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हिमाचल प्रदेश में चुनावी सरगर्मी जारी, बीजेपी के सामने दोबारा सरकार बनाने की चुनौती

इस साल के आखिर में होने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने कमर कस ली है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 9 अप्रैल से 4 दिन के हिमाचल दौरे (jp nadda on mission himachal) पर आ रहे हैं. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2019 (himachal assembly election 2022) को देखते हुए इस दौरे को आगामी चुनावों के लिए बीजेपी का शंखनाद कहा जा रहा है.

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Published : Apr 8, 2022, 7:52 PM IST

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव भले 6 महीने दूर हों लेकिन गर्मी के मौसम में जैसे-जैसे पहाड़ तप रहे हैं, सियासत भी उबाल मार रही है. बयानबाजी और वार-पलटवार के बीच हर सियासी दलों ने चुनावी रण के लिए कमर कस ली है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (bjp president jp nadda) भी हिमाचल दौरे पर आ रहे हैं. 9 अप्रैल से 12 अप्रैल तक 4 दिवसीय हिमाचल दौरे के दौरान जेपी नड्डा सोलन से लेकर शिमला और बिलासपुर का दौरा करेंगे.

मिशन हिमाचल पर जेपी नड्डा: दरअसल जेपी नड्डा के इस दौरे को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. इस दौरान जेपी नड्डा रोड शो से लेकर पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक और कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र देना तक शामिल है. विधानसभा चुनाव भले दूर हों लेकिन जेपी नड्डा का मिशन हिमाचल के कई मायने हैं. इस दौरे को चुनावी शंखनाद (bjp president jp nadda on mission himachal) के रूप में देखा जा रहा है और इसकी कई वजहें भी हैं. बीजेपी इस बार हिमाचल में मिशन रिपीट यानी सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है और इसे देखते हुए भी नड्डा का ये दौरा काफी अहम है, हालांकि बीजेपी के मिशन रिपीट की राह में कई रोड़े हैं.

'आप' के बढ़ते कदम: बीजेपी भले हिमाचल में आम आदमी पार्टी (AAP in Himachal Pradesh) के अस्तित्व को सिरे से नकार रही हो लेकिन दिल्ली के बाद 'आप' ने पंजाब में जो बंपर जीत हासिल की है उसने बीजेपी के कान तो जरूर खड़े कर दिए हैं. जुबानी हमला दूसरी बात है लेकिन पड़ोसी राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनना हिमाचल के सियासी दलों का समीकरण बिगाड़ सकता है.

बीजेपी का थिंक टैंक भी जानता है कि 'आप' दिल्ली मॉडल के सहारे पंजाब की सत्ता तक पहुंच चुकी है और पंजाब का रास्ता हिमाचल भी पहुंच सकता है. जानकार मानते हैं कि अगर हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (himachal assembly election 2022) में आम आदमी पार्टी कुछ गिनी चुनी सीटों पर भी अपना प्रभाव छोड़ती है तो नुकसान बीजेपी और कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा. इस बार बीजेपी का मकसद कांग्रेस को हराने के साथ-साथ आम आदमी पार्टी को रोकना भी है.

5 राज्यों के नतीजों को भुनाना: साल की शुरुआत में हुए 5 राज्यों के चुनावों के नतीजे पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहे है. पंजाब को छोड़कर 5 में से चार राज्यों यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही है. बीजेपी इन नतीजों को हिमाचल में भुनाना चाहेगी, इसलिये देर किए बगैर 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के चार हफ्ते बाद ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हिमाचल में सियासी शंखनाद की कमान संभाल ली है.

मिशन रिपीट: बीजेपी हिमाचल में इस बार सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है जो पिछले करीब 4 दशक से नहीं हुआ है. इस दौर में कांग्रेस और बीजेपी के सिर ही हर 5 साल में सत्ता का ताज सजता रहा है. लेकिन 5 राज्यों के नतीजों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के नतीजों से बीजेपी ज्यादा ही गदगद है. दरअसल उत्तर प्रदेश में भी करीब 4 दशक बाद कोई सरकार रिपीट हुई है और उत्तराखंड में भी राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है. बीजेपी इन दोनों राज्यों के प्रदर्शन के सहारे हिमाचल में भी मिशन रिपीट का सपना देख रही है. खासकर पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के नतीजों को देखते हुए, क्योंकि हिमाचल और उत्तराखंड की भौगोलिक और सियासी परिस्थितियां बहुत हद तक मेल खाती हैं.

टिकट के चाहवानों की फौज: वैसे तो अंदरूनी कलह और खेमेबंदी कांग्रेस की पुरानी कहानी है लेकिन बीजेपी भी इससे अछूती नहीं है. प्रदेश की कई सीटों पर टिकट के चाहवानों की फौज खड़ी है, कुछ नेताओं की उम्र हो चली है तो पार्टी कुछ का टिकट भी काट सकती है. इस सबके बीच आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की जनता ही नहीं बल्कि नेताओं को भी नया विकल्प दिया है. ऐसे में टिकट को लेकर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति से निपटने में बीजेपी नाकाम रही तो भगदड़ मचना स्वाभाविक है. जो चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है. ऐसे में जेपी नड्डा समेत पार्टी संगठन के लिए इस मुश्किल का हल निकालना टेढी खीर साबित हो सकता है.

उपचुनाव 2021 का जख्म: बीते साल के आखिर में हुए उपचुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा जख्म हिमाचल से मिला. जहां एक लोकसभा और 3 विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सभी सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया. जिसे लेकर सूबे में कांग्रेस की बांछे खिली हुई हैं और इसी उपचुनाव के नतीजों को आधार पर बीजेपी को घेरा जाता रहा है.

2017 और 2019 में बीजेपी को बंपर जीत: बीते साल हुए उपचुनाव के नतीजे इसलिये भी बीजेपी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं क्योंकि साल 2019 में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे. उसी साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 4 सीटें जीतकर 2014 का क्लीन स्वीप का रिकॉर्ड बरकरार रखा, खास बात ये रही कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी 68 विधानसभाओं में निर्णायक बढ़त मिली थी और उससे पहले बीते विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी ने 68 में से 44 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

यह भी पढ़ें- HP Assembly Election: हिमाचल प्रदेश में 'आप' की जोरदार एंट्री, मेगा रोड शो करके दिखाई ताकत

तैयारी मिशन 2022 की: चुनाव भले साल के आखिर में (himachal assembly election 2022) होने हों लेकिन सियासी दल तैयारियों के मामले में भी खुद को आगे दिखाने की होड़ में हैं. केजरीवाल ने मंडी में रोड शो करके बाजी तो मार ली है, बीजेपी भी पीछे नहीं रहना चाहती और इसके लिए सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कमान संभाल ली है. कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा के इस दौरे से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी का चुनावी अभियान शुरू हो जाएगा.

शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव भले 6 महीने दूर हों लेकिन गर्मी के मौसम में जैसे-जैसे पहाड़ तप रहे हैं, सियासत भी उबाल मार रही है. बयानबाजी और वार-पलटवार के बीच हर सियासी दलों ने चुनावी रण के लिए कमर कस ली है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (bjp president jp nadda) भी हिमाचल दौरे पर आ रहे हैं. 9 अप्रैल से 12 अप्रैल तक 4 दिवसीय हिमाचल दौरे के दौरान जेपी नड्डा सोलन से लेकर शिमला और बिलासपुर का दौरा करेंगे.

मिशन हिमाचल पर जेपी नड्डा: दरअसल जेपी नड्डा के इस दौरे को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. इस दौरान जेपी नड्डा रोड शो से लेकर पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक और कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र देना तक शामिल है. विधानसभा चुनाव भले दूर हों लेकिन जेपी नड्डा का मिशन हिमाचल के कई मायने हैं. इस दौरे को चुनावी शंखनाद (bjp president jp nadda on mission himachal) के रूप में देखा जा रहा है और इसकी कई वजहें भी हैं. बीजेपी इस बार हिमाचल में मिशन रिपीट यानी सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है और इसे देखते हुए भी नड्डा का ये दौरा काफी अहम है, हालांकि बीजेपी के मिशन रिपीट की राह में कई रोड़े हैं.

'आप' के बढ़ते कदम: बीजेपी भले हिमाचल में आम आदमी पार्टी (AAP in Himachal Pradesh) के अस्तित्व को सिरे से नकार रही हो लेकिन दिल्ली के बाद 'आप' ने पंजाब में जो बंपर जीत हासिल की है उसने बीजेपी के कान तो जरूर खड़े कर दिए हैं. जुबानी हमला दूसरी बात है लेकिन पड़ोसी राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनना हिमाचल के सियासी दलों का समीकरण बिगाड़ सकता है.

बीजेपी का थिंक टैंक भी जानता है कि 'आप' दिल्ली मॉडल के सहारे पंजाब की सत्ता तक पहुंच चुकी है और पंजाब का रास्ता हिमाचल भी पहुंच सकता है. जानकार मानते हैं कि अगर हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (himachal assembly election 2022) में आम आदमी पार्टी कुछ गिनी चुनी सीटों पर भी अपना प्रभाव छोड़ती है तो नुकसान बीजेपी और कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा. इस बार बीजेपी का मकसद कांग्रेस को हराने के साथ-साथ आम आदमी पार्टी को रोकना भी है.

5 राज्यों के नतीजों को भुनाना: साल की शुरुआत में हुए 5 राज्यों के चुनावों के नतीजे पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहे है. पंजाब को छोड़कर 5 में से चार राज्यों यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही है. बीजेपी इन नतीजों को हिमाचल में भुनाना चाहेगी, इसलिये देर किए बगैर 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के चार हफ्ते बाद ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हिमाचल में सियासी शंखनाद की कमान संभाल ली है.

मिशन रिपीट: बीजेपी हिमाचल में इस बार सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है जो पिछले करीब 4 दशक से नहीं हुआ है. इस दौर में कांग्रेस और बीजेपी के सिर ही हर 5 साल में सत्ता का ताज सजता रहा है. लेकिन 5 राज्यों के नतीजों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के नतीजों से बीजेपी ज्यादा ही गदगद है. दरअसल उत्तर प्रदेश में भी करीब 4 दशक बाद कोई सरकार रिपीट हुई है और उत्तराखंड में भी राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है. बीजेपी इन दोनों राज्यों के प्रदर्शन के सहारे हिमाचल में भी मिशन रिपीट का सपना देख रही है. खासकर पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के नतीजों को देखते हुए, क्योंकि हिमाचल और उत्तराखंड की भौगोलिक और सियासी परिस्थितियां बहुत हद तक मेल खाती हैं.

टिकट के चाहवानों की फौज: वैसे तो अंदरूनी कलह और खेमेबंदी कांग्रेस की पुरानी कहानी है लेकिन बीजेपी भी इससे अछूती नहीं है. प्रदेश की कई सीटों पर टिकट के चाहवानों की फौज खड़ी है, कुछ नेताओं की उम्र हो चली है तो पार्टी कुछ का टिकट भी काट सकती है. इस सबके बीच आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की जनता ही नहीं बल्कि नेताओं को भी नया विकल्प दिया है. ऐसे में टिकट को लेकर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति से निपटने में बीजेपी नाकाम रही तो भगदड़ मचना स्वाभाविक है. जो चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है. ऐसे में जेपी नड्डा समेत पार्टी संगठन के लिए इस मुश्किल का हल निकालना टेढी खीर साबित हो सकता है.

उपचुनाव 2021 का जख्म: बीते साल के आखिर में हुए उपचुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा जख्म हिमाचल से मिला. जहां एक लोकसभा और 3 विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सभी सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया. जिसे लेकर सूबे में कांग्रेस की बांछे खिली हुई हैं और इसी उपचुनाव के नतीजों को आधार पर बीजेपी को घेरा जाता रहा है.

2017 और 2019 में बीजेपी को बंपर जीत: बीते साल हुए उपचुनाव के नतीजे इसलिये भी बीजेपी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं क्योंकि साल 2019 में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे. उसी साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 4 सीटें जीतकर 2014 का क्लीन स्वीप का रिकॉर्ड बरकरार रखा, खास बात ये रही कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी 68 विधानसभाओं में निर्णायक बढ़त मिली थी और उससे पहले बीते विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी ने 68 में से 44 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

यह भी पढ़ें- HP Assembly Election: हिमाचल प्रदेश में 'आप' की जोरदार एंट्री, मेगा रोड शो करके दिखाई ताकत

तैयारी मिशन 2022 की: चुनाव भले साल के आखिर में (himachal assembly election 2022) होने हों लेकिन सियासी दल तैयारियों के मामले में भी खुद को आगे दिखाने की होड़ में हैं. केजरीवाल ने मंडी में रोड शो करके बाजी तो मार ली है, बीजेपी भी पीछे नहीं रहना चाहती और इसके लिए सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कमान संभाल ली है. कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा के इस दौरे से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी का चुनावी अभियान शुरू हो जाएगा.

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