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वृंदा करात का पत्र- 'नाबालिग से शादी' वाली टिप्पणी वापस लें सीजेआई - बम्बई उच्च न्यायालय

वृंदा करात ने मुख्य न्यायाधीश ए एस बोबडे से 'नाबालिग से शादी' वाली टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह करते हुए पत्र लिखा है. पढ़ें विस्तार से...

वृंदा करात का पत्र
वृंदा करात का पत्र
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Published : Mar 2, 2021, 10:15 PM IST

नई दिल्ली : माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े को पत्र लिखकर उनसे वह टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया है, जिसमें उन्होंने बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता के साथ विवाह करने के लिये तैयार है.

वृंदा ने कहा कि अदालतों को यह धारणा नहीं देनी चाहिए कि वह पीछे ले जाने वाले ऐसे दृष्टिकोणों का समर्थन करती है.

करात एक लोक सेवक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की गयी शीर्ष अदालत की टिप्पणी का जिक्र कर रही थी, जिस पर एक लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है और बम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी.

वाम नेता ने कहा कि इन सवालों ,शब्दों और कार्यों का नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में जमानत देने के गंभीर निहितार्थ हैं.

उन्होंने कहा, कृपया इस पर विचार करते हुए इन टिप्पणियों और सवालों को वापस लें. कृपया औरंगाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखें, जिसने निचली अदालत द्वारा आरोपी को दी गयी जमानत को जघन्य करार दिया था.

सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत की पीठ ने आरोपी से पूछा था, 'क्या तुम उससे (पीड़िता) से विवाह करने के इच्छुक हो . अगर उसके साथ तुम्हारी विवाह करने की इच्छा है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, नहीं तो तुम्हें जेल जाना होगा .

पढ़ें- सरकारी कर्मचारी पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट ने पूछा- पीड़िता से शादी करोगे ?

प्रधान न्यायाधीश के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी राम सुबमनियन भी शामिल थे. पीठ ने आरोपी से यह भी कहा, हम तुम्हारे ऊपर विवाह करने का दबाब नहीं बना रहे हैं.

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी पीड़िता के साथ शुरुआत में विवाह करने का इच्छुक था, लेकिन लड़की ने इंकार कर दिया था और अब उसकी शादी किसी और से हो गई है.

अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी एक लोक सेवक है तो पीठ ने कहा, लड़की के साथ बलात्कार करने से पहले तुमको यह सोचना चाहिये था. तुम जानते थे कि तुम एक सरकारी कर्मचारी हो.

शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की और उसे सुनवाई अदालत में नियमित जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी .

पत्र में वृंदा ने कहा, इस अपराधी ने लड़की का गला दबाया और उसके साथ बलात्कार किया, जब वह केवल 16 साल की थी. इसने 10-12 बार यह अपराध किया. लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की. क्या यह सहमति प्रदर्शित करता है.

नई दिल्ली : माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े को पत्र लिखकर उनसे वह टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया है, जिसमें उन्होंने बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता के साथ विवाह करने के लिये तैयार है.

वृंदा ने कहा कि अदालतों को यह धारणा नहीं देनी चाहिए कि वह पीछे ले जाने वाले ऐसे दृष्टिकोणों का समर्थन करती है.

करात एक लोक सेवक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की गयी शीर्ष अदालत की टिप्पणी का जिक्र कर रही थी, जिस पर एक लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है और बम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी.

वाम नेता ने कहा कि इन सवालों ,शब्दों और कार्यों का नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में जमानत देने के गंभीर निहितार्थ हैं.

उन्होंने कहा, कृपया इस पर विचार करते हुए इन टिप्पणियों और सवालों को वापस लें. कृपया औरंगाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखें, जिसने निचली अदालत द्वारा आरोपी को दी गयी जमानत को जघन्य करार दिया था.

सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत की पीठ ने आरोपी से पूछा था, 'क्या तुम उससे (पीड़िता) से विवाह करने के इच्छुक हो . अगर उसके साथ तुम्हारी विवाह करने की इच्छा है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, नहीं तो तुम्हें जेल जाना होगा .

पढ़ें- सरकारी कर्मचारी पर नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट ने पूछा- पीड़िता से शादी करोगे ?

प्रधान न्यायाधीश के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी राम सुबमनियन भी शामिल थे. पीठ ने आरोपी से यह भी कहा, हम तुम्हारे ऊपर विवाह करने का दबाब नहीं बना रहे हैं.

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी पीड़िता के साथ शुरुआत में विवाह करने का इच्छुक था, लेकिन लड़की ने इंकार कर दिया था और अब उसकी शादी किसी और से हो गई है.

अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी एक लोक सेवक है तो पीठ ने कहा, लड़की के साथ बलात्कार करने से पहले तुमको यह सोचना चाहिये था. तुम जानते थे कि तुम एक सरकारी कर्मचारी हो.

शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की और उसे सुनवाई अदालत में नियमित जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी .

पत्र में वृंदा ने कहा, इस अपराधी ने लड़की का गला दबाया और उसके साथ बलात्कार किया, जब वह केवल 16 साल की थी. इसने 10-12 बार यह अपराध किया. लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की. क्या यह सहमति प्रदर्शित करता है.

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