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बंबई उच्च न्यायालय ने स्टैन स्वामी की चिकित्सकीय जांच के आदेश दिए

अदालत के निर्देश के मुताबिक बृहस्पतिवार सुबह 10.30 बजे से पहले सरकारी अस्पताल में 84 वर्षीय स्वामी की चिकित्सकीय जांच कराई जाए.

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : May 19, 2021, 10:41 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने तलोजा जेल के अधिकारियों को बुधवार को निर्देश दिया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं पादरी स्टैन स्वामी को चिकित्सकीय जांच के लिए जेजे अस्पताल ले जाया जाए. स्वामी अभी नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं.

अदालत ने कहा कि बृहस्पतिवार सुबह साढ़े 10 बजे से पहले सरकारी अस्पताल में स्वामी (84) की चिकित्सकीय जांच कराई जाए.

न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ ने अस्पताल के डीन को विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समिति का गठन करने को कहा, जिसमें न्यूरो-चिकित्सक, एक ईएनटी विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, एक सामान्य चिकित्सक और स्वामी की चिकित्सकीय जांच के लिए आवश्यक अन्य चिकित्सक शामिल हो.

पीठ ने राज्य सरकार को 21 मई तक स्वामी की चिकित्सकीय रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया.

अदालत ने तलोजा जेल के अधिकारियों को 21 मई शाम चार बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए स्वामी को अदालत के समक्ष पेश करने की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया.

स्वामी ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ मार्च में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. विशेष अदालत ने चिकित्सकीय आधार पर स्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया था. स्वामी का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई रख रहे हैं.

न्यायमूर्ति शिंडे के नेतृत्व वाली एक पीठ ने चार मई को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य प्राधिकरण को 15 मई तक स्वामी के स्वास्थ्य से जुड़ी एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.

वकील देसाई ने तब अदालत से कहा था कि स्वामी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह तलोजा जेल के अस्पताल में हैं. वह पार्किंसन की बीमारी से भी ग्रसित हैं और सही से सुन भी नहीं पाते. कोविड-19 के मद्देनजर उन्हें अस्थायी जमानत दी जानी चाहिए.

पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी. यह भी आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था.

इसे भी पढ़ें : विफलता स्वीकार करना नेताओं और नौकरशाहों के स्वभाव में नहीं : हाई कोर्ट

मामले की जांच बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी. मामले में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव सहित कई कार्यकर्ताओं को मामले में गिरफ्तार किया गया है.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने तलोजा जेल के अधिकारियों को बुधवार को निर्देश दिया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं पादरी स्टैन स्वामी को चिकित्सकीय जांच के लिए जेजे अस्पताल ले जाया जाए. स्वामी अभी नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं.

अदालत ने कहा कि बृहस्पतिवार सुबह साढ़े 10 बजे से पहले सरकारी अस्पताल में स्वामी (84) की चिकित्सकीय जांच कराई जाए.

न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ ने अस्पताल के डीन को विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समिति का गठन करने को कहा, जिसमें न्यूरो-चिकित्सक, एक ईएनटी विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ, एक सामान्य चिकित्सक और स्वामी की चिकित्सकीय जांच के लिए आवश्यक अन्य चिकित्सक शामिल हो.

पीठ ने राज्य सरकार को 21 मई तक स्वामी की चिकित्सकीय रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया.

अदालत ने तलोजा जेल के अधिकारियों को 21 मई शाम चार बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए स्वामी को अदालत के समक्ष पेश करने की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया.

स्वामी ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ मार्च में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. विशेष अदालत ने चिकित्सकीय आधार पर स्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया था. स्वामी का पक्ष अदालत में वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई रख रहे हैं.

न्यायमूर्ति शिंडे के नेतृत्व वाली एक पीठ ने चार मई को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य प्राधिकरण को 15 मई तक स्वामी के स्वास्थ्य से जुड़ी एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.

वकील देसाई ने तब अदालत से कहा था कि स्वामी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह तलोजा जेल के अस्पताल में हैं. वह पार्किंसन की बीमारी से भी ग्रसित हैं और सही से सुन भी नहीं पाते. कोविड-19 के मद्देनजर उन्हें अस्थायी जमानत दी जानी चाहिए.

पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी. यह भी आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था.

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मामले की जांच बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी. मामले में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव सहित कई कार्यकर्ताओं को मामले में गिरफ्तार किया गया है.

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