पटनाः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. कोरोना मरीजों को लेकर आए दिन नई-नई जानकारियां सामने आ रही है. कोरोना संक्रमितों की मौत के आंकड़े पर गौर करें तो 25 फीसदी से ज्यादा मरीजों की मौत हार्ट अटैक से हुई है. इसका कारण ब्लड क्लॉटिंग (blood clotting) बताया जा रहा है. वहीं, 15 फीसदी मरीजों की मौत कारण फेकड़ों का संक्रमण बताया जा रहा है. बिहार आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार (IMA Bihar Vice President Ajay Kumar) के मुताबिक कोरोना से हुई मौतों के बाद हुए ऑडिट में पाया गया है कि 25 फीसदी मरीजों की जान ब्लड क्लॉटिंग यानि खून के थक्के जमने के कारण गई है. खून के थक्के जमने के कारण मरीज को हार्ट अटैक या लकवा मार सकता है.
शोध में चौंकाने वाले खुलासे
दरअसल, पटना एम्स और आईजीआईएमएस में कोरोना से हुई मौत पर एक शोध किया गया है. जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. यहां पिछले 58 दिनों में कुल 1052 संक्रमितों की मौत हो हुई है. जिसमें से 280 मरीजों की मौत ब्लड क्लॉटिंग के बाद हार्ट अटैक और 150 की मौत फेफड़ों के संक्रमण से हुई है. डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आने के कारण मरीजों के इलाज के दौरान खून को पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है.
ऐसे करें बचाव
अब सवाल उठता है कि खून के थक्के जमने से रोकने का क्या उपाय है. इस संबंध में डॉ. अजय कुमार ने बताया कि 'कोरोना काल में मरीजों का घूमना-टहलना काफी कम हो गया है. जिससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बना रहता है. इसलिए मरीजों को फिजिकल मूवमेंट जारी रखना चाहिए. हल्की फुल्की एक्सरसाइज करनी चाहिए. कोरोना के गंभीर मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर कुछ दिनों तक खून पतला करने की दवा भी लेनी चाहिए. डॉक्टर अजय कुमार घर में आइसोलेशन में रह रहे लोगों को भी हल्की फुल्की कसरत करने की सलाह देते हैं.'
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