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एनडीआरएफ कमांडेंट ने बतायी गुजरात के मोरबी ब्रिज गिरने की मुख्य वजह - एनडीआरएफ

एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रसन्ना कुमार ने गुजरात के मोरबी में ब्रिज हादसे के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई अहम तथ्य बताएं. उन्होंने कहा कि पुल गिर गया क्योंकि यह भार सहन नहीं कर सका.

The bridge collapsed because it could not bear the weight...NDRF Commandant VVN Prasanna Kumar with ETV Bharat
मोरबी पुल गिरा क्योंकि यह भार सहन नहीं कर सका: एनडीआरएफ कमांडेंट
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Published : Nov 1, 2022, 12:19 PM IST

Updated : Nov 1, 2022, 12:28 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के कमांडेंट वीवीएन प्रसन्न कुमार ने वहां राहत प्रयासों की निगरानी करते हुए कहा कि मोरबी त्रासदी का मुख्य कारण यह था कि पुल पर क्षमता से 3-4 गुना अधिक भीड़ थी. कुछ लोगों का दावा है कि ब्रिज केबल्स को पकड़ना और उन्हें खतरनाक तरीके से हिलाना खतरनाक है. वह गुजरात में एनडीआरएफ इकाई के प्रमुख हैं और 5 टीमों के साथ मोरबी में राहत कार्यों में लगे हुए हैं. सोमवार को उन्होंने वहां के हालात को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत की.

भीड़ को नियंत्रित करने में विफल: मोरबी त्रासदी में अब तक 134 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. अन्य 5-10 लोग अभी भी लापता हैं. पुल में लगभग 125 लोग सवार हो सकते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जब यह गिरा तब उस पर 400 से अधिक लोग सवार थे. वास्तविक क्षमता से अधिक लोग थे. कुछ युवक लोहे के तारों को हिला रहे थे. इसी की वजह से दुर्घटना हुई. एक निजी कंपनी ने पुल का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है. कुछ का कहना है कि वे आगंतुकों से प्रवेश शुल्क लेते हैं. इस मामले में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है. कंपनी के प्रतिनिधि पर्यटकों को नियंत्रित करने में विफल रहे. सरकार का कहना है कि उन्होंने विभाग को बताये बगैर ब्रिल को लोगों के लिए खोल दिया.

ये भी पढ़ें- पहुंचामोरबी हादसा : न्यायिक जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल, 14 को होगी सुनवाई

बचने की संभावना कम: जो नदी में खो गए हैं उनके बचने की कोई संभावना नहीं है. हम इस आशय से राहत कार्य जारी रख रहे हैं कि कम से कम शवों को ढूंढकर परिवार वालों को सौंप दिया जाए. यहां एनडीआरएफ के 125 जवान काम में लगे हैं. रविवार को जब तक हमारी टीमें वडोदरा और गांधीनगर से मौके पर पहुंचीं तब तक स्थिति हाथ से निकल चुकी थी. हमने किसी की जान नहीं बचाई. हम मोरबी में अगले दो-तीन दिनों तक राहत कार्य जारी रखेंगे. मच्छू नदी में जहां त्रासदी हुई.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के कमांडेंट वीवीएन प्रसन्न कुमार ने वहां राहत प्रयासों की निगरानी करते हुए कहा कि मोरबी त्रासदी का मुख्य कारण यह था कि पुल पर क्षमता से 3-4 गुना अधिक भीड़ थी. कुछ लोगों का दावा है कि ब्रिज केबल्स को पकड़ना और उन्हें खतरनाक तरीके से हिलाना खतरनाक है. वह गुजरात में एनडीआरएफ इकाई के प्रमुख हैं और 5 टीमों के साथ मोरबी में राहत कार्यों में लगे हुए हैं. सोमवार को उन्होंने वहां के हालात को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत की.

भीड़ को नियंत्रित करने में विफल: मोरबी त्रासदी में अब तक 134 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. अन्य 5-10 लोग अभी भी लापता हैं. पुल में लगभग 125 लोग सवार हो सकते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जब यह गिरा तब उस पर 400 से अधिक लोग सवार थे. वास्तविक क्षमता से अधिक लोग थे. कुछ युवक लोहे के तारों को हिला रहे थे. इसी की वजह से दुर्घटना हुई. एक निजी कंपनी ने पुल का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है. कुछ का कहना है कि वे आगंतुकों से प्रवेश शुल्क लेते हैं. इस मामले में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है. कंपनी के प्रतिनिधि पर्यटकों को नियंत्रित करने में विफल रहे. सरकार का कहना है कि उन्होंने विभाग को बताये बगैर ब्रिल को लोगों के लिए खोल दिया.

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बचने की संभावना कम: जो नदी में खो गए हैं उनके बचने की कोई संभावना नहीं है. हम इस आशय से राहत कार्य जारी रख रहे हैं कि कम से कम शवों को ढूंढकर परिवार वालों को सौंप दिया जाए. यहां एनडीआरएफ के 125 जवान काम में लगे हैं. रविवार को जब तक हमारी टीमें वडोदरा और गांधीनगर से मौके पर पहुंचीं तब तक स्थिति हाथ से निकल चुकी थी. हमने किसी की जान नहीं बचाई. हम मोरबी में अगले दो-तीन दिनों तक राहत कार्य जारी रखेंगे. मच्छू नदी में जहां त्रासदी हुई.

Last Updated : Nov 1, 2022, 12:28 PM IST
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