बेतिया : बिहार के बेतिया में नव नियुक्त शिक्षिका का झोपड़ी में योगदान करते हुए का वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो को लोग सोशल मीडिया में खूब शेयर कर रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं केके पाठक जी स्कूल कहां है? बैठने के लिए न तो कुर्सी है और न ही क्लास है, जमीन पर बैठकर शिक्षक कागजों पर योगदान दे रहे हैं. वायरल हो रहे वीडियो ने शिक्षा विभाग के 'योगदान' की पोल खोलकर रख दिया है. जो शिक्षिका बैठकर कागजों पर हस्ताक्षर कर रही है वह हाल ही बीपीएससी के द्वारा नवनियुक्त हुई है.
झोपड़ी में BPSC शिक्षक की ज्वाइनिंग : वायरल हो रहा वीडियो बैरिया प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गोबरही का बताया जा रहा है. जो शिक्षक बच्चों को पढ़ाने आए हैं उनको स्कूल के नाम पर झोपड़ी मिली है. कुर्सी की जगह धरती है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. केके पाठक भी इस स्कूल को खोजना चाहेंगे तो नहीं खोज पाएंगे. यह स्कूल सिर्फ कागजों पर ही दिखाई देता है. सोचिए इस सुनसान इलाके में बच्चे कैसे पढ़ने आते होंगे? इस वीडियो को देखकर आसानी से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
75 साल में बच्चों को स्कूल भी नसीब नहीं: नव नियुक्त शिक्षकों की भर्ती हो गई, लेकिन स्कूल ही नहीं है. खुले आसमान के नीचे एक 10X10 की एक झोपड़ी है. बिहार सरकार दावे तो करती है कि वो शिक्षा के क्षेत्र में विकास की इबारत लिख रहे हैं. नीतीश सरकार को 17 साल से ज्यादा का वक्त बिहार की बागडोर संभालते हो गया. इससे पहले आरजेडी की सरकारें थीं लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी यहां के नौ निहालों के लिए एक स्कूल भी नहीं दे पाए!
बिहार के शिक्षा विभाग की खुली पोल : बड़ा सवाल ये है कि क्या राजकीय प्राथमिक विद्यालय गोबरही झोपड़ी में चलता है? इसका जवाब हां में है तो ये शिक्षक कैसे और किसे पढ़ाएंगे? न तो स्कूल है न ही बच्चे हैं. नए शिक्षकों इस हाल में परेशान जरूर होंगे. ये वीडियो वायरल न होता तो शायद शिक्षा विभाग की पोल खोलती ये तस्वीर सामने न आ पाती.
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