मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिव्यांग रेप पीड़िता के 29 हफ्ते के गर्भ को गिराने की (Bombay High court allow abort 29 week pregnancy)अनुमति दी है. पीड़िता के माता-पिता ने अदालत से गर्भपात की अनुमति के लिए गुहार लगाई थी. अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करते हुए इसकी अनुमति दी है. कोल्हापुर जिले में बलात्कार की घटना के बाद एक 25 वर्षीय लड़की गर्भवती हो गई थी.
काफी समय बाद उसके माता पिता को बेटी के गर्भवती होने के बारे में पता चला. पीड़िता दिव्यांग है. इसके चलते पीड़ित परिवार की ओर से कहा गया कि अगर बच्चा पैदा हुआ तो पीड़िता अपने बच्चे की देखभाल नहीं कर पाएगी. पीड़िता के माता-पिता ने अदालत से अनुरोध किया कि 29 सप्ताह के गर्भ को हटाना उचित होगा. ऐसी स्थिति में गर्भपात के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उसके माता-पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट से गर्भपात कराने की अनुमति मांगी.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की उच्च न्यायालय पीठ ने सोमवार को एक दिव्यांंग गर्भवती महिला को अपने 29 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दी. कोर्ट ने डॉक्टरों की एक कमेटी नियुक्त की और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात की मंजूरी दी. कोर्ट ने गर्भपात के बाद की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने को कहा. रेप पीड़िता की वकील साइमा अंसारी ने जस्टिस रेवती मोहिते डेरे, जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच के सामने पीड़िता के बारे में तथ्य पेश किए. दिव्यांग पीड़िता सेरेब्रल पाल्सी से भी ग्रसित है.
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इसलिए वह अपना काम ठीक से नहीं कर पाती. ऐसे में वह बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ है. मेडिकल रिपोर्ट में उसकी सेहत के बारे में जानकारी दी गई. दुष्कर्म की घटना के बाद से पीड़िता मानसिक रूप से सदमे में है. यदि वह जन्म देती है, तो उसकी मृत्यु हो सकती है. दिव्यांग होने के कारण पहले से ही उसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत दी, माता-पिता की अर्जी के बाद मेडिकल कमेटी द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट देने के बाद कोर्ट ने गर्भपात को मंजूरी दी. अगर बच्चा पैदा होता है तो पीड़िता की जान बचाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.