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SC का सुवेंदु अधिकारी की याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार, कलकत्ता HC के आदेश को दी थी चुनौती - Calcutta HC Order

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में विपक्ष नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के दौरान कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की उच्च न्यायालय ने अनुमति दी थी.

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Published : Jul 27, 2023, 1:56 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की उस याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के फैसले को उन्होंने चुनौती दी थी. हाल ही में पंचायत चुनाव के दौरान भड़काऊ बयान देने के लिए सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अनुमति दी थी. सुवेंदु अधिकारी की तरफ से वकील बांसुरी स्वराज ने गुरुवार को न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की अपील की.

पीठ ने तत्काल सुचीबद्ध करने से इनकार कर दिया. हालांकि, पीठ ने कहा कि मामला चार अगस्त को सूचीबद्ध किया जाएगा. वकील ने उससे पहले की तारीख यह कहकर मांगी की एक सप्ताह का वक्त लंबा हो सकता है, जिससे सुवेंदु अधिकारी को 'अनिश्चित स्थिति' डाल दिया जाएगा. जस्टिस कौल ने पहले से तय तारीख 4 अगस्त से सुनवाई आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. लेकिन जज ने आश्वासन दिया कि मामला 4 अगस्त की सूची से नहीं हटाया जाएगा.

गौरतलब है कि सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पारित 20 जुलाई 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए, इस पर अंतरिम राहत मांगी, जिसमें पुलिस अधिकारियों को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. याचिका में दलील दी गई कि तात्कालिकता का आधार यह है कि उक्त आदेश से सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हो सकती हैं और 24 जुलाई को वर्तमान विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के बाद एक एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है.

याचिका में कहा गया, "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए, याचिकाकर्ता को इतने महत्वपूर्ण मामले में जवाब दाखिल करने का कोई अवसर नहीं दिया गया. पीठ ने यह स्वीकार किया कि 6 सितंबर 2021 और 8 दिसंबर 2022 के आदेशों को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष कई मौकों पर चुनौती दी है, और इस तरह के आदेश अपरिवर्तित रहते हैं. इसके बावजूद एफआईआर दर्ज करने का निर्देश पारित किया."

पढ़ें : Suvendu Adhikari ने बंगाल पुलिस पर लगाया शख्स की हत्या का आरोप

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश का इस स्तर पर गंभीर प्रभाव हो सकता है, जिससे संभावित रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ अतिरिक्त एफआईआर दर्ज की जा सकती है. याचिका में कहा गया है, "पश्चिम बंगाल में पुलिस तंत्र मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के साथ मिला हुआ है और याचिकाकर्ता के खिलाफ लगातार मामले थोपने की हर कोशिश की जा रही है."

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की उस याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के फैसले को उन्होंने चुनौती दी थी. हाल ही में पंचायत चुनाव के दौरान भड़काऊ बयान देने के लिए सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अनुमति दी थी. सुवेंदु अधिकारी की तरफ से वकील बांसुरी स्वराज ने गुरुवार को न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की अपील की.

पीठ ने तत्काल सुचीबद्ध करने से इनकार कर दिया. हालांकि, पीठ ने कहा कि मामला चार अगस्त को सूचीबद्ध किया जाएगा. वकील ने उससे पहले की तारीख यह कहकर मांगी की एक सप्ताह का वक्त लंबा हो सकता है, जिससे सुवेंदु अधिकारी को 'अनिश्चित स्थिति' डाल दिया जाएगा. जस्टिस कौल ने पहले से तय तारीख 4 अगस्त से सुनवाई आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. लेकिन जज ने आश्वासन दिया कि मामला 4 अगस्त की सूची से नहीं हटाया जाएगा.

गौरतलब है कि सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पारित 20 जुलाई 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए, इस पर अंतरिम राहत मांगी, जिसमें पुलिस अधिकारियों को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. याचिका में दलील दी गई कि तात्कालिकता का आधार यह है कि उक्त आदेश से सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हो सकती हैं और 24 जुलाई को वर्तमान विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के बाद एक एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है.

याचिका में कहा गया, "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए, याचिकाकर्ता को इतने महत्वपूर्ण मामले में जवाब दाखिल करने का कोई अवसर नहीं दिया गया. पीठ ने यह स्वीकार किया कि 6 सितंबर 2021 और 8 दिसंबर 2022 के आदेशों को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष कई मौकों पर चुनौती दी है, और इस तरह के आदेश अपरिवर्तित रहते हैं. इसके बावजूद एफआईआर दर्ज करने का निर्देश पारित किया."

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याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश का इस स्तर पर गंभीर प्रभाव हो सकता है, जिससे संभावित रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ अतिरिक्त एफआईआर दर्ज की जा सकती है. याचिका में कहा गया है, "पश्चिम बंगाल में पुलिस तंत्र मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के साथ मिला हुआ है और याचिकाकर्ता के खिलाफ लगातार मामले थोपने की हर कोशिश की जा रही है."

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