नागपुर : बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने छोटे कपड़े पहने महिलाओं को नाचते हुए देखने को लेकर दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करते हुए कहा है कि मिनी स्कर्ट में महिलाओं द्वारा नृत्य करना अश्लीलता और अनैतिकता नहीं है. बताया जाता है कि पुलिस ने एक शिकायत के आधार पर 31 मई 2023 को नागपुर जिले के पैराडाइज रिजॉर्ट वॉटर पार्क तिरकुरा में छापा मारा था. इस दौरान छह महिलाएं छोटी स्कर्ट में डांस करती नजर आईं.
पुलिस ने पाया कि महिलाएं पुरुषों के सामने नाच रहीं थीं और लोग उन पर पैसे उड़ा रहे थे. इस वजह से महाराष्ट्र निषेध अधिनियम 1949 के तहत महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. हालांकि इनमें से पांच महिलाओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर मामले को रद्द करने की अपील की थी. उनका कहना था कि हम छोटी स्कर्ट पहनकर जो काम कर रहे हैं वह अश्लीलता की परिभाषा में नहीं आता है, इसलिए हमारे खिलाफ मुकदमा रद्द किया जाए.
आवेदक महिलाओं की ओर से अधिवक्ता अक्षय नायक ने दलील दी कि भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि लड़कियों को डांस करते देख बाकी लोगों को परेशानी हुई या उन्होंने इसे अनैतिक समझा. इसलिए उनका नाचना कोई अश्लील हरकत नहीं हो सकती. वहीं सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक एस डोईफोडे ने दलील दी कि पुलिस की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया है. इसमें इस बात का जिक्र है कि डांस से नाराज लोगों ने गुप्त रूप से इसकी जानकारी दी. उसी के आधार पर छापेमारी की गयी.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि छोटी स्कर्ट पहनना और उकसाने वाली हरकत करना अनैतिक की परिभाषा में नहीं आ सकता. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में एक संकीर्ण दृष्टिकोण रखना हमारी ओर से एक प्रतिगामी कृत्य होगा. हम मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद करेंगे. कोर्ट का कहना था कि यह भी देखा गया है कि अक्सर सेंसरशिप से पास होने वाली फिल्मों में ऐसी पोशाक सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भी बिना किसी परेशानी के देखी जाती थीं. इसलिए कोर्ट ने नाचने वाली महिलाओं के खिलाफ अपराध को रद्द करते हुए पुलिस को ऐसी घटनाओं को प्रगतिशील सोच के साथ देखने की सलाह दी. वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस वाल्मिकी मेंगेस और जस्टिस विनय जोशी ने महिलाओं के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया.
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