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स्कूल की फीस किश्तों में देने की अनुमति का मामला, बॉम्बे HC का सरकार से जवाब तलब - BJP MLA

महाराष्ट्र सरकार से बंबई उच्च न्यायालय ने अभिभावकों को स्कूल की फीस किश्तों में देने की अनुमति पर दायर याचिका में जवाब मांगा है. याचिका में कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक संकट को देखते हुए अभिभावकों को किश्तों में स्कूल की फीस का भुगतान करने की अनुमति दी जाने का अनुरोध किया गया है.

बॉम्बे HC
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Published : Jun 16, 2021, 10:36 AM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) को उस एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation-PIL) पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के कारण आर्थिक संकट को देखते हुए अभिभावकों को किश्तों में स्कूल की फीस का भुगतान करने की अनुमति दी जाए.

न्यायमूर्ति एस पी देशमुख (Justice S P Deshmukh) और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी (Justice G S Kulkarni) की पीठ ने राज्य से यह भी बताने को कहा कि लोग महाराष्ट्र शैक्षिक संस्थान (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2011 के तहत गठित मंडल शुल्क नियामक समितियों से कैसे संपर्क कर सकते हैं.

पढ़ें : केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा, घर-घर जाकर कोविड-19 टीका लगाने की कोई नीति नहीं

भाजपा विधायक (BJP MLA) अतुल भाटखलकर (Atul Bhatkhalkar) द्वारा दाखिल जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि सरकार को शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश देना चाहिए कि वे 2020-21 और 2021-22 के लिए शुल्कों में छूट पर माता-पिता के अनुरोधों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें. इसमें कहा गया है कि संस्थानों को यह भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे माता-पिता को किश्तों में बकाया भुगतान करने की अनुमति दें.

याचिकाकर्ता के वकील बीरेंद्र सराफ (Advocate Birendra Saraf) ने कहा कि महामारी के दौरान, कई गैर सहायता प्राप्त स्कूलों ने अपनी फीस में वृद्धि की और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन के लिए अतिरिक्त शुल्क भी लेना शुरू कर दिया. उच्च न्यायालय इस महीने के अंत में जनहित याचिका पर आगे सुनवाई करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) को उस एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation-PIL) पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के कारण आर्थिक संकट को देखते हुए अभिभावकों को किश्तों में स्कूल की फीस का भुगतान करने की अनुमति दी जाए.

न्यायमूर्ति एस पी देशमुख (Justice S P Deshmukh) और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी (Justice G S Kulkarni) की पीठ ने राज्य से यह भी बताने को कहा कि लोग महाराष्ट्र शैक्षिक संस्थान (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2011 के तहत गठित मंडल शुल्क नियामक समितियों से कैसे संपर्क कर सकते हैं.

पढ़ें : केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा, घर-घर जाकर कोविड-19 टीका लगाने की कोई नीति नहीं

भाजपा विधायक (BJP MLA) अतुल भाटखलकर (Atul Bhatkhalkar) द्वारा दाखिल जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि सरकार को शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश देना चाहिए कि वे 2020-21 और 2021-22 के लिए शुल्कों में छूट पर माता-पिता के अनुरोधों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें. इसमें कहा गया है कि संस्थानों को यह भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे माता-पिता को किश्तों में बकाया भुगतान करने की अनुमति दें.

याचिकाकर्ता के वकील बीरेंद्र सराफ (Advocate Birendra Saraf) ने कहा कि महामारी के दौरान, कई गैर सहायता प्राप्त स्कूलों ने अपनी फीस में वृद्धि की और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन के लिए अतिरिक्त शुल्क भी लेना शुरू कर दिया. उच्च न्यायालय इस महीने के अंत में जनहित याचिका पर आगे सुनवाई करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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