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गंगा के किनारे दफनाए गए शवों का अंतिम संस्कार कराने की मांग करने वाली याचिका खारिज - latest news of allahabad high court

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे पड़े शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्देश राज्य सरकार को देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.

गंगा के किनारे दफनाए गए शवों का अंतिम संस्कार
गंगा के किनारे दफनाए गए शवों का अंतिम संस्कार
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Published : Jun 19, 2021, 4:48 AM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गंगा किनारे घाटों पर शवों को दफनाने से रोकने और दफनाए गए शवों का दाह संस्कार करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची ने गंगा किनारे निवास करने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की परिपाटी व चलन को लेकर कोई रिसर्च नहीं किया है. उसे नये सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए यह याचिका वापस लेने की छूट देने के अलावा अदालत कोई अन्य आदेश नहीं दे सकती.

इसके साथ ही मामले की सुनवाई करने वाली मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव (Sanjay Yadav) और न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया (Prakash Padia ) की पीठ ने कहा कि याचि विभिन्न समुदायों में अंतिम संस्कार को लेकर परंपराओं और रीति रिवाज पर शोध व अध्ययन करके नए सिरे से बेहतर याचिका दाखिल कर सकता है.

हाईकोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि बड़ी संख्या में गंगा के किनारे दफनाए गए शवों को निकाल कर उनका दाह संस्कार किया जाए और गंगा के किनारे शवों को दफनाने से रोका जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिका देखने से ऐसा लगता है कि याची ने विभिन्न समुदायों की परंपराओं और रीति रिवाजों का अध्ययन किए बिना ही याचिका दाखिल कर दी है. इसके बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दिया. साथ ही कोर्ट ने याची को नए सिरे से बेहतर याचिका दाखिल करने की छूट दी है.

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर आने बाद प्रयागराज और उन्नाव समेत प्रदेश के कई जिलों में गंगा किनारे बड़ी संख्या में शव दफानाए हुए मिले थे. आशंका जताई गई थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों के शवों यहां दफनाया गया है. इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब हुई थी और विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. हालांकि बाद में यह बात सामने आई थी कि कुछ परिवार अपनी परंपराओं के मुताबिक ही गंगा के पास रेत में शवों को दफना रहे थे.

यह भी पढ़ें : मौत वाली माॅक ड्रिल: पारस हाॅस्पिटल के संचालक को मिली क्लीनचिट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गंगा किनारे घाटों पर शवों को दफनाने से रोकने और दफनाए गए शवों का दाह संस्कार करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची ने गंगा किनारे निवास करने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की परिपाटी व चलन को लेकर कोई रिसर्च नहीं किया है. उसे नये सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए यह याचिका वापस लेने की छूट देने के अलावा अदालत कोई अन्य आदेश नहीं दे सकती.

इसके साथ ही मामले की सुनवाई करने वाली मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव (Sanjay Yadav) और न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया (Prakash Padia ) की पीठ ने कहा कि याचि विभिन्न समुदायों में अंतिम संस्कार को लेकर परंपराओं और रीति रिवाज पर शोध व अध्ययन करके नए सिरे से बेहतर याचिका दाखिल कर सकता है.

हाईकोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि बड़ी संख्या में गंगा के किनारे दफनाए गए शवों को निकाल कर उनका दाह संस्कार किया जाए और गंगा के किनारे शवों को दफनाने से रोका जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिका देखने से ऐसा लगता है कि याची ने विभिन्न समुदायों की परंपराओं और रीति रिवाजों का अध्ययन किए बिना ही याचिका दाखिल कर दी है. इसके बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दिया. साथ ही कोर्ट ने याची को नए सिरे से बेहतर याचिका दाखिल करने की छूट दी है.

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर आने बाद प्रयागराज और उन्नाव समेत प्रदेश के कई जिलों में गंगा किनारे बड़ी संख्या में शव दफानाए हुए मिले थे. आशंका जताई गई थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों के शवों यहां दफनाया गया है. इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब हुई थी और विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. हालांकि बाद में यह बात सामने आई थी कि कुछ परिवार अपनी परंपराओं के मुताबिक ही गंगा के पास रेत में शवों को दफना रहे थे.

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