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बीएसएफ : जिनके दम पर सुरक्षित हैं हमारे देश की सीमाएं - raising day of border security force

हम तभी तक सुरक्षित हैं जब तक सरहद पर हमारे जवान डटे हुए हैं. अपनी रातों की नींद को त्यागकर वे बराबर दुश्मन की नापाक हरकतों पर नजर रखते हैं, तब जाकर हमें चैन की नींद नसीब होती है. शरीर को गला देने वाली ठंड हो या तपता रेगिस्तान, वह निर्भीक होकर भारत मां की रक्षा करने के लिए डटे हुए हैं. जान तक न्यौछावर कर देश को आंच नहीं आने देने वाले सीमा सुरक्षा बल के जवानों को बीएसएफ के स्थापना दिवस पर सलाम...

जिनके दम पर सुरक्षित हैं हमारे देश की सीमाएं
जिनके दम पर सुरक्षित हैं हमारे देश की सीमाएं
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Published : Dec 1, 2020, 1:06 PM IST

हैदराबाद : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत के चार सीमा गश्ती बलों और गृह मंत्रालय के नियंत्रण में सात केंद्रीय पुलिस बलों (सीपीएफ) में से एक है. हालांकि देश की सीमाओं की रक्षा करना बीएसएफ का प्राथमिक कार्य है. सरहद पर दुश्मन आंख दिखा रहा हो, भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो, आपदा के समय निपटना हो, घरेलू शांति को खतरा हो, सभी से निपटने में बीएसएफ के हमारे जवान सक्षम हैं. बीएसएफ दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल है. बीएसएफ जवान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति अभियानों में भी भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं.

एक दिसंबर, 1965 को हुआ गठन
भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक दिसंबर, 1965 को एक विशेष बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का गठन किया गया. दरअसल, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई दिक्कतें आई थीं. जिसके बाद इसका गठन किया गया. बीएसएफ के निर्माण से पहले, भारत-पाक सीमा पर 1947 से 1965 तक सुरक्षा और पहरे की जिम्मेदारी राज्य पुलिस के जवानों पर थी. इस दौरान कई समस्याएं आईं. सबसे बड़ी दिक्कत कई राज्यों की पुलिस में तालमेल को लेकर रही.

पुलिस बलों ने संघीय सरकार से स्वतंत्र कार्य किया और अन्य राज्यों के साथ कम संचार बनाए रखा. पुलिस के ये जवान विषम हालात में काम करने के लिए पूरी तरह ट्रेंड भी नहीं थे. हथियार, उपकरण और संसाधन भी पर्याप्त नहीं थे. सेना या किसी केंद्रीय पुलिस बल के साथ बहुत कम या कोई समन्वय नहीं था. उनके पास मजबूत खुफिया आधारभूत संरचना की भी कमी थी. इसी वजह से देश की सरहदों की रक्षा के लिए अलग बल का गठन किया गया.

159 बटालियन हैं बीएसएफ की
बीएसएफ में एक महानिदेशक होता है, जिसके दिशानिर्देश में 159 बटालियन के करीब 220,000 जवान होते हैं. कई निदेशालयों जैसे ऑपरेशन, खुफिया विभाग, आईटी, प्रशिक्षण, प्रशासन से जुड़े कर्तव्यों काे अंजाम दिया जाता है. बीएसएफ भी भारत की उन कुछ सेनाओं में से एक है, जिसके पास समुद्री और विमानन क्षमताएं हैं. हालांकि बीएसएफ को सीमा सुरक्षा एजेंसी माना जाता है, लेकिन इसके वर्तमान कर्तव्य इस भूमिका से बहुत आगे निकल जाते हैं. घरेलू सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में भी इसकी अहम भूमिका रहती है.

सरहद की रक्षा
बीएसएफ के सीमा सुरक्षा कर्तव्यों को दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पश्चिमी क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के राज्यों के साथ 2,290 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा और जम्मू-कश्मीर में 237 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है. पूर्वी क्षेत्र भी कम चुनौतीभरा नहीं है. आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाना, तस्करी से अवैध आव्रजन, घुसपैठ जैसी समस्याओं से भी इन्हें निपटना होता है.

आतंकवाद का खात्मा / जवाबी कार्रवाई
बीएसएफ सक्रिय रूप से भारत के सामने आने वाले विभिन्न आतंकवादी और अलगाववादी खतरों को कम करने में सक्रिय रूप से शामिल है. उग्रवादियों के खिलाफ लड़ने, पंजाब पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने और सीमा बाड़ के निर्माण में भी इनकी भूमिका रहती है.

घरेलू सुरक्षा / कानून और व्यवस्था
गृह मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र पुलिस बल के रूप में, बीएसएफ की भूमिका सीमाओं से दूर क्षेत्रों में घरेलू सुरक्षा और कानून व्यवस्था के रख-रखाव की भी होती है. कहीं भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इन्हें लगाया जाता है.

आपदा प्रबंधन में भी माहिर हैं ये जवान
बीएसएफ में प्रशिक्षित बटालियन शामिल हैं और आपदा प्रबंधन के काम में भी ये माहिर हैं. इस क्षमता के साथ, बीएसएफ आपदा राहत और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अन्य सीपीएफ के आपदा प्रबंधन बलों के साथ संयोजन के रूप में, बीएसएफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (एनडीएमए) के दायरे में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) का हिस्सा है. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के समय जवानों ने जान पर खेलकर लोगों के बचाया था.

जनता से जुडे़ काम में भी अहम रोल
नागरिकों से जुड़ी सेवाओं में भी सीमा सुरक्षा बल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इन्हें समुदायों में सिविल मामलों की परियोजनाओं में भी शामिल किया जाता है. इन परियोजनाओं में स्थानीय बुनियादी ढांचे बनाना, स्कूलों और क्लीनिक का निर्माण, मुफ्त मेडिकल चेकअप, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करना शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन
संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य के रूप में भारत नियमित रूप से संयुक्त राष्ट्र-प्रायोजित शांति अभियानों के लिए अपने सैनिकों को विदेश भेजता है. बीएसएफ बटालियन को नियमित रूप से भारतीय दल के हिस्से के रूप में तैनात किया जाता है. बीएसएफ की भूमिका की बात की जाए तो ये नामीबिया, कंबोडिया, मोजाम्बिक, अंगोला, बोस्निया और हर्जेगोविना और हैती में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में शामिल रहा है.

कुल 725 जवानों ने दी शहादत

सालगैजेटेड आफिसरसहायक अधिकारीअन्य
20170848199
20180954184
20190546172

हैदराबाद : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत के चार सीमा गश्ती बलों और गृह मंत्रालय के नियंत्रण में सात केंद्रीय पुलिस बलों (सीपीएफ) में से एक है. हालांकि देश की सीमाओं की रक्षा करना बीएसएफ का प्राथमिक कार्य है. सरहद पर दुश्मन आंख दिखा रहा हो, भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो, आपदा के समय निपटना हो, घरेलू शांति को खतरा हो, सभी से निपटने में बीएसएफ के हमारे जवान सक्षम हैं. बीएसएफ दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल है. बीएसएफ जवान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति अभियानों में भी भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं.

एक दिसंबर, 1965 को हुआ गठन
भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक दिसंबर, 1965 को एक विशेष बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का गठन किया गया. दरअसल, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई दिक्कतें आई थीं. जिसके बाद इसका गठन किया गया. बीएसएफ के निर्माण से पहले, भारत-पाक सीमा पर 1947 से 1965 तक सुरक्षा और पहरे की जिम्मेदारी राज्य पुलिस के जवानों पर थी. इस दौरान कई समस्याएं आईं. सबसे बड़ी दिक्कत कई राज्यों की पुलिस में तालमेल को लेकर रही.

पुलिस बलों ने संघीय सरकार से स्वतंत्र कार्य किया और अन्य राज्यों के साथ कम संचार बनाए रखा. पुलिस के ये जवान विषम हालात में काम करने के लिए पूरी तरह ट्रेंड भी नहीं थे. हथियार, उपकरण और संसाधन भी पर्याप्त नहीं थे. सेना या किसी केंद्रीय पुलिस बल के साथ बहुत कम या कोई समन्वय नहीं था. उनके पास मजबूत खुफिया आधारभूत संरचना की भी कमी थी. इसी वजह से देश की सरहदों की रक्षा के लिए अलग बल का गठन किया गया.

159 बटालियन हैं बीएसएफ की
बीएसएफ में एक महानिदेशक होता है, जिसके दिशानिर्देश में 159 बटालियन के करीब 220,000 जवान होते हैं. कई निदेशालयों जैसे ऑपरेशन, खुफिया विभाग, आईटी, प्रशिक्षण, प्रशासन से जुड़े कर्तव्यों काे अंजाम दिया जाता है. बीएसएफ भी भारत की उन कुछ सेनाओं में से एक है, जिसके पास समुद्री और विमानन क्षमताएं हैं. हालांकि बीएसएफ को सीमा सुरक्षा एजेंसी माना जाता है, लेकिन इसके वर्तमान कर्तव्य इस भूमिका से बहुत आगे निकल जाते हैं. घरेलू सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में भी इसकी अहम भूमिका रहती है.

सरहद की रक्षा
बीएसएफ के सीमा सुरक्षा कर्तव्यों को दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पश्चिमी क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के राज्यों के साथ 2,290 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा और जम्मू-कश्मीर में 237 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है. पूर्वी क्षेत्र भी कम चुनौतीभरा नहीं है. आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाना, तस्करी से अवैध आव्रजन, घुसपैठ जैसी समस्याओं से भी इन्हें निपटना होता है.

आतंकवाद का खात्मा / जवाबी कार्रवाई
बीएसएफ सक्रिय रूप से भारत के सामने आने वाले विभिन्न आतंकवादी और अलगाववादी खतरों को कम करने में सक्रिय रूप से शामिल है. उग्रवादियों के खिलाफ लड़ने, पंजाब पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने और सीमा बाड़ के निर्माण में भी इनकी भूमिका रहती है.

घरेलू सुरक्षा / कानून और व्यवस्था
गृह मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र पुलिस बल के रूप में, बीएसएफ की भूमिका सीमाओं से दूर क्षेत्रों में घरेलू सुरक्षा और कानून व्यवस्था के रख-रखाव की भी होती है. कहीं भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इन्हें लगाया जाता है.

आपदा प्रबंधन में भी माहिर हैं ये जवान
बीएसएफ में प्रशिक्षित बटालियन शामिल हैं और आपदा प्रबंधन के काम में भी ये माहिर हैं. इस क्षमता के साथ, बीएसएफ आपदा राहत और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अन्य सीपीएफ के आपदा प्रबंधन बलों के साथ संयोजन के रूप में, बीएसएफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (एनडीएमए) के दायरे में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) का हिस्सा है. जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के समय जवानों ने जान पर खेलकर लोगों के बचाया था.

जनता से जुडे़ काम में भी अहम रोल
नागरिकों से जुड़ी सेवाओं में भी सीमा सुरक्षा बल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इन्हें समुदायों में सिविल मामलों की परियोजनाओं में भी शामिल किया जाता है. इन परियोजनाओं में स्थानीय बुनियादी ढांचे बनाना, स्कूलों और क्लीनिक का निर्माण, मुफ्त मेडिकल चेकअप, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करना शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन
संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य के रूप में भारत नियमित रूप से संयुक्त राष्ट्र-प्रायोजित शांति अभियानों के लिए अपने सैनिकों को विदेश भेजता है. बीएसएफ बटालियन को नियमित रूप से भारतीय दल के हिस्से के रूप में तैनात किया जाता है. बीएसएफ की भूमिका की बात की जाए तो ये नामीबिया, कंबोडिया, मोजाम्बिक, अंगोला, बोस्निया और हर्जेगोविना और हैती में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में शामिल रहा है.

कुल 725 जवानों ने दी शहादत

सालगैजेटेड आफिसरसहायक अधिकारीअन्य
20170848199
20180954184
20190546172
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