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बेटा अगर सताये, तो मां-बाप लें कानून की मदद: बॉम्बे HC - Justice G S Kulkarni

अदालत ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का हवाला देकर कहा कि बुजुर्ग नागरिकों के रिश्तेदार यह सुनिश्चित करें कि वे उत्पीड़न से मुक्त होकर सामान्य जीवन व्यतीत करें. आज का मामला दुखद है, जिसमें एक बेटा अपने माता-पिता को बुढ़ापे में सामान्य जीवन देने के बजाय तकलीफें दे रहा है.

बॉम्बे HC
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Published : Sep 17, 2021, 6:15 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने आज एक याचिका की सुनवाई कर बुजुर्ग मां-बाप को सताने वाले एक बेटे को फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने कहा कि पीड़ित माता-पिता को अपने अधिकारों के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

जस्टिस जी एस कुलकर्णी (Justice G S Kulkarni) की एकल पीठ ने इस याचिका की सुनवाई की, जिसमें आशीष दलाल नामक व्यक्ति अपने 90 वर्षीय पिता और 89 वर्षीय माता को प्रताड़ित करता और उनकी प्रॉपर्टी पर अपना हक जमाने की शिकायत की गई थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक, आशीष इस बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा और शादीशुदा है.

इस याचिका की सुनवाई कर पीठ ने आशीष को ही अपने माता-पिता के फ्लैट को खाली करने का निर्देश दिया और बुजुर्ग दंपती से भी कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए और बेटे के उत्पीड़न से स्वयं की सुरक्षा के लिए अदालत से मांग कर सकते हैं.

पढ़ें : नारायण राणे अपने खिलाफ दर्ज छह प्राथमिकियों लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर करें : उच्च न्यायालय

पीठ ने यह तक कहा कि इस बुजुर्ग दंपति को देखकर अब इस कहावत में सच्चाई नजर आ रही है, कि बेटियां शादी के बाद भी बेटियां ही रहती हैं जबकि बेटे तब तक बेटे हैं, जब तक उनकी शादी न हों.

अदालत ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का हवाला देकर कहा कि बुजुर्ग नागरिकों के रिश्तेदार यह सुनिश्चित करें कि वे उत्पीड़न से मुक्त होकर सामान्य जीवन व्यतीत करें. आज का मामला दुखद है, जिसमें एक बेटा अपने माता-पिता को बुढ़ापे में सामान्य जीवन देने के बजाय तकलीफें दे रहा है.

(पीटीआई)

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने आज एक याचिका की सुनवाई कर बुजुर्ग मां-बाप को सताने वाले एक बेटे को फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने कहा कि पीड़ित माता-पिता को अपने अधिकारों के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

जस्टिस जी एस कुलकर्णी (Justice G S Kulkarni) की एकल पीठ ने इस याचिका की सुनवाई की, जिसमें आशीष दलाल नामक व्यक्ति अपने 90 वर्षीय पिता और 89 वर्षीय माता को प्रताड़ित करता और उनकी प्रॉपर्टी पर अपना हक जमाने की शिकायत की गई थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक, आशीष इस बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा और शादीशुदा है.

इस याचिका की सुनवाई कर पीठ ने आशीष को ही अपने माता-पिता के फ्लैट को खाली करने का निर्देश दिया और बुजुर्ग दंपती से भी कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए और बेटे के उत्पीड़न से स्वयं की सुरक्षा के लिए अदालत से मांग कर सकते हैं.

पढ़ें : नारायण राणे अपने खिलाफ दर्ज छह प्राथमिकियों लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर करें : उच्च न्यायालय

पीठ ने यह तक कहा कि इस बुजुर्ग दंपति को देखकर अब इस कहावत में सच्चाई नजर आ रही है, कि बेटियां शादी के बाद भी बेटियां ही रहती हैं जबकि बेटे तब तक बेटे हैं, जब तक उनकी शादी न हों.

अदालत ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का हवाला देकर कहा कि बुजुर्ग नागरिकों के रिश्तेदार यह सुनिश्चित करें कि वे उत्पीड़न से मुक्त होकर सामान्य जीवन व्यतीत करें. आज का मामला दुखद है, जिसमें एक बेटा अपने माता-पिता को बुढ़ापे में सामान्य जीवन देने के बजाय तकलीफें दे रहा है.

(पीटीआई)

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