आगरा : शादी के सपने हर कोई संजोता है. युवक हो या युवती, रिश्ता तय होते ही वे वैवाहिक रस्मों को अच्छे से निभाने से ख्वाब बुनने लगते हैं. सुहागरात को लेकर भी कई तरह की तैयारियां की जाती हैं, लेकिन कुछ शादीशुदा जोड़ों के लिए यह खास दिन जीवनभर का टेंशन बन जाता है. जिले के एक युवक के साथ ऐसा ही हुआ. सात फेरे लेकर ससुराल पहुंची दुल्हन किन्नर निकली. इलाज से भी कोई फायदा नहीं मिला. इसके बाद युवक ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर दी. सात साल बाद मुकदमे में कोर्ट ने पति के हक में फैसला सुनाया. कोर्ट ने शादी को शून्य घोषित कर दिया.
मामला जिले के एत्माद्दौला इलाके का है. वादी के अधिवक्ता अरुण शर्मा तेहरिया ने बताया कि सात साल पहले 27 जनवरी 2016 को इलाके के एक युवक की शादी हुई. धूमधाम से बारात गई. अगले दिन नई नवेली दुल्हन ससुराल पहुंची. दुल्हन के आने पर कई रस्में निभाई गईं. घर में मंगलगीत गाए जा रहे थे. परिवार के सभी लोग काफी खुश थे. इसके बाद रात में खाना खाने के बाद घर पर आए सभी मेहमान सो गए. युवक भी दुल्हन के कमरे में चला गया. सुहागरात पर उसे पता चला कि दुल्हन पूरी तरह स्त्री नहीं है. उसके प्राइवेट पार्ट आदि भी विकसित नहीं हैं. वह संबंध बनाने लायक नहीं है.
बदनामी के डर से खामोश रहा युवक : सच्चाई जानने के बावजूद युवक ने बदनामी के डर से परिजनों को कुछ नहीं बताया. वह गुपचुप पत्नी का इलाज कराता रहा, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. अधिवक्ता ने बताया कि इसके बाद वादी (पति) ने परिवार न्यायालय में याचिका प्रस्तुति कर दीय इसमें आरोप लगाया कि उसकी पत्नी पूर्ण स्त्री नहीं है. सुहागरात पर उसे पता चला कि उसके साथ छल हुआ है. वादी के अधिवक्ता ने बताया कि, परिवार न्यायालय ने वादी एवं विपक्षी के मध्य हुए विवाह को शून्य घोषित कर विवाह विच्छेद के आदेश पारित किए हैं. वादी का कहना था कि उसे डर था कि, लोग उसका और उसकी पत्नी का मजाक उड़ाएंगे. इस शादी से उसका जीवन कष्टमय हो गया थाय चिकित्सकों ने भी पत्नी के इलाज से हाथ खड़े कर दिए. उसकी पत्नी को कभी माहवारी भी नहीं हुई थी.
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