नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsewak) से संबद्ध बीएमएस (BMS) ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की मांग करते हुए राजस्थान सरकार के कदम की सराहना की है. बीएमएस ने इसके लिए एक बार फिर केंद्र सरकार से केंद्रीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाने की अपनी मांग दोहराई है. इसको लेकर सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ, भारतीय मजदूर संघ के तहत एक संबद्ध संगठन ने हाल ही में इस मामले के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.
आरएसएस से संबद्ध ट्रेड यूनियन ने अपने पत्र में अपने बजट 2022-23 में राजस्थान सरकार के उस फैसले का हवाला दिया है जिसमें राज्य सरकार ने राज्य के कर्मचारियों को फिर से पुरानी पेंशन योजना के तहत लाने की घोषणा की है. इसी तरह, कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे अन्य विपक्षी शासित राज्य भी आने वाले दिनों में इसका पालन करेंगे. इसको विशेषज्ञ जहां इसे एक लोकलुभावन उपाय के रूप में देखते हैं वहीं विपक्षी दल शासित राज्य सरकारें संबंधित राज्यों में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इसको लागू करने की योजना बना रही हैं. इसको देखते हुए बीएमएस ने केंद्र सरकार से पुरानी पेंशन पर वापस लौटने की मांग पर जोर दिया है.
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन ने भी वादा किया है कि वे सत्ता में वापस आने पर सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना वापस लाएंगे. इस बारे में भारतीय मजदूर संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह उनकी लंबे समय से लंबित मांग है. उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कर्मचारियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की गई है. इसको लेकर भारतीय मजदूर संघ और उससे जुड़े संघ लगातार मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ओपीएस के तहत लाया जाए. वहीं बीएमएस यह भी मांग कर रहा है कि यदि ओपीएस लागू नहीं किया जाता है, तो नई पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन गारंटी दी जानी चाहिए जो अंतिम आहरित वेतन के 50% से कम नहीं होनी चाहिए.
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सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ के मुताबिक विपक्षी दल शासित राज्य सरकारों और कुछ अन्य राजनीतिक दलों द्वारा राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणाओं ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों में यह भावना जगा दी है कि मोदी सरकार को भी अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाना चाहिए. गौरतलब है कि केंद्र सरकार के जिन कर्मचारियों की नियुक्ति 1 जनवरी 2004 या उसके बाद हुई थी, उन्हें मोदी सरकार द्वारा अंशदायी पेंशन योजना के तहत लाया गया था। इस कदम का आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ सहित लगभग सभी ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया था. कर्मचारी यह भी मांग कर रहे हैं कि सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत सामाजिक सुरक्षा के रूप में मिलने वाली पेंशन को जारी रखा जाए.