंगाना के सूर्यापेट में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वादा किया था कि अगर राज्य में 30 नवंबर के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा सत्ता में आती है, तो पिछड़ा वर्ग के किसी नेता को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
यहां 'मीट द प्रेस' कार्यक्रम में शामिल हुए बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव ने याद दिलाया कि बीआरएस तब से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए एक मंत्रालय स्थापित करने की मांग उठा रही है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. उन्होंने कहा कि तेलंगाना विधानसभा ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया था और बीआरएस ने अपने पूर्ण सत्र में भी इसकी मांग की थी. केंद्र पर पिछड़े वर्गों के लिए जनगणना नहीं करने का आरोप लगाते हुए, बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि तेलंगाना सरकार के पास 2014 में उसके द्वारा किए गए ‘समग्र कुटुंब सर्वे’ के मद्देनजर पिछड़े वर्ग की आबादी से जुड़े आंकड़े हैं.
रामा राव ने कहा, 'नरेन्द्र मोदी जी ओबीसी समुदाय से हैं. क्या पिछले साढ़े नौ साल में इस देश में पिछड़े वर्ग की स्थिति बदल गई है. लोकतंत्र में यह सोचना सही नहीं है कि एक व्यक्ति के मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने से पूरे समुदाय को फायदा होगा.' यह रेखांकित हुए कि किसी व्यक्ति का स्वभाव उसकी जाति से अधिक महत्वपूर्ण है, रामा राव ने कहा कि एक नेता के फैसलों से संबंधित समुदाय को लाभ होना चाहिए. उन्होंने पूछा, 'राष्ट्रपति जी एक 'गिरिजन' (अनुसूचित जनजाति) महिला हैं. क्या इससे देश के सभी आदिवासियों और महिलाओं को फायदा हुआ है?'