ETV Bharat / bharat

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से पहले पांच विधायकों का जाना भाजपा के लिए झटका: सरकार

त्रिपुरा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माणिक सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दलबदलू सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि वे भाजपा की कार्यशैली से निराश और बेहद नाखुश हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सरकार ने मंगलवार को कहा, "चुनाव से पहले यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ा झटका है." त्रिपुरा में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Oct 19, 2022, 1:07 PM IST

अगरतला : त्रिपुरा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पांच विधायकों के दूसरी पार्टियों में जाने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार ने दावा किया 2018 में वाम मोर्चे की सरकार गिराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नेताओं को अपने पाले में बरकरार रखने में नाकाम रही है. सरकार ने यहां एसएफआई के एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कहा कि पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में अब स्थिति बदल गई है और भाजपा के तीन विधायक अलग-अलग दलों में शामिल हो गए हैं, जबकि इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के दो विधायक टिपरा मोथा में चले गए हैं.

उल्लेखनीय है कि भाजपा विधायक सुदीप रॉयबर्मन और आशीष साहा कांग्रेस में जबकि बरबू मोहन त्रिपुरा, और आईपीएफटी के धनंजय त्रिपुरा व बृषकेतु देबबर्मा टिपरा मोथा में शामिल हो गए हैं. त्रिपुरा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दलबदलू सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि वे भाजपा की कार्यशैली से निराश और बेहद नाखुश हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सरकार ने मंगलवार को कहा, "चुनाव (Tripura Assembly Poll) से पहले यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ा झटका है." त्रिपुरा में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं.

सरकार ने कहा, "सभी वाम विरोधी दल 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले त्रिपुरा में वाम मोर्चा सरकार को हराने के लिए एक साथ आए थे. इसका परिणाम यह हुआ कि 2018 से पहले पांच प्रतिशत से कम मत प्रतिशत वाली भाजपा ने कांग्रेस और उसके सहयोगी आईएनपीटी का 42 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर लिया." उन्होंने कहा, "वाम मोर्चा ने सात से आठ प्रतिशत वोट खो दिए, जिससे भाजपा और उसके सहयोगी आईपीएफटी का मत प्रतिशत लगभग 52 प्रतिशत हो गया और भाजपा चुनाव जीत गई."

(पीटीआई-भाषा)

अगरतला : त्रिपुरा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पांच विधायकों के दूसरी पार्टियों में जाने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार ने दावा किया 2018 में वाम मोर्चे की सरकार गिराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नेताओं को अपने पाले में बरकरार रखने में नाकाम रही है. सरकार ने यहां एसएफआई के एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कहा कि पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में अब स्थिति बदल गई है और भाजपा के तीन विधायक अलग-अलग दलों में शामिल हो गए हैं, जबकि इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के दो विधायक टिपरा मोथा में चले गए हैं.

उल्लेखनीय है कि भाजपा विधायक सुदीप रॉयबर्मन और आशीष साहा कांग्रेस में जबकि बरबू मोहन त्रिपुरा, और आईपीएफटी के धनंजय त्रिपुरा व बृषकेतु देबबर्मा टिपरा मोथा में शामिल हो गए हैं. त्रिपुरा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दलबदलू सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि वे भाजपा की कार्यशैली से निराश और बेहद नाखुश हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सरकार ने मंगलवार को कहा, "चुनाव (Tripura Assembly Poll) से पहले यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ा झटका है." त्रिपुरा में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं.

सरकार ने कहा, "सभी वाम विरोधी दल 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले त्रिपुरा में वाम मोर्चा सरकार को हराने के लिए एक साथ आए थे. इसका परिणाम यह हुआ कि 2018 से पहले पांच प्रतिशत से कम मत प्रतिशत वाली भाजपा ने कांग्रेस और उसके सहयोगी आईएनपीटी का 42 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर लिया." उन्होंने कहा, "वाम मोर्चा ने सात से आठ प्रतिशत वोट खो दिए, जिससे भाजपा और उसके सहयोगी आईपीएफटी का मत प्रतिशत लगभग 52 प्रतिशत हो गया और भाजपा चुनाव जीत गई."

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.